आपने अक्सर सुना होगा की कोई बच्चों को फ्री में पढ़ा रहा है, कोई मुफ्त में खाना बांट रहा है। लेकिन आपने शायद ही सुना हो की सड़क पर घूमने वाले भिखारी को एक व्यक्ति उद्यमी बना रहा है। उन्हें कारोबार करने का तरीका बता रहा है. और अपने इस अभियान में अब तक वह 16 भिखारी परिवारों को कारोबारी बन चुका है। यही नहीं यह शख्स भीख मांगने वाले बच्चों के लिए स्कूल भी खोल चुका है जहां उन बच्चों को स्किल डेवलपमेंट के साथ-साथ पढ़ाया लिखाया जाता है ताकि वह आत्मनिर्भर बन सके।
बनारस के चंद्र मिश्रा भिखारियों को एंटरप्रेन्योर बनाने का अभियान चला रहे हैं। इन भिखारियों को पैसे कमाने और आत्मनिर्भर होने का तरीका सिखा रहे हैं चंद्र। चंद्र ने बैगर्स कॉरपोरेशन की स्थापना भी किया सिर्फ इसलिए ताकि सड़कों पर भीख मांगते लोगों को सक्षम बना सके। माय नेशन हिंदी से चंद्र मिश्रा ने अपनी जर्नी शेयर की।
कौन है चंद्र मिश्रा
चंद्र मिश्रा उड़ीसा के रहने वाले हैं। पहले वह पत्रकार थे दिल्ली में काम करते थे लेकिन पिता की मौत के बाद उनको उड़ीसा लौटना पड़ा। उन्होंने कॉमन मैन ट्रस्ट की स्थापना किया 1995 तक ट्रस्ट के तहत एक अखबार शुरू किया जो सिटीजन जर्नलिज्म पर आधारित था। बाद में चंद्र ने बेगर्स कॉरपोरेशन की स्थापना की। इस कंपनी का मोटिव था डोनेशन नहीं इन्वेस्टमेंट।
कैसे शुरू हुआ बैगर्स कॉरपोरेशन
चंद्र ने बताया कि दिसंबर 2020 की बात है जब वह पहली बार वाराणसी गए थे उन्होंने देखा कि घाट हो या मंदिर भीख मांगने वाले लोग हर जगह मौजूद हैं। उन्होंने वाराणसी के एक लोकल एनजीओ जन मित्र न्यास से संपर्क किया और बताया कि वह रोजगार पर काम करना चाहते हैं। चंद्र ने इन भिखारियों से बात किया और उन्हें अपने बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने भिखारी को कन्विंस किया की भीख मांगना छोड़कर काम करें। बनारस विजिट कम्प्लीट हुई तो चंद्र वापस ओड़िसा लौट गए लेकिन साल 2021 में जब दूसरी बार लॉकडाउन लगा तो इन्हीं भिखारियों ने चंद्र से मदद के लिए संपर्क किया। जनवरी 2022 में चंद्र ने अपने साथी देवेंद्र थापा और बद्रीनाथ मिश्रा के साथ मिलकर बैगर्स कॉरपोरेशन की स्थापना किया ।
एक महिला से हुई थी शुरुआत
चंद्रेश ने बताया की बनारस के घाट पर एक महिला भीख मांगती थी क्योंकि उसके पति ने उसे घर से निकाल दिया था। उस महिला की मुलाकात चंद्रेश से हुई तो चंद्रेश ने महिला को बैग बनाने की ट्रेनिंग दिलवाई। बैग बन कर तैयार हुए तो इन बैग्स को चंद्रेश ने एक प्रोग्राम में पहुंचाया जहां लोगों ने इसे काफी पसंद किया। आज वो महिला आत्मनिर्भर हो चुकी है और उद्यमी बन चुकी है।
अब तक 16 परिवारों की जिंदगी बदल चुके हैं बैगर्स कॉरपोरेशन
चंद्र कहते हैं कि अब तक वह 16 भिखारी परिवारों को उद्यमी बना चुके हैं। यह परिवार चंद्र के साथ बैग बनाने का काम करता है इनमें से तीन परिवार मंदिरों के बाहर पूजा सामग्री और फूलों की दुकान लगाते हैं। फंड के बारे में पूछने पर चंद्र ने बताया कि साल 2022 में उन्होंने एक कैम्पेन शुरू किया था जिसमें लोगों से उन्होंने ₹10000 इन्वेस्ट करने की बात कही थी ताकि भिखारियों के लिए वह काम कर सके। इस कैंपेन के तहत 57 लोगों ने डोनेशन दिया था और इसी डोनेशन से भिखारियों की ट्रेनिंग हुई उनका रोजगार सेटअप करने में मदद मिली।
स्कूल ऑफ़ लाइफ शुरू
बैगर्स कारपोरेशन के साथ-साथ चंद्र ने स्कूल आफ लाइफ भी शुरू किया। यह स्कूल उन बच्चों के लिए था जो वाराणसी में घाट किनारे भीख मांगते थे ऐसे बच्चों को इस स्कूल में पढ़ाया जाता है उनकी स्किल डेवलप किया जाता है ताकि वह अपने पैरों पर खड़े हो सके। चंद्र कहते हैं अपने अभियान को लेकर मैं हमेशा से बहुत क्लियर था इसीलिए मैं कहता था डोनेट मत करो इन्वेस्ट करो।
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Last Updated Jan 1, 2024, 10:52 PM IST