IAS अधिकारी की इस पहल ने बदली गंगा घाटों की सूरत, रहस्य जानकर आप चौंक जाएंगे!

Surya Prakash Tripathi |  
Published : Mar 03, 2025, 03:01 PM IST
 IAS अधिकारी की इस पहल ने बदली गंगा घाटों की सूरत, रहस्य जानकर आप चौंक जाएंगे!

सार

Motivational Story: UP के काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी के IAS अधिकारी अक्षत वर्मा ने गंगा घाटों पर फेंके गए कपड़ों को 1 लाख इको-फ्रेंडली बैग में बदलकर पर्यावरण की रक्षा और महिलाओं को रोजगार देने की शानदार पहल की। जानें पूरी कहानी!

IAS Motivational Story: UP के वाराणसी के पवित्र गंगा घाटों पर छोड़े गए कपड़ों से होने वाले प्रदूषण को कम करने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए IAS अधिकारी अक्षत वर्मा ने एक अनूठी पहल की। उन्होंने होप वेलफेयर फाउंडेशन के सहयोग से स्थानीय महिलाओं को सशक्त बनाया और इन कपड़ों को 1 लाख इको-फ्रेंडली बैग में बदल दिया। यह पहल पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और प्लास्टिक के उपयोग को कम करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

1. वाराणसी के घाटों पर कपड़ों का ढेर – एक बड़ी समस्या
वाराणसी, जिसे दुनिया के सबसे प्राचीन और आध्यात्मिक शहरों में से एक माना जाता है, यहाँ प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद पुराने कपड़ों को घाटों पर छोड़ जाते हैं।

इन छोड़े गए कपड़ों से उत्पन्न होती हैं ये समस्याएं 

  1. गंगा और पर्यावरण प्रदूषित होता है
  2. वन्यजीव गलती से इन कपड़ों को खाकर बीमार हो सकते हैं
  3. घाटों की सफ़ाई एक बड़ी चुनौती बन जाती है
  4. इसी समस्या को समाधान में बदलने के लिए IAS अधिकारी अक्षत वर्मा ने एक अनोखी योजना बनाई।

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 2. IAS अधिकारी अक्षत वर्मा का शानदार समाधान
"फेंके गए कपड़ों का पुनर्चक्रण करके उन्हें उपयोगी बनाया जाए!" IAS अक्षत वर्मा ने होप वेलफेयर फाउंडेशन और ‘ग्रीन आर्मी’ नामक महिला स्वयं सहायता समूह के साथ मिलकर इन बेकार कपड़ों को हाथ से बने इको-फ्रेंडली बैग में बदलने की योजना बनाई।

  • 50+ ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिला
  • 1 लाख बैग बनाए और वितरित किए गए
  • घाटों की सफाई और प्लास्टिक प्रदूषण में कमी आई
  • दिसंबर 2023 में शुरू हुई इस पहल ने घाटों को स्वच्छ बनाने के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया।

3. कैसे बने 1 लाख इको-फ्रेंडली बैग?

  • फेंके गए कपड़ों को इकट्ठा किया गया
  • ‘ग्रीन आर्मी’ की महिलाओं ने इन्हें सिलकर बैग में बदला
  • स्थानीय दुकानदारों और आम लोगों को ये बैग मुफ्त में वितरित किए गए
  • इससे प्लास्टिक बैग के उपयोग में भारी कमी आई
  • इससे घाटों की सफ़ाई भी हुई, और कचरा लैंडफिल में जाने से बचा।

4. इस पहल के बड़े फायदे

  1. पर्यावरण संरक्षण: गंगा घाटों की सफाई और प्लास्टिक प्रदूषण में कमी
  2. रोजगार सृजन: 50+ महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया गया
  3. प्लास्टिक बैग का विकल्प: 1 लाख इको-फ्रेंडली बैग वितरित किए गए
  4. स्थिरता को बढ़ावा: कचरे को पुनः उपयोग करके नया उत्पाद बनाया गया

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