यूपी के रामपुर जिले के अमित वर्मा ने देश-विदेश में नौकरी की। उसी दरम्यान फॉर्म हाउस में उगाई गई आर्गेनिक सब्जियों का स्वाद चखा तो नया काम शुरू करने का आइडिया आया। अब नीति आयोग की 10 नामचीन लोगों की लिस्ट में शुमार हैं।
रामपुर। इलेक्ट्रानिक्स से बीटेक रामपुर (यूपी) के अमित वर्मा ने मार्केटिंग से एमबीए की डिग्री ली। 12 से 14 साल तक नौकरी करते रहें। उसी दरम्यान एक बार बिना केमिकल के उगाई गईं सब्जियां खाने का मौका मिला। स्वाद इतना भाया कि आर्गेनिक खेती का निर्णय लिया। साल 2019 में मिलेट्स (मोटा अनाज) पर काम शुरू कर दिया। माय नेशन हिंदी से बात करते हुए वह कहते हैं कि तब इस बारे में जानकारी नहीं थी। खासकर मिलेट्स के बारे में। जैविक किसान पदमश्री भारत भूषण त्यागी से राय ली। गांव से दूर रह रहे लोगों की जमीनें ली और अपने साथियों के साथ काम शुरू किया।
बच्चों को कर रहे कुपोषण मुक्त
वह कहते हैं कि अभी बच्चों को न्यूट्रीशन से भरपूर 'संवर्धन' नाम की मिलेट्स किट देकर कुपोषण मुक्त कर रहे हैं। अब तक करीबन एक लाख बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाई है। किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास में लगे हैं। लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए उनकी टीम को प्रधानमंत्री पुरस्कार-2022 भी मिल चुका है। नीति आयोग की देश भर के 100 नामचीन लोगों की लिस्ट में शुमार हैं। उत्तर प्रदेश सरकार भी उन्हें सम्मानित कर चुकी है।
एक बच्चे पर परीक्षण के बाद ऐसे बढ़ता गया कारवां
उनके काम का ग्राफ यूं ही नहीं बढ़ा, बल्कि एक ऐसा मौका आया, जब कुपोषित बच्चों पर उनके प्रोडक्ट का असर स्थानीय अधिकारियों ने देखा। दरअसल, एक बार रामपुर में एक कुपोषित बच्चे की हालत ज्यादा बिगड़ गई। डॉक्टरों की टीम गांव पहुंची तो बच्चे का परीक्षण किया। उसे पेट से जुड़ी दिक्कत थी। हमने पीड़ित को आंवले और हनी से बना एक जूस पिलाया। अगले दिन बच्चे को थोड़ी राहत मिली और भूख लगी। फिर उसे आर्गेनिक फूड खाने को दिया गया। कुछ ही दिनों में उसकी सेहत में सुधार दिखने लगा। यही प्रयोग कुपोषण के शिकार कुछ और बच्चों पर किया गया और फिर धीरे—धीरे हमारा कारवां एक से कई जिलों तक बढ़ता गया।
12 जिलों में कुपोषण के खिलाफ जंग
अमित वर्मा का कुपोषण से जंग लड़ने वाला प्रोडक्ट यूपी के 12 जिलों में कुपोषित बच्चों को उपलब्ध कराया जा रहा है। उनमें मुरादाबाद, हापुड़, फिरोजाबाद, संभल, रामपुर, फर्रूखाबाद, पीलीभीत, भदोही, कानपुर देहात, बुलदंशहर और अमरोहा जिले शामिल हैं। वह कहते हैं कि बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने वाली किट का खर्च मात्र 40 से 50 रूपये प्रतिदिन का है। अफसरों ने इसका असर देखा तो डिमांड बढ़ी। फिर प्रदेश भर में हमारे काम के लिए एक कार्यवृत्त जारी किया गया।
40 से ज्यादा प्रोडक्ट बना रहें
अमित अभी 40 से ज्यादा प्रोडक्ट बना रहे हैं। किसानों की आय बढ़ाने, कृषि उत्पादों की प्रॉसेसिंग करने और कृषि विविधिकरण के मकसद से एक प्रॉसेसिंग यूनिट भी शुरू की है। उनके एपीओ में 1550 रजिस्टर्ड किसान हैं। उनका दावा है कि उनमें से अब तक 17 फीसदी किसानों की आय भी बढ़ी है। तीन साल में लगभग 7 लाख रूपये डिविडेंट के रूप में किसानों को उपलब्ध करा चुके हैं। घर की महिलाओं को भी रोजगार दिया है।