लॉकडाउन में जहां लाखों लोगों की नौकरी गई थी वहीं ऐसे तमाम लोग थे जिन्होंने एक्सपेरिमेंट करके स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया था। इन्हीं में एक बिहार की सुनीता देवी हैं। लॉकडाउन में जब सुनीता के पति का काम खत्म हुआ तो सुनीता ने घर में वर्टिकल खेती की शुरुआत की। आज सुनीता पूरे हिंदुस्तान में घूम-घूम कर लोगों को वर्टिकल खेती की ट्रेनिंग देती है।
बिहार. लॉकडाउन में महामारी की मार से इंसान परेशान था और दूसरी तरफ नौकरी में टर्मिनेशन से। इसी लॉकडाउन में कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने छोटे-छोटे स्टार्टअप शुरू किए और आज कामयाब एंटरप्रेन्योर के रूप में खुद को स्थापित कर चुके हैं। इन्हीं लोगों में एक है सुनीता देवी जिन्होंने लॉकडाउन में ऐसा काम किया कि आज सैकड़ों लोग उन्हें फॉलो कर रहे हैं उनसे प्रेरणा ले रहे हैं। माय नेशन हिंदी से सुनीता की बातचीत के कुछ अंश।
कौन है सुनीता देवी
सुनीता देवी बिहार के सारण जिले के बरेजा गांव में रहती हैं। उनके पति का नाम सत्येंद्र प्रसाद है। पति-पत्नी दोनों हाई स्कूल पास है। सुनीता के पति आयुर्वेदिक दवा बनाने का काम करते थे लेकिन लॉकडाउन में उनका काम भी करीब करीब खत्म हो गया। सुनीता के दो बच्चे हैं बड़ा बेटा ग्रेजुएशन कर रहा है और छोटा बेटा इंटर कर रहा है।लॉकडाउन में सुनीता ने मशरूम को अपने रोजगार का जरिया बनाया और अपने घर में वर्टिकल खेती करना शुरू किया।
सुनीता को बचपन से था खेती का शौक
सुनीता कहती हैं मुझे बचपन से ही खेती किसानी का शौक था घर का कोई भी बरतन टूटता था तो उसमें मिट्टी डालकर मैं उसमें कोई ना कोई पौधा या सब्जी लगा देती थी लेकिन यह मेरा रोजगार बन जाएगा यह कभी नहीं सोचा था। सुनीता बताती हैं एक दिन कबाड़ी वाले को मैं कुछ सामान बेच रही थी तभी मुझे उसके ठेले पर एक पाइप नजर आया जिससे मैंने खरीद लिया। इस पाइप को मैंने छत पर रखा, उसमें कुछ मिट्टी डाल दी, कुछ दिन बाद उस मिट्टी में घास निकल आई। मैंने पति से कहा कि 6 फुट का ऐसा ही पाइप मुझे बाजार से ला करके दें। मैंने उस पाइप में जगह-जगह छेद किया उसके बाद उसमें मिट्टी डाली और कुछ पौधे लगा दिए इस पाइप में भी कुछ घांस निकल आई। अब मुझे लगा की मिट्टी उपजाऊ है तो मैंने उसमें गोभी भिंडी बैगन टमाटर लगा दिया। कुछ दिन में उनमें सब्जियां निकल आईं।
सुनीता घर में बनाती है खाद और बीज
सुनीता कहती हैं कि घर में खाद के साथ-साथ बीज भी बना लेती हूं, सुनीता अब तक 200 महिलाओं को ट्रेनिंग दे चुकी है। साथ में उन्होंने यह भी बताया कि अब उन्हें वर्टिकल खेती का कॉन्ट्रैक्ट भी मिलने लगा है। दिल्ली में उन्होंने मिथिलेश प्रसाद नाम की महिला के घर में वर्टिकल खेती के जरिए सब्जी लगवाई है। सुनीता के अपने घर में आलू, मूली, बोरो, पालक, नींबू जैसी सब्ज़ियां लगी हुई हैं, वह कहती हैं हम बाजार से सब्जी नहीं खरीदते हैं घर की सब्जी का इस्तेमाल करते हैं।
बीज बनाने का तरीका बताया सुनीता ने
सुनीता ने हमें बताया कि बाहर से वह कुछ नहीं खरीदती है खाद्य से लेकर बीज खुद ही तैयार करती हैं बीज बनाने के बारे में उन्होंने बताया कि जब सब्जी लगाते हैं तो कुछ सब्जियों को तोड़ते नहीं है जैसे बैंगन है तो दो बैगन को लगा रहने देते हैं। जब वह सूख जाते हैं तो उस सब्जी का बीज निकाल लेते हैं और सुखाकर अगले साल के सीजन के लिए रख लेते हैं। ठीक उसी तरह गाय के सूखे हुए गोबर से सुनीता खाद तैयार करती हैं। सुनीता कहती है आपको बाहर से कुछ भी नहीं खरीदना है अगर आप खरीद भी रहे हैं तो ₹200 से ज्यादा खर्च नहीं होगा। एक बार सब्जी लगा लिया तो सारी उपज घर से ही होगी, बीएस आपको ध्यान देने की ज़रूरत है ।
घर में गोभी की खेती देख कृषि विज्ञानं भी पड़ा आश्चर्य में
सुनीता कहती हैं मेरे घर में गोभी की खेती देखकर कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी आश्चर्य में पड़ गए। उन्हीं के मशवरे से मैंने इसकी प्रदर्शनी लगाई थी जिसके बाद मुझे कृषि अभिनव सम्मान भी मिला था। सुनीता को अभिनव पुरस्कार भी मिल चुका है। सुनीता कहती हैं अब ट्रेनिंग देने के लिए मुझे बिहार के बाहर भी जाना पड़ता है। यह पूछने पर की सुनीता को इस काम से कितनी आमदनी होती है उनका कहना है की आमदनी पर हम ज्यादा फोकस नहीं करते हैं। हमारा पूरा ध्यान लोगों को प्रशिक्षण देने पर रहता है और उसमें हम कामयाब है।
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