Exclusive: ब्लाइंड गर्ल्‍स को आत्मनिर्भर बनने में हेल्प...सुनसान सड़क पर भीख मांगते देख भर आई थी आंखें

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Mar 14, 2024, 9:32 PM IST
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कोविड महामारी के समय सुनसान रोड पर एक ब्‍लाइंड को भीख मांगते देख दिल पिघला। अब ब्लाइंड्स लड़कियों को आत्‍मनिर्भर बनने में मदद कर रहे हैं राम कुमार। दिल्‍ली के द्वारिका में ब्‍लाइंड गर्ल्‍स के लिए शेल्‍टर होम खोला।  जिनके पैरेंट्स नहीं, ऐसी लड़कियों को देते हैं स्कॉलरशिप। आइए जानते हैं उनकी इंस्पिरेशनल स्‍टोरी।

दिल्ली। बिहार के पटना की रहने वाली मेघा की 6वीं क्लास में ही आंखों की रोशनी चली गई। उन्हें कॅरियर गाइडेंस के साथ एग्जामिनेशन हॉल तक सपोर्ट मिला। अब रक्षा मंत्रालय में लोवर डिवीजन क्लर्क के पद पर नौकरी पाई है। असम की रहने वाली सिमू जन्म से ब्लाइंड हैं। जब उनके पिता को जानकारी हुई तो उन्होंने सिमू की मॉं को छोड़ दिया। उन्हें दिल्ली के एक शेल्टर होम में जगह मिली है। नेशनल ब्लाइंड टीम में प्लेयर हैं। टाइपिंग सीख रही हैं और गवर्नमेंट जॉब की प्रीपरेशन कर रही हैं।

बैटल फॉर ब्लाइंड्स फाउंडेशन (Battle For Blindness Foundation) के राम कुमार वह शख्स हैं, जो ऐसी ब्लाइंड्स गर्ल्स की आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं। हॉस्टल जैसी सुविधा वाला छोटा से शेल्टर होम खोला है। पढ़ाई लिखाई से लेकर कॉम्पिटिटिव एग्जाम प्रीपरेशन और इंटरव्यू तक की तैयारी में सपोर्ट करते हैं। माय नेशन हिंदी से उन्होंने दिल छू लेने वाली जर्नी शेयर की है। 

सुनसान सड़क पर भीख मांग रहे थे ब्लाइंड सीनियर सिटीजन

बिहार के रहने वाले राम कुमार दिल्ली में पढ़ाई के बाद ​एक रिक्रूटमेंट फर्म चला रहे थे। कोविड महामारी के दौरान ऐसा वाकया हुआ, जिसने उन्हें अदंर तक झकझोर दिया। कोविड से पीड़ित थे। दवा लेने मेडिकल स्टोर तक गए थे। उसी दरम्यान उन्होंने एक ब्लाइंड सीनियर सिटीजन को भीख मांगते देखा, जबकि सभी दुकाने बंद थीं। सड़क पर सन्नाटा पसरा था। यह देखकर उनकी आंखें भर आईं। खुद से सवाल पूछा कि ब्लाइंड लोगों के लिए क्या कर सकते हैं? महामारी के भीषण कहर के बीच भी दिल्ली में ही रहें। तय किया कि यदि जीवित रहूॅंगा तो ब्लाइंड सोसाइटी के लिए कुछ काम करूंगा। वह कहते हैं कि तब यही विचार आया कि यदि इन लोगों के लिए कुछ नहीं किया तो जीवन जीने का कोई महत्व नहीं है।

 

आवेदन से लेकर कॅरियर गाइडेंस तक शुरु किया सपोर्ट

कोविड महामारी का कहर कुछ कम हुआ तो एक ऑर्गेनाइजेशन से वालंटियर के रूप में जुड़ें। खुद बैंकिंग एग्जाम की तैयारी कर रहे थे। इसलिए एग्जाम प्रीपरेशन कैसे की जाती है, यह जानकारी थी। ब्लाइंड लड़कियों को सरकारी परीक्षाओं के लिए आवेदन करने, कॅरियर गाइडेंस, फाइनेंशियली सपोर्ट के साथ आउटडोर एक्टिविटीज में सपोर्ट करने लगे। साथ ही ऐसे लोगों को अवेयर करने लगें कि पढ़ाई के जरिए वह कैसे आत्मनिर्भर बन सकते हैं। पहली बार एक ब्लाइंड लड़के का नौकरी में सेलेक्शन हुआ तो उनके पिता ने अपने बेटे को आत्मनिर्भरता की राह दिखाने के लिए कॉल कर आभार जताया। राम कुमार कहते हैं कि तभी मैंने सोच लिया कि ब्लाइंड लोगों के लिए बड़ा काम करूंगा।

2022 में खोला शेल्टर होम, मंथली स्कॉलरशिप भी

राम कुमार का काम देखकर उनके शुभचिंतकों ने एनजीओ रजिस्टर्ड कराने का सुझाव दिया और फिर साल 2022 में बैटल फॉर ब्लाइंडनेस फाउंडेशन बनाई। फिर वह सोशल वर्क में ऐसा रमे की बाकि सारे काम पीछे छूट गए। द्वारिका इलाके में 8 ब्लाइंड गर्ल्स की कैपेसिटी का एक छोटा सा शेल्टर होम खोला। जिनके पैरेंट्स नही हैं, उन्हें 1200 रुपये मंथली स्कॉलरशिप उपलब्ध कराते हैं। रेलवे, बैंकिंग, एसएसबी जैसे प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाएं देने में उनकी मदद करते हैं। उनकी संस्था द्वारा लगभग 40 ब्लाइंड्स मदद पा रहे हैं। वह कहते हैं कि हर साल 5 से 7 बच्चों का सरकारी जॉब में सेलेक्शन होता है। 

 

बिहार में शुरू कर रहे स्कूल

राम कुमार कहते हैं कि पिता आर्मी में थे। शुरूआती दिनों से ही कुछ अलग करना चाहता था। कोविड महामारी के वाकये के बाद 400 से 500 ब्लाइंड लोगों से मिला। उनके भीख मांगने का कारण जाना। वह कहते हैं कि मुझे लगा कि यदि उनका जीवन बेहतर करना है तो ऐसे लोगों को एजूकेट करना होगा। अभी बिहार में ब्लाइंड लड़के और लड़कियों के लिए एक स्कूल शुरु करने जा रहे हैं। कुछ संस्थाओं ने मदद का आश्वासन दिया है। 

ज्वाइनिंग के बाद ब्लाइंड लड़कियों से लेंगे सिर्फ एक रुपये

वह कहते हैं कि ब्लाइंड गर्ल्स के कॉल आते हैं। कोई एडमिशन में मदद चाहता है तो किसी को गाइडेंस की जरूरत होती है। ऐसे लोगों से मिलते हैं। कुछ कॉलेज और संस्थानों का भी सहयोग है कि हम उनकी मदद कर पाते हैं। रूरल एरिया के लोगों को पता नहीं होता कि एग्जाम के लिए क्या करना है? इंटरव्यू की तैयारी कैसे करनी है? हम उनके प्रीपरेशन में सपोर्ट करते हैं। द्वारिका स्थिति शेल्टर होम में ब्लाइंड लड़कियों से कोई चार्ज नहीं लेते हैं। तय कर रखा है कि जिस लड़की का सेलेक्शन हो जाएगा। उससे ज्वाइनिंग के बाद एक रूपया लेंगे और उसे जीवन भर संभाल कर रखेंगे। 

 

इस तरह लोगों को कर रहें अवेयर

राम कुमार कहते हैं कि सोसाइटी में इतनी अवेयरनेस नहीं है कि यदि ब्लाइंड बच्चे एग्जाम देने जाए तो कोई उनके साथ जाए। लोगों को लगता है कि ऐसा करने पर पुलिस उन्हें पकड़ लेगी। इसकी वजह से ऐसे लोगों का एग्जाम छूट जाता है तो लोगों को अवेयर करता हूॅं कि कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। बस साथ में जाने वाला शख्स उससे कम योग्यता का होना चाहिए और यदि गवर्नमेंट जॉब के लिए एग्जाम है तो उसी एग्जाम की तैयारी करने वाला व्यक्ति साथ नहीं होना चाहिए। 

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