कभी भारत के शाही खजाने का हिस्सा था 170 कैरेट का नवानगर नैकलेस, जानें अब यह कहां है?

Navanagar necklace: नवानगर के महाराजा द्वारा बनवाया गया 170 कैरेट का बर्मी माणिक हार आज कहां है? जानिए इसका इतिहास, बिक्री, और कैसे यह अल थानी संग्रह का हिस्सा बना।

 

Indian Royal Jewels: भारत के शाही आभूषणों में से एक, 170 कैरेट का दुर्लभ बर्मी माणिक हार, जिसे महाराजा दिग्विजयसिंह ने बनवाया था, आज भी रहस्य बना हुआ है। 116 बर्मी माणिक और हीरों से जड़े इस अद्भुत हार को आज़ादी के बाद बेचा और बदला गया। लेकिन, आखिरकार यह अल थानी संग्रह का हिस्सा बना, जहां इसे पहली बार "मैग्नीफिसेंट मुगल्स टू महाराजा" प्रदर्शनी में दिखाया गया था।

नवानगर माणिक हार का इतिहास
यह ऐतिहासिक हार नवानगर के महाराजा रणजीतसिंहजी के दत्तक पुत्र और उत्तराधिकारी द्वारा 1937 में कार्टियर से तैयार करवाया गया था। कार्टियर ने महाराजा के खजाने में संग्रहीत बर्मी माणिक और बेहतरीन सफेद हीरों का उपयोग करके इसे बनाया। इस हार के माणिकों को बर्मा से मंगवाया गया था और यह महाराजा के व्यक्तिगत खजाने के सबसे बेशकीमती रत्नों में से एक था।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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भारत की स्वतंत्रता के बाद हार का क्या हुआ?
1947 में भारत की आज़ादी के बाद, यह हार कार्टियर को वापस कर दिया गया और बाद में इसे एक निजी कलेक्टर ने खरीद लिया। हार को पहनने में अधिक आरामदायक बनाने के लिए उसके डिज़ाइन में कुछ बदलाव किए गए।

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ब्लैक एंड व्हाइट बॉल में चमका यह ऐतिहासिक रत्न
1966 में, दुनिया की सबसे मशहूर पार्टियों में से एक ट्रूमैन कैपोट की "ब्लैक एंड व्हाइट बॉल" में इस हार को श्रीमती गिनीज ने पहना। इसके बाद यह हार एक रहस्य बन गया और लंबे समय तक इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

आज नवानगर हार कहां है?
आज, यह शानदार माणिक हार "अल थानी कलेक्शन" का हिस्सा है और इसे ग्रैंड पैलेस में प्रदर्शित किया गया था। इस ऐतिहासिक धरोहर को देखने वाले इसे भारत की शाही संपदा का सबसे कीमती आभूषण मानते हैं।

क्या यह हार भारत वापस आ सकता है?
अब सवाल उठता है कि क्या यह नायाब ऐतिहासिक धरोहर भारत वापस आ सकती है? इतिहास प्रेमी और शाही आभूषणों के विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सरकार और संग्रहालय पहल करें, तो यह संभव हो सकता है।

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