345 से ज्यादा लोगों की जान बचाई-1700 डेड बॉडी निकाली, रियल लाइफ के हीरो हैं अयोध्या के भगवानदीन निषाद

अब तक पानी में डूब रहे 345 से ज्यादा लोगों की जान बचा चुके हैं। 1700 से ज्यादा डेड बॉडी निकाली है। मिलिए उत्तर प्रदेश, अयोध्या के गुप्तार घाट के रहने वाले भगवानदीन निषाद से। 

inspirational story of diver Bhagwandin Nishad of ayodhya uttar pradesh who saved more than 345 drowning people zrua

अयोध्या। यूपी के अयोध्या स्थित गुप्तार घाट के रहने वाले भगवानदीन निषाद अपने नाम के मुताबिक काम कर रहे हैं। अब तक नदी में डूबने वाले 345 से ज्यादा लोगों की जान बचा चुके हैं। पानी में डूबने से मृत लोगों की 1700 डेड बॉडी निकाल चुके हैं। माई नेशन हिंदी से बात करते हुए भगवानदीन कहते हैं कि बचपन में पैरेंट्स नदी में नहाने से मना करते थे। हम लोग छिपकर नहाते थे। एक बार घाट पर बैठे थे। उसी दौरान एक शख्स पानी में डूबने लगा। डंडे के जरिए उसे बचाया तो लोगों ने कहा कि 'भगवान' ने बचाया है। यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। धीरे-धीरे पूरी तरह तैरना सीख गए। 

डूबने वालों को 2003 से बचा रहे 'भगवान'

भगवानदीन कहते हैं कि घाट पर नहाने या घूमने आने वाले श्रद्धालु डूबने लगते हैं तो उन लोगों को सकुशल बाहर निकालते हैं। साल 2003 से यह काम कर रहे हैं। अब पुलिस थानों में उनका मोबाइल नम्बर दर्ज है। डूब रहे लोगों को बचाना हो या पानी से डेड बॉडी निकालना हो, उन्हें बुलाया जाता है और वह मदद के लिए तुरंत मौके पर हाजिर होते हैं। भगवानदीन को इसके लिए कोई पैसा नहीं मिलता है। उनके पास न ही लाइफ जैकेट है और न ही इंश्योरेंस। बावजूद इसके पानी में डूब रहे लोगों की प्राण रक्षा के लिए उनकी टीम समर्पित रहती है। 

 

न इंश्योरेंस, न ही लाइफ जैकेट, पैसे भी नहीं मिलते

भगवानदीन की टीम में लगभग 28 गोताखोर हैं, जो यह जोखिम भरा काम करते हैं। इनमें से कुछ गोताखोरों को 'उत्तर प्रदेश सरकारी गोताखोर' का दर्जा मिला है। भगवानदीन भी उनमें शामिल हैं। गुप्तार घाट पर ही उनकी चाय, पकौड़ी और बाटी की दुकान है। लोगों की जान बचाने के काम से बचे समय में वह अपनी दुकान भी संभालते हैं। सरकार ने गोताखोरों को 500 रुपये महीने देने का वादा किया था। पर अब तक वह भी नहीं मिल सका है। बिना सहायता के काम कर रहे हैं। कभी कभी जिन लोगों को डूबने से बचाते हैं तो वह लोग उन्हें कुछ पैसे दे देते हैं।

 

त्यौहारों पर मूर्ति विसर्जन के समय बढ़ जाता है काम

भगवानदीन कहते हैं कि अभी नवरात्रि शुरु होने वाली है। मूर्ति विसर्जन के दौरान उनकी टीम का काम बढ़ जाता है, क्योंकि उसी समय नदी के किनारे लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। त्यौहारों के मौकों पर जब मूर्ति विसर्जन होता है तो हर घाट पर 2 से 3 गोताखोर मौजूद रहते हैं। संबंधित कार्यालयों में हम लोगों के मोबाइल नम्बर होते हैं। जरुरत पड़ने पर बुलाया जाता है और हम मौके पर पहुंचकर लोगों की जान बचाते हैं।

मां-पिता का हो चुका है देहांत

भगवानदीन के पिता रामकुमार निषाद और मां राजकुमारी का देहांत हो चुका है। पिता भी गोताखोर थे। वह 5 भाई-बहन हैं। 2 छोटे भाई विक्रम और सोनू हैं। बहनें पूनम और नीलम हैं। एक बहन की शादी हो चुकी है। 2016 में पिता की मौत के बाद मां ही घर की देखभाल करती थीं। साल 2021 में ब्रेन हेमरेज से उनकी मौत हो गई। गुप्तार घाट पर उनका घर भी गिराया जाने वाला था। भगवानदीन कहते हैं कि काफी मान-मनौव्वल और संघर्ष के बाद परिवार के रहने के लिए छत बची।

हास्पिटल में मौत से जूझ रही थी मां, उस दिन भी एक लड़के की बचाई जान

भगवानदीन की मां अचानक 2 साल पहले रसोई में बेहोश हो गईं। उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था। वह अपनी मां को एडमिट करा रहे थे। उसी वक्त कैंट थाने से 2 लड़कों को बचाने के लिए फोन आया। उस दिन भी भगवानदीन रूके नहीं, बल्कि नदी में छलांग लगा दी। हालांकि तब तक 15 मिनट निकल चुके थे। पर एक लड़के को बचा लिया। दूसरे लड़के की नदी से डेड बॉडी निकाली। फिर अस्पताल पहुंचे। इलाज के दौरान 2 दिन बाद मां का भी देहांत हो गया।

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