जिस 'स्कूल' में एडमिशन नहीं लेते थे बच्चे, वो कैसे बन गया 'आइडल'? वहां के 2 स्‍टूडेंट अब जाएंगे विदेश

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Sep 12, 2023, 8:24 PM IST

प्रतापगढ़ के लौहंगपट्टी स्थित राजकीय हाईस्कूल से 10वीं पास विनीत दुबे और प्रियांशु मौर्या एक सप्ताह के शैक्षणिक भ्रमण पर जापान जाएंगे। दोनों छात्रों की यह उप​लब्धि चर्चा में है। वजह भी खास है, आइए जानते हैं इसके बारे में विस्‍तार से।

प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ के लौहंगपट्टी स्थित राजकीय हाईस्कूल से 10वीं पास विनीत दुबे और प्रियांशु मौर्या एक सप्ताह के शैक्षणिक भ्रमण पर जापान जाएंगे। दोनों छात्रों की यह उप​लब्धि चर्चा में है। वजह भी खास है, क्योंकि जिस सरकारी स्कूल से पढ़े छात्रों ने जिले का नाम रोशन किया है, यह वही स्कूल है, जिसमें 2 साल पहले कभी 4-5 से ज्यादा बच्चों ने एडमिशन ही नहीं लिया। माई नेशन हिंदी से बातचीत करते हुए स्‍कूल के प्रिंसिपल डॉ. राजेंद्र कुमार कहते हैं कि यूपी बोर्ड की बीती हाईस्कूल की परीक्षा में उनके स्कूल के छात्रों ने जिले में प्रथम तीन स्थान हासिल किया था। 

अभाव में एजूकेशन का उजियारा फैला तो बना इतिहास

वैसे, कहने को यह स्कूल साल 2011 से ही चल रहा था। साल 2020 में डॉ. राजेंद्र कुमार के प्रिंसिपल बनने के बाद स्कूल में छात्रों की संख्या बढ़नी शुरु हुई। राजेंद्र कुमार ने इलाके में शिक्षा की अलख जगाई। पैरेंट्स को जागरुक किया और बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। अभाव में भी उजियारा फैलाने का उनका प्रयास प्रेरणादायक है। आइए जानते हैं ऐसे सरकारी स्कूल की सफलता की कहानी। जिसमें पैरेंट्स अपने बच्चों का दाखिला नहीं कराना चाहते थे। अब, वही स्कूल जिले में उदाहरण बनकर उभरा है। 

स्कूल पहुंचने का रास्ता भी दुर्गम

आपको जानकर हैरानी होगी कि चमरौधा नदी के किनारे स्थित राजकीय हाईस्कूल लौहंगपट्टी में पहुंचने का रास्ता भी आसान नहीं है। स्कूल के दोनों तरफ झाड़िया हैं। 2 साल पहले स्कूल में स्टूडेंट्स की संख्या मात्र 2 थी। उस समय डॉ. राजेंद्र कुमार जिले के बाघराय हरदोपट्टी स्थित एक स्‍कूल में कार्यरत थे और राजकीय हाईस्कूल लौहंगपट्टी के प्रिंसिपल रिटायर हो रहे थे तो राजेंद्र कुमार को लौहंगपट्टी स्कूल का भी चार्ज मिल गया। उस समय स्कूल की स्थिति बहुत खराब थी। कुछ समय बाद राजेंद्र कुमार की स्कूल में प्रिंसिपल के पद पर नियमित तैनाती हो गई। 

 

पहले सिर्फ 5 छात्र अब 100 से ज्यादा बच्चे 

डॉ. राजेंद्र कुमार ने तैनाती के तुंरत बाद छात्रों के एडमिशन का काफी प्रयास किया, पर स्कूल में सिर्फ 5-10 बच्चों ने प्रवेश लिया। अगले साल 40-42 बच्चों ने प्रवेश लिया। रिजल्ट अच्छा आया तो फिर बच्चे स्कूल में एडमिशन लेने लगें। मौजूदा शैक्षिक सत्र में 100 से ज्यादा बच्चों ने स्कूल में एडमिशन लिया है। 

परम्परागत तरीकों से हटकर कराते हैं पढ़ाई

डॉ. राजेन्द्र कुमार कहते हैं कि हम पढ़ाई के परम्परागत तरीकों से हटकर बच्चों को एजूकेशन देते हैं। कठिन विषय बच्चों को 'बिदाउट बेल' देर तक पढ़ाया जाता है। स्कूल में सिर्फ कक्षा 9 और 10 की क्लास चलती है। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी पर ज्यादा समय दिया जाता है। स्टूडेंट-टू-स्टूडेंट फोकस करते हैं। बच्चे स्कूल से गैरहाजिर न हों, इसलिए पैरेंट्स के संपर्क में रहते हैं। हमारे स्कूल में बच्चों की उपस्थिति 95 से 96 फीसदी तक है। अगर कोई बच्चा गैरहाजिर होता है तो उनके पैरेंट्स से बात करते हैं। इससे स्कूल में बच्चों का अटेंडेंस नियमित हो गया। इस उपलब्धि के लिए डॉ. राजेंद्र कुमार को शिक्षक दिवस पर सम्मानित भी किया गया था।

पढ़ाई में कमजोर बच्चों पर भी ध्यान

कहा जाता है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती है। पर प्रतापगढ़ के राजकीय हाईस्कूल, लौहंगपट्टी का रिजल्ट अलग तस्‍वीर पेश कर रहा है। डॉ. राजेंद्र कुमार कहते हैं कि जुलाई के बाद से अब तक सभी विषयों के 2-3 टेस्ट हो गए हैं, जो बच्चे पढ़ने में कमजोर होते हैं। उन पर भी ध्यान दिया जाता है कि ऐसे बच्चों को एजूकेशन की मुख्य धारा में कैसे जोड़ा जाए। 

 

राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट से हुआ चयन

भारत सरकार की योजना के तहत सरकारी स्कूल से हाईस्कूल पास ऐसे बच्चे, जो वर्तमान में सरकारी स्कूल में ही पढ़ रहे हों। यूपी बोर्ड की राज्यस्तरीय मेरिट सूची में प्रदेश भर से ऐसे 60 बच्चों का चयन किया गया है। ये बच्चे दिसम्बर महीने में शैक्षिक भ्रमण के लिए जापान  जाएंगे। उन्हीं बच्चों में राजकीय हाईस्कूल, लौहंगपट्टी से 10वीं पास विनीत दुबे और प्रियांशु मौर्या शामिल हैं। वर्तमान में यह बच्चे राजकीय इंटर कॉलेज, शुकुलपुर में कक्षा 11 में पढ़ रहे हैं।

मजदूर का बेटा प्रियांशु स्कूल से लौटकर बेचता है सब्जी

प्रियांशु मौर्या के पिता संतोष मौर्या मजदूरी का काम करते हैं। बड़ा भाई बीएससी कर रहा है। छोटी बहन श्रेया कक्षा 7 की छात्रा है। मॉं नीलम देवी ने कक्षा 9 तक पढ़ाई की है। प्रियांशु स्कूल से लौटने के बाद स्थानीय बाजार में सब्जी बेचने का काम करता है। 

विनीत दुबे के पिता राजस्थान में करते हैं प्राइवेट नौकरी

विनीत दुबे के पिता राजेश कुमार दुबे परिवार के पालन-पोषण के लिए राजस्थान में प्राइवेट नौकरी करते हैं। विनीत प्रतापगढ़ में ही अपनी मॉं कल्पना दुबे और भाई विवेक दुबे के साथ रहकर पढ़ाई करते हैं। उनका छोटा भाई भी राजकीय हाईस्कूल, लौहंगपट्टी में 10वीं क्लास में पढ़ रहा है। मॉं कल्पना दुबे खुद दोनों बच्चों को पढ़ाती हैं।

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