बुजुर्गों का क्लब 60: उन सीनियर सिटीजन के लिए बना मिसाल, जो घर बैठकर अपनी जिंदगी को लेकर रहते हैं उदास

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Jan 15, 2024, 11:02 PM IST

अक्सर 60 साल की उम्र पार करने के बाद लोग अपने जीवन को लेकर उदास हो जाते हैं। मेरठ के बुजुर्गों का क्लब 60 ऐसे लोगों को राह दिखाता है कि किस तरह क्रिएटिव काम कर ढलती उम्र में भी समाज के काम आ सकते हैं और सीना तानकर जीवन जी सकते हैं।

मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के शास्त्री नगर स्थित टैगोर पार्क में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ और जल संरक्षण का इंतजाम है। कबाड़ का यूज करके गमले बनाए गए हैं। पार्क में ​ओपन जिम भी है। हरे-भरे पार्क को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। दरअसल, इस पार्क की सुंदरता सीनियर सिटीजंस के ग्रुप क्लब-60 ने संजो रखी है। मेरठ के रहने वाले एमसी रस्तोगी ने करीबन 5 साल पहले 60 बुजुर्गों के साथ मिलकर क्लब-60 की शुरुआत की थी। सभी वरिष्ठ नागरिक एक दूसरे की मदद करते हैं। साथ ही योगा करते हैं और लोगों की मदद भी करते हैं। 

‘शिक्षा सेतु’ गरीब बच्चों की कर रहा हेल्प

क्लब-60 ‘शिक्षा सेतु’ नाम से गरीब बच्चों की शिक्षा में हेल्प भी कर रहा है। क्लब के संचालक हरि विश्नोई कहते हैं कि एक बार बेटे के सहपाठी ने बताया कि उसके पिता की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई और मॉं दिव्यांग है। वह खुद ही ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च निकालता है। यह सुनकर उन्होंने जरुरतमंद बच्चों की मदद करने का फैसला लिया।

बच्चों को उपलब्ध कराई जाती है ये सुविधा

सीनियर सिटीजन का एक ग्रुप जरुरतमंद बच्चों तक विभिन्न माध्यमों के जरिए जरुरी जानकारी पहुंचाने का काम करता है। शिक्षा से जुड़ी सरकारी योजनाओं की जानकारी के अलावा उनको शिक्षित करने का भी प्रयास किया जाता है। यह ग्रुप पहले निर्धन या पैरेंट्स की मृत्यु की स्थिति में ऐसे बच्चों की फीस माफ कराने का काम करता है। फिर उनके लिए किताबें, ड्रेस वगैरह की व्यवस्था कराई जाती है। फ्री कोचिंग की सुविधा भी दी जाती है। कॅरियर काउंसिलंग भी की जाती है, ताकि बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सके।

बुजुर्ग अंशदान से गरीब बच्चों की करते हैं मदद

यदि बच्चों की उम्र 18 वर्ष से अधिक है तो उन्हें स्वरोजगार के लिए ट्रेनिंग दिलाई जाती है और लोन प्राप्त करने में भी बुजुर्ग हेल्प करते हैं। क्लब के सदस्य मलिन बस्तियों में जाकर भी लोगों को पढ़ाने का काम करते हैं। गरीब बच्चों की मदद के लिए शिक्षा सेतु को बुजुर्गों के मित्र या परिवार के लोग अंशदान करते हैं। उसी पैसों को सीधे स्कूल या कॉलेज को भेजा जाता है।

स्वस्थ जीवन की तरफ ले जाता है सोशल वर्क

हरि विश्नोई कहते हैं कि उनकी तरफ से सोशल वर्क की शुरु की गई मुहीम ने रंग दिखाना शुरु कर दिया है। यदि जीवन में प्रसन्न रहना है तो तनाव से बचना चाहिए। रिटायरमेंट के बाद जब आपस में बातचीत करके लोग समाज के प्रति अपनी ड्यूटी निभाते हैं तो ऐसे काम लोगों को स्वस्थ जीवन की तरफ ले जाते हैं।

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