स्पाइडर मैन-डोरेमोन नहीं इन ट्वायज से बच्चे खेल-खेल में जानेंगे अपना कल्‍चर, ये है कीरत ब्रह्मा की क्रिएटिविटी

आज हम आपको ऐसे खिलौनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सिर्फ खिलौने नहीं, बल्कि खेल खेल में बच्चों को सांस्कृतिक विरासत की नॉलेज भी देते हैं।  बोडोलैंड के कीरत ब्रहमा पेशे से एनीमेशन डिजाइनर हैं।  एनआईडी, अहमदाबाद से डिग्री लेकर गांव लौटे और अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का फैसला लिया।

inspirational story of Ex animation designer Kirat Brahma who presents bodo culture to world through heritage toys zrua

गुवाहाटी। आपने मार्केट में तरह-तरह के खिलौने देखे होंगे। आजकल स्पाइडर मैन, बार्बी डॉल और डोरेमॉन के चरित्र बच्चों की जुबान पर है। आज हम आपको ऐसे खिलौनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सिर्फ खिलौने नहीं, बल्कि खेल-खेल में बच्चों को सांस्कृतिक विरासत की नॉलेज भी देते हैं। इतिहास के उन अनछुए पहलुओं को भी आम लोगों के बीच खास बनाकर पेश करते हैं। जिसके बारे में लोग ज्‍यादा नहीं जानते। हम बात कर रहे हैं बोडोलैंड (असम) के बक्सा स्थित रंगापानी गाँव के रहने वाले युवा किरात ब्रह्मा की। पेशे से एनीमेशन डिजाइनर ब्रह्मा एनआईडी, अहमदाबाद से डिग्री लेकर गांव लौटे और खिलौनों के जरिए अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का फैसला लिया। साल 2021 में जंकला स्टूडियो की नींव रखी। माई नेशन हिंदी से उन्‍होंने अपनी जर्नी शेयर की है। आइए उसके बारे में जानते हैं।

इनोवेशन के साथ सस्टेनेबल बिजनेस भी

कीरत ब्रह्मा कहते हैं कि वह ट्रेडिशनल कपड़े से ट्वायज बनाते हैं। ताकि बच्चे खेल-खेल में ट्वायज के जरिए अपने कल्चर के बारे में जाने। जैसे-बिरसा मुंडा के बारे में बहुत लोगों को पता नहीं है। पर स्पाइडर, डोरेमॉन के बारे में बच्चों को पता होता है, तो इसीलिए हमने यह मिशन शुरु किया। क्या पता कि बच्चे खेलते-खेलते यह सब समझ जाएं? अभी हम बोडो ट्राइब के साथ काम कर रहे हैं। खिलौनों के जरिए कल्चर को संरक्षित कर रहे हैं। इनोवेशन के साथ एक सस्टेनेबल बिजनेस भी कर रहे हैं और लोगों को एम्पलायमेंट मिल रहा हैं।

 

फिजिकली लोगों तक पहुंचा रहे कल्चर की नॉलेज

कीरत ब्रह्मा कहते हैं कि अभी काम करते हुए 5 से 6 महीना हुआ है। 12 से 15 लोग हमारे साथ जुड़े हुए हैं, जिनको फाइनेंसियली सपोर्ट मिल रहा है। हर सप्ताह हम लोग कुछ नया इनोवेशन करने की कोशिश करते हैं। बोडो संस्कृति के बारे में कम लोग जानते हैं। ये सिस्टम में फिजिकली गया ही नहीं। जैसे-सोशल मीडिया में आपने कुछ भी लिखा या डिजाइन बनाया तो उसे व्हाट्सएप या किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पुश कर दिया तो वह सोशल मीडिया के जरिए सोसाइटी में गया पर फिजिकली नहीं। हम लोग ट्वायज के साथ लर्निंग दे रहे हैं। खिलौनों के साथ उन चरित्रों के बारे में नॉलेज भी देते हैं और ट्वायज के साथ फिजिकली कल्चर की नॉलेज लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

गांव लौटें तो शुरु कर दी कम्पनी

कीरत ब्रह्मा कहते हैं कि हम लोग बाहर पढ़ाई करने जाते हैं। फिर जॉब करने के लिए वहीं रूक जाते हैं। सोचता था कि पढ़ाई करने के बाद हम लोग घर जाकर कुछ कर सकते हैं क्या? मैं अहमदाबाद, एनआईडी में आर्ट डिजाइन का स्टूडेंट था। एक छोटी सी कम्पनी भी खोली थी। पर फाइनेंसियल सपोर्ट नहीं था तो बंद करनी पड़ी। गांव वापस आया। उस समय तक वर्क फ्रॉम होम कल्चर एक्सेप्ट हो चुका था। यूएस की एक कम्पनी के साथ कंसल्टेंसी में काम कर रहा था। राम में उनके लिए काम करता था। दिन में अपने प्रोजेक्ट पर काम करता था। धीरे धीरे लगा कि इस पर पूरा फोकस करना है।

 

लॉचिंग डेट से पहले आ गए मार्केट में

कीरत ब्रह्मा कहते हैं कि साल 2021 में एक-दो प्रोटोटाइप बनाया था। बीच-बीच में पैसों के लिए प्रोजेक्ट करता रहता था। जनवरी 2023 में बीए-एमए पढ़े हुए बच्चे और हाउस वाइफ वगैरह हमसे जुड़ें तो इस काम ने सीरियस रूप अख्तियार कर लिया। एक प्रोग्राम के जरिए एक्सपोजर मिला। वहां पता चला कि ट्राइबल के लिए मैं अकेला नहीं बल्कि बहुत से लोग काम कर रहे हैं तो वहां जोश बढ़ा। नवम्बर में जंकला स्टूडियो लॉन्च करने की प्लानिंग थी। पर जनवरी में एक एग्जीबिशन में लोकल कम्युनिटी से अच्छा सपोर्ट मिला। खिलौने देखकर लोग सरप्राइज थे। स्थानीय संस्कृति को खिलौने के रूप में देखना उनके लिए सुखद अनुभव था। बस, तो वहीं से हमारा भी जज्बा बढ़ा और कारंवा आगे चल पड़ा।

विदेशों में भी आर्डर की चल रही बात

कीरत ब्रह्मा कहते हैं कि फिर हमने क्वालिटी और प्राइज पर काम किया। पांच से छह महीने में आर्डर पर काम करना शुरु किया। अभी रिटेलर वगैरह भी हमारे प्रोडक्ट को पूछ रहे हैं। आनलाइन वेबसाइट भी है। कीरत ने यह सारा काम बिना फंडिंग के शुरु किया। शुरुआत में 2 लाख रुपये पूंजी अपने पास से लगाई। अभी उनके पास गोवा, दिल्ली से आर्डर आए हैं। कारपोरेट आफिस भी उनसे खिलौने मंगाते हैं। विदेशों में भी आर्डर की बात चल रही है।

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