यूपी के रिटायर आईएएस अजय शंकर पांडेय ने एक अनोखी मुहिम शुरु की है। पंचायत चुनावों में जीते और हारे हुए ग्राम प्रधानों को एक मंच पर ला रहे हैं। इसका असर यह हुआ कि प्रयागराज के मांडा ब्लाक में कई ऐसे गांव हैं, जहां स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के मौके पर हारे हुए प्रधान से झंडारोहरण कराया गया।
लखनऊ। यूपी के रिटायर आईएएस अजय शंकर पांडेय ने एक अनोखी मुहिम शुरु की है। पंचायत चुनावों में जीते और हारे हुए ग्राम प्रधानों को एक मंच पर ला रहे हैं। इसका असर यह हुआ कि प्रयागराज के मांडा ब्लाक में कई ऐसे गांव हैं, जहां स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के मौके पर हारे हुए प्रधान से झंडारोहरण कराया गया। 'सद्भावना ग्राम योजना’ के नाम से चल ही यह मुहिम रंग ला रही है। प्रयागराज के बाद हापुड़ में भी पंचायत चुनाव में हारे और जीते हुए उम्मीदवार एक मंच पर आए हैं।
प्रधानी के चुनाव के बाद गांव में हो जाती है गुटबंदी
माई नेशन हिंदी से बात करते हुए अजय शंकर पांडेय कहते हैं कि प्रधानी के चुनाव के बाद पूरे गांव में गुटबंदी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जो पूरे 5 साल बनी रहती है और बाद में स्थायी दुश्मनी में बदल जाती है। नतीजनत, गांव का वातावरण खराब होता है। गांव की पूरी संद्भावना खत्म हो जाती है। इस समस्या का हल निकालने के लिए हमने 'सद्भावना ग्राम योजना’ शुरु की। इसमें हारे और जीते हुए उम्मीदवारों को एक मंच पर लाते हैं। ब्लॉक वाइज जीते हुए उम्मीदवारों के साथ बैठक करते हैं। उनको बताते हैं कि आपको पांच साल का कार्यकाल मिला है। पूरे गांव को लेकर चलने की आपकी पूरी जवाबदेही है। आपसे ही गांव का रिपोर्ट कार्ड पूछा जाएगा।
हारे हुए प्रधान को विकास सलाहकार का नाम
अजय शंकर पांडेय कहते हैं कि हम प्रधान को समझाते हैं कि आप अपनी जिम्मेदारी ये कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं कि हारा हुआ उम्मीदवार आपका सहयोग नहीं कर रहा था, उलझाए रखा। आप 5 साल भाग दौड़ में ही व्यस्त रहें। इसी तरह हारे हुए प्रधान से भी ब्लाक वाइज बैठक करते हैं। उनसे भी कहते हैं कि चुनाव के समय आपने यह कभी नहीं कहा था कि यदि आप हार जाएंगे तो घर बैठ जाएंगे। आप भी नकारात्मक कार्यों से दूर रहकर विकास कार्यों में सहभागी बनिए। जब दोनों पक्ष के लोग तैयार होते हैं तो हारे हुए प्रधान को विकास सलाहकार का नाम दिया जाता है। उस गांव को 'सद्भावना ग्राम योजना’ घोषित कर दिया जाता है।
8 विकास खंडों के हारे और जीते उम्मीदवारों को ला चुके हैं एक मंच पर
अजय शंकर पांडेय पिछले साल झांसी के कमिश्नर के पद से रिटायर हुए थे। उन्होंने जून 2023 को प्रयागराज जिले से योजना की शुरुआत की। अब तक प्रयागराज के कुल 22 विकास खंडों में से 10 में बैठक हो चुकी है, जबकि 8 विकास खंडों की ग्राम सभाओं के प्रधानों और हारे हुए उम्मीदवारों को एक मंच पर ला चुके हैं।
हापुड़ के हारे और जीते हुए प्रधान आएं एक साथ
हापुड़ में ग्राम पंचायत उपैडा, बनखण्डा, भाहयुर बट्ट, भटैल, सिमरौली के जीते हुए प्रधान और उपविजेता प्रधान एक साथ मंच पर आएं। अजय शंकर पांडेय कहते हैं कि निर्वाचित ग्राम प्रधान हारे हुए उम्मीदवार का परिचय पराजित या उपविजेता के रूप में नहीं, बल्कि विकास सलाहकार के रूप में परिचय कराता है तो इसका भी असर पड़ता है।
क्या है सद्भावना ग्राम योजना?
पंचायत चुनाव के निर्वाचित प्रधान और प्रतिद्वंदी उम्मीदवार को एक मंच पर लाकर गांव के विकास के लिए एकजुट होने के लिए प्रेरित किया जाता है। निर्वाचित प्रधान को कुशल प्रधान और पराजित उम्मीदवार को विकास सलाहकार नाम दिया जाता है। हारे ओर जीते हुए उम्मीदवारों से अलग-अलग बैठकों के बाद संयुक्त बैठक की जाती है। उसके बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में गांव को सद्भावना ग्राम योजना घोषित किया जाता है।