शिकोहाबाद के आकाश यादव ने सड़क पर भीख मांगते हुए बच्चों को देखा तो सोचा कि इन बच्चों को कुछ ऐसा दिया जाए, जिससे वह आने वाले समय में अपने हालात बदल सकें। इसी मकसद से पढ़ाई के दौरान 'रॉयल कृष्णा की पाठशाला' शुरु कर दी। 5 साल से फ्री एजूकेशन दे रहे हैं। मौजूदा समय में 200 से 250 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।
शिकोहाबाद। कूड़ा बीनने (Garbage picker) और भीख मांगने वाले बच्चों (Child Beggars) के हाथ में अब कॉपी-कलम है। सरकारी और निजी स्कूलों में पढ रहे हैं। साल 2018 में यूपी के फिरोजाबाद जिले के कस्बे शिकोहाबाद के आकाश यादव ने ऐसे बच्चों को देखा तो उनका दिल पसीजा। अपने दोस्तों के साथ चर्चा की और श्रमिक वर्ग परिवारों के बच्चों की एजूकेशन के जरिए भविष्य संवारने की मुहीम शुरु कर दी। अब इसे जागरुकता का अभाव समझें या गरीबी। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाला परिवार अपने बच्चों को पढ़ाने में असमर्थ था। माय नेशन हिंदी से बातचीत में आकाश कहते हैं कि शिकोहाबाद में 2 जगहों पर 'रॉयल कृष्णा की पाठशाला' चलती है। जिसमें 200-250 बच्चे पढ़ते हैं।
भीख मांगते हुए बच्चे को देखकर आया ये विचार
दरअसल, आशीष पढ़ाई के दौरान ही कई संस्थाओं से जुड़े थे। एक वाकये का जिक्र करते हुए आशीष कहते हैं कि एक दिन एक बच्चा भीख मांगते हुए किसी गाड़ी के पास पहुंच गया। कार में सवार शख्स ने उसे धक्का मार दिया। यह देखकर विचार आया कि इन बच्चों को ऐसी चीज दी जाए, जो उनके जिंदगी में काम आए और उसकी मदद से वह अपने हालात में बदलाव भी ला पाएं। दोस्तों से चर्चा की और तय किया कि हम लोग 1 से 2 घंटे समय निकालकर ऐसे बच्चों को पढ़ाना शुरु करें। धीरे-धीरे लोगों ने हमारा काम देखा और साथ जुड़ें। फिर ये कारवां आगे बढ़ता गया।
...मारपीट तक करने को तैयार थे पैरेंट्स
बच्चों को फ्री एजूकेशन देने का काम करना भी उनके लिए आसान नहीं था। पाठशाला शुरु करने के दूसरे महीने अजीब वाकया हुआ। जिन बच्चों को आशीष और उनके दोस्त पढ़ा रहे थे। कुछ लोगों ने उनके पैरेंट्स को यह कहकर भड़का दिया कि यह लोग अभी तुम्हारे बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बाद में पकड़ कर ले जाएंगे। हालात इतने बिगड़े कि उन बच्चों के पैरेंट्स आशीष और उनकी टीम के साथ मारपीट को उतारू हो गए। बहरहाल, किसी तरह उन्हें समझाया गया।
आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों का दूसरे स्कूलों में एडमिशन भी
आशीष कहते हैं कि हमारा मकसद दिखावा करना नहीं था, बल्कि हम लोग हकीकत में ऐसे लोगों की मदद करना चाहते थे। पाठशाला से पढ़कर निकले बच्चों का हर साल आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे स्कूलों में दाखिला कराते हैं। 80 फीसदी बच्चों का सरकारी स्कूलों में और पढ़ाई में तेज बच्चों का निजी स्कूलों में एडमिशन कराते हैं। पाठशाला से निकले कुछ बच्चे डीपीएस और ज्ञानदीप जैसे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। कुछ बच्चे वृंदावन में स्वदेशी जी महाराज के गुरुकुल मे हैं। शिकोहाबाद की कुछ कोचिंग इंस्टीट्यूट में भी बच्चे पढ़ाई का लाभ उठा रहे हैं।
पहले पॉकेट मनी अब लोगों का भी सहयोग
'रॉयल कृष्णा की पाठशाला' शिकोहाबाद में पथवारी मंदिर के प्रांगण और स्टेशन रोड पर स्थित पीडब्लूडी के ग्राउंड में चलती है। शाम के समय दो घंटे बच्चों को पढ़ाया जाता है। आशीष कहते हैं कि पहले हम लोग अपने पॉकेट मनी से खर्च कर बच्चों को पढ़ाते थे। अब हमारे पास ऐसे लोग भी हैं, जो 100 से 200 रुपये डोनेट करते हैं। कल ही अग्रवाल महिला मंडल की महिलाओं ने 110 बच्चों को स्वेटर दिए हैं। ऐसे ही कई लोग आते हैं। कुछ लोग बैग देते हैं तो कुछ लोग बच्चों को ड्रेस उपलब्ध कराते हैं।
बच्चों के लिए बनाना चाहते हैं बोर्डिंग स्कूल
आशीष आने वाले समय में ऐसा विद्यालय बनाना चाह रहे हैं। जिसमे बच्चे रहकर पढ़ाई कर सकें। वह कहते हैं कि हम जिन बच्चों का बड़े स्कूलों में एडमिशन करा देते हैं। उनके पास कपड़े धुलने तक के भी पैसे नही हैं। ऐसे में कही बच्चे के दिमाग में यह घर न कर जाए कि वह कितने छोटे घर से आता है। इसको देखते हुए हम लोग ऐसे बच्चों को जरूरी चीजें मुहैया कराते हैं।