न स्टेडियम-न सुविधा...जुनून ऐसा कि चमक रहे संग्रामपुर गांव के खिलाड़ी, खेल से बना रहे किस्मत

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Aug 26, 2023, 10:29 AM IST

प्रतापगढ़ जिले का एक छोटा सा गांव है संग्रामपुर। तीन तरफ से नदी और एक तरफ से रेलवे लाइन से घिरे इस गांव में भले ही सड़क नहीं पहुंच पाई है। गांव में कोई स्टेडियम भी नहीं है, पर गांव से निकले खिलाड़ी मेहनत के दम पर अपनी राह बना रहे हैं। सुविधाओं के अभाव के बावजूद गांव के बच्चों की उपलब्धियां सिर चढ़कर बोल रही हैं।

प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जिले का एक छोटा सा गांव है संग्रामपुर। तीन तरफ से नदी और रेलवे लाइन से घिरे इस गांव में भले ही सड़क नहीं पहुंच पाई है। गांव में कोई स्टेडियम भी नहीं है, पर गांव से निकले खिलाड़ी मेहनत के दम पर अपनी राह बना रहे हैं। सुविधाओं के अभाव के बावजूद गांव के बच्चों की उपलब्धियां सिर चढ़कर बोल रही हैं। खिलाड़ियों को गाइड करने वाले अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मो. इबरार ने माई नेशन हिंदी से बात करते हुए बताया कि एक बार​ फिर हमारे गांव के 4 बच्चों का स्पोर्ट्स कॉलेज, लखनऊ में चयन हुआ है। ये बच्चे स्पोर्ट्स में यूपी को रिप्रेजेंट करेंगे। 

गांव से निकल चुके हैं 18 से 20 प्लेयर, कई सरकारी नौकरी में

गांव तक पहुंचने के लिए बामुश्किल एक रास्ता है। पर गांव में कदम रखते ही खेल के प्रति बच्चों की दीवानगी दिखने लगती है। सुबह से ही बच्चे नदी के किनारे मैदान में प्रैक्टिस में जुट जाते हैं। अलग-अलग खेलों की प्रैक्टिस कर रहे बच्चों को मो. इबरार जरुरी ट्रेनिंग देते हैं। उनकी जरुरतों को भी पूरा करने की कोशिश करते हैं। गांव के बच्चों ने खेल को ही अपनी सफलता का जरिया बनाया है। मो. इबरार कहते हैं कि अब तक 18 से 20 खिलाड़ी हमारे गांव से निकल चुके हैं। उनमें से कई आर्मी, पुलिस, एसएसबी, एयरफोर्स और पीएसी में नौकरी कर रहे हैं। 

इबरार की राह पर चल रहे गांव के बच्चे

बच्चों को गाइड करने वाले मो. इबरार एयरफोर्स में जूनियर वारंट आफिसर के पद पर कार्यरत हैं।  दौड़ और लांग जंप के प्लेयर जब छुट्टियों में गांव जाते हैं, तो बच्चों को खेल में आगे बढ़ने की राह दिखाते हैं। उन्हें भी खेल कोटे से ही वायुसेना में नौकरी मिली थी। वह भी नदी के किनारे स्थित मैदान में खेल की प्रैक्टिस करते थे। जब जिले के स्पार्ट्स स्टेडियम में उनका प्रदर्शन बढ़िया रहा तो उनका उत्साह बढ़ा और वह खेल जगत में एक के बाद एक सीढ़ियां चढ़ते गएं। अब, गांव के बच्चे भी उन्हीं की राह पर चल रहे हैं। 

गांव के इन लड़कों ने प्रदेश का नाम किया रोशन

मो. इबरार साउथ एशियन गेम्स (ढाका) में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। ईरान में आयोजित एशियन इंडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीता था। इंडियन इंडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नेशनल रिकार्ड बना चुके हैं। गांव के ही मोहम्मद हदीस लकड़ी की जेवलिन बनाकर प्रैक्टिस करते थे। साल 2012 में लखनऊ के गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में उनका चयन हुआ था और साल 2014 में नेशनल चैंपियनशिप में मध्य प्रदेश की तरफ से ब्रांज मेडल झटका था। शाहरूख खान 1500 मीटर की दौड़ में यूपी को रिप्रेजेंट कर चुके हैं। जूनियर नेशनल एथेलिटिक्स में गोल्ड मिल चुका है, देश में पहली रैंक हासिल की। शेख नायाब ने हर्डल रेस में मुंबई से स्टेट लेबल पर गोल्ड जीता है। 

इन नये खिलाड़ियों ने भी दर्ज कराया अपना नाम 

ये कुछ खिलाड़ियों की सफलता की कहानी है। हालिया गांव के साहिल खान, साजिद खान, सज्जाद खान और अरशद खान ने गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज, लखनऊ में एडमिशन का अवसर हासिल किया है। इसके बाद से गांव के युवाओं का उत्साह और बढ़ा है। अब तक गांव से निकले खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर 62 मेडल जीते हैं।
 

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