पूर्व IPS महेंद्र मोदी का गजब इनोवेशन: पीने लायक बनाया रेन वॉटर, बचेगी बिजली और मिलेगा रोजगार

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Feb 15, 2024, 10:19 PM IST

पूर्व IPS महेंद्र मोदी ने मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में वर्षा जल (रेन वॉटर) संरक्षित कर ड्रिंकिंग वॉटर बनाने की नयी तकनीक ईजाद की है। उनके द्वारा डिजाइन की गई टंकी से बिजली की बचत के साथ रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।

लखनऊ। पूर्व आईपीएस महेंद्र मोदी ने जल संरक्षण के लिए अनोखा इनोवेशन किया है। बारिश के पानी को पीने लायक बनाने के लिए ऐसी टंकी बनाई है, जिसमें बहुमंजिला भवनों की इमारतों पर बिना बिजली खर्च किए पानी स्टोर किया जा सकता है और बिल्डिंग में सप्‍लाई भी की जा सकती है, इससे रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। खास यह है कि मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में यह सिस्टम लगाने की लागत भी वॉटर बॉटलिंग प्लांट  की लागत से काफी कम है। माय नेशन हिंदी से पूर्व आईपीएस महेंद्र मोदी ने इस बारे में जानकारी शेयर की है। आइए उसके बारे में जानते हैं।

16 वर्षों तक काम करते हुए बनाएं 8 मॉडल

जल संरक्षण को समर्पित पूर्व आईपीएस महेंद्र मोदी ने 16 वर्षों तक काम करते हुए 8 मॉडल बनाए, यह उनमे से एक है, जिस पर पेटेंट मिला है। वह कहते हैं कि छत पर गिर रहे बारिश के पानी को जमीन पर गिरने से रोकने के लिए रेन वॉटर टैंक बनाने की जरूरत होती है। पहले गुजरात, राजस्थान व अन्य जगहों पर जमीन के अंदर टैंक बनते थे। उस पानी को ऊपर चढ़ाने में बिजली खर्च होती है। पर यदि 15 मंजिल के भवन की 14वीं मंजिल के पैरलल (समानांतर) एक टैंक बना दिया जाए और उसमें बारिश का पानी रोक लिया जाए तो पानी को फिल्टर कर बिना बिजली के सभी फ़्लैट में सप्लाई की जा सकती है, इसमें बिजली भी नहीं खर्च होगी। उसी में कई तरह के इनोवेशन किए।

तीन महीने का पानी स्टोर करने की कैपेसिटी वाली टंकी की जरूरत

अब सवाल उठता है कि टंकी कितनी बड़ी होगी। जिससे साल भर बिल्डिंग में रहने वाले लोगों का काम चल सके। वह कहते हैं कि साल भर में यदि 100 सेंटीमीटर बारिश हो रही है, तो उसमें से औसतन 25 सेंटीमीटर गैर मानसूनी वर्षा (अक्टूंबर महीने के बाद होने वाली बारिश ) होती है। पहले तो हमने बारिश के मौसम का पानी यूज किया। फिर गैर मानसूनी वर्षा से भी काम चलेगा। इसलिए छतों पर लगाने के लिए हमें टंकी पूरे 12 या 6 महीने की नहीं चाहिए। बल्कि ज्यादा से ज्यादा तीन महीने की कैपेसिटी की टंकी चाहिए। यदि बारिश के पानी की बॉटलिंग कर ड्रिंकिंग वॉटर बना दें तो तीन महीने के लिए वॉटर स्टोर करने वाली कैपेसिटी की टंकी की भी जरूरत नहीं है। बारिश के जल का ड्रिंकिंग वॉटर बनाकर वैज्ञानिक परीक्षण भी किया है, वह पानी साल भर तक सुरक्षित रहता है। बशर्ते दस माइक्रोन के फिल्टर से बारिश के पानी को साफ किया जाए।

71 लाख परिवारों को रोजगार

महेंद्र मोदी कहते हैं कि यदि सरकार एक परिवार को 5 से 10 लाख लीटर तक पानी इकटठा करने का लाइसेंस दे तो वह 5 लाख लीटर में 41 परिवार और 10 लाख लीटर में 82 परिवार को पानी उपलब्ध करा सकेगा। इस तरह पूरे देश में करीबन 71 लाख परिवारों को परमानेंट एम्पलॉयमेंट के अवसर मिलेंगे और दो साल के अंदर उनका यह सिस्टम लगाने का खर्चा भी वापस आ जाएगा। 

बिजली की बचत, आरओ की भी जरूरत नहीं

वह कहते हैं कि हमने नये ढंग की टंकी डिजाइन की है। पहले पानी की सफाई होती है। फिर फिल्टर से पानी आगे बढता है। सिर्फ अल्ट्रा वायलेट के लिए बिजली की जरुरत पडती है, जो हम सोलर से ले लेंगे। दिल्ली और एनसीआर के फ़्लैट में अलग से टूल्लू मशीन लगाते हैं। उसमें बहुत सारी बिजली खर्च होती है। इसे कैलकुलेट किया जाए तो बडी मात्रा में बिजली की बचत होगी। इस तरह भूगर्भ जल भी बच गया और आरओ की भी जरूरत नही पडती। 

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