हरियाणा की जिया, एक ऑटो चालक की बेटी, ने बीमारी के बावजूद NDA परीक्षा में जिले में पहला स्थान हासिल किया। जानिए उनकी संघर्ष भरी सफलता की कहानी।
Success Story: सक्सेस स्टोरीज हमेशा इंस्पिरेशन देती है। लेकिन जब कोई शख्स स्ट्रगल के दौर में पूरे विश्वास के साथ हार्डवर्क करता है तो यही कहानियां इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाती हैं। हरियाणा के बावल क्षेत्र के गांव सुलखा की बेटी जिया की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। बीमारी के बावजूद हार नहीं मानी और घंटो पढ़ाई में जुटी रहीं। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) एग्जाम क्रैक कर अपने जिले में पहला स्थान हासिल किया है। जिया की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो बताती है कि सच्ची लगन और परिवार के सहयोग से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। आइए जानते हैं उनकी इंस्पिरेशनल स्टोरी।
आटो ड्राइवर हैं पिता
जिया का जन्म हरियाणा के बावल क्षेत्र के गांव सुलखा में हुआ। उनके पिता मोहन लाल एक ऑटो ड्राइवर हैं, उन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपनी बेटी को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिया की माता रेखा देवी भी बिटिया के सपनों में रंग भरने में लगी रहीं। जिया की शुरूआती एजूकेशन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सुलखा से हुई। पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल रहने वाली जिया का 12वीं कक्षा में भी परफॉर्मेंस बेहतरीन रहा।
तीन महीने बीमारी में भी 15-15 घंटे पढ़ाई
हर सपने की राह में बाधाएं आती हैं, लेकिन जो उन्हें पार कर लेता है, वही विजेता बनता है। जिया के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। जिया तीन महीने तक गंभीर रूप से बीमार रहीं। पर इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और हर दिन 15-15 घंटे पढ़ाई जारी रखी। बीमारी के कारण पढ़ाई में आने वाली कठिनाइयों को उन्होंने परिवार की हेल्प से हराया।
NDA एग्जाम में जिले में पहला स्थान
जिया की मेहनत रंग लाई और उन्होंने NDA की परीक्षा में जिले में पहला स्थान प्राप्त किया। यह परीक्षा देशभर के लाखों युवाओं के लिए एक कठिन चुनौती होती है, लेकिन जिया ने अपने आत्मविश्वास से इसे पार कर लिया। NDA परीक्षा के लिए जिया ने रणनीति के साथ तैयारी की। कठिनाईयों के बावजूद उन्होंने हर विषय पर गहराई से फोकस किया। रूटीन और अनुशासन को बनाए रखा, जो कि इस परीक्षा को पास करने के लिए बेहद जरूरी है। एक सफल इंसान के पीछे हमेशा उसके परिवार का सहयोग होता है। जिया की सफलता में उनके माता-पिता और दादी का अहम योगदान रहा।