आठवीं पास चायवाले ने झुग्गी के बच्चों को दिया शिक्षा, बेटी विदेश की नौकरी छोड़कर पिता की मुहीम आगे बढ़ा रही है

By Kavish Aziz  |  First Published Jan 2, 2024, 11:47 PM IST

उड़ीसा के प्रकाश राव  आठवीं  पास  थे लेकिन सैकड़ो बच्चों की पढ़ाई का  बीड़ा उठाया। शिक्षा के लिए उन्होंने जो लौ जलाई थी उसके लिए प्रकाश राव को साल 2019 में पदम श्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने घर के एक कमरे में स्कूल बनाया था जिसमें सैकड़ो की संख्या में बच्चे आते थे पढ़ाई करने के लिए लेकिन साल 2021 में प्रकाश राव का निधन हो गया। लोगों को लगा कि अब प्रकाश राव का स्कूल बंद हो जाएगा लेकिन प्रकाश राव के सपने को पूरा किया उनकी छोटी बेटी भानु प्रिया ने जो विदेश में रहती थी।

उड़ीसा। आपने अक्सर सुना होगा लोगों को यह कहते कि "अरे हमारे पास तालीम नहीं है हम क्या ही काम कर पाएंगे", लेकिन यह कहानी है ऐसे शख्स की है जो आठवीं  पास था, शिक्षा हासिल करना चाहता था लेकिन आर्थिक तंगी ने एजुकेशन को उससे दूर कर दिया और तब उसने तय किया कि वह अपने जैसे गरीब बच्चों के लिए स्कूल खोलेगा। इस शख्स का नाम है प्रकाश राव जिसे उनके बेहतरीन काम के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। प्रकाश राव का जब निधन हुआ तो उनकी बेटी भानुप्रिया ने उनकी इस मुहिम को आगे बढ़ाया।   माय नेशन हिंदी से भानुप्रिया ने अपने और अपने पिता के बारे में विस्तार से बताया।

 



 

कौन है प्रकाश राव
प्रकाश राव उड़ीसा के स्लम  एरिया की एक झुग्गी में रहते थे । उनके पिता द्वितीय विश्व युद्ध लड़े थे। प्रकाश के पिता जब घर लौटे तो उन्होंने महज़ ₹5 से एक चाय की दुकान खोल दी जिस पर 7 साल की उम्र में प्रकाश राव बैठकर काम करने लगे। प्रकाश राव शिक्षा को लेकर बहुत अग्रेसिव थे। आर्थिक तंगी होने के कारण प्रकाश की पढ़ाई छूट गई और वह नियमित रूप से चाय की दुकान चलाने लगे। इसी के साथ प्रकाश राव ने साल 2000 में अपने घर में ही दो कमरे को स्कूल बना लिया और झुग्गी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने लगे। कुछ समय के बाद प्रकाश ने एक संस्था खोली जिसका नाम रखा "आशा ओ आश्वासन"  चाय की दुकान से जो अर्निंग होती थी उससे प्रकाश इन्हीं बच्चों की शिक्षा पर खर्च कर देते थे। और इस शानदार काम के लिए प्रकाश को साल 2019 में पदम श्री से सम्मानित किया गया। घर में प्रकाश राव की दो बेटियां थी बड़ी बेटी की शादी हो चुकी थी और छोटी बेटी भानु प्रिया विदेश में नौकरी करती थी।




 

पिता के सपने को पूरा किया भानुप्रिया ने
भानुप्रिया ने बताया कि वह विदेश में एक नौकरी करती थीं। कोविड के समय वह अपने पिता के पास आई थी तब उनके पिता काफी बीमार थे। उस वक्त प्रकाश राव ने भानुप्रिया से कहा था की कुछ भी हो जाए स्कूल मत बंद करना बच्चों की शिक्षा चलनी चाहिए। पिता से किया वादा निभाना के लिए भानुप्रिया ने विदेश की नौकरी छोड़ दी और उड़ीसा में रहकर पिता के अधूरे काम को पूरा करने लगी। हालांकि जिस तरह से प्रकाश राव बच्चों के लिए सब कुछ अरेंज कर रहे थे उस तरह भानु प्रिया को मैनेज करने में थोड़ी मुश्किल जरूर आई लेकिन वह कोशिश कर रही है। अपने पिता के स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को बेहतर स्कूलों में दाखिला दिलवा रही है।




बच्चों के लिए फंड रेज़ किया भानु प्रिया ने

भानुप्रिया ने बच्चों की शिक्षा के लिए फन रेस चैंपियन भी चलाया था उनका इरादा है बच्चों के लिए एक बड़ा स्कूल खोलने का और उसके लिए उन्हें फंड की जरूरत है। फिलहाल स्कूल में बच्चों को 5th क्लास तक की एजुकेशन दी जाती है और इसी शिक्षा से बच्चों का अच्छे स्कूलों में एडमिशन कराने का जमा भानुप्रिया ने ले रखा है उनका इरादा है पिता के स्कूल में 10th क्लास तक की क्लासेस चलें। पिताजी जो छोड़ कर गए थे उसको उनके हिसाब से चलाना थोड़ा मुश्किल हो रहा है लेकिन मैंने पिताजी से वादा किया है इसलिए हर हाल में उनके सपने को न सिर्फ पूरा करूंगी बल्कि उन सपनों को उड़ान दूंगी ताकि हर गरीब बच्चों को शिक्षा मिल सके।



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