लखनऊ के आदित्य तिवारी 14 साल की उम्र से सांपों को रेस्क्यू कर रहे हैं। बाइ प्रोफेशन आदित्य फोटोग्राफर है, लेकिन बचपन से उन्हें सांपों में दिलचस्पी थी। आदित्य अब तक 3000 से ज्यादा सांपों को रेस्क्यू कर चुके हैं साथ ही लखनऊ जू में सांपों को लेकर कार्यशाला आयोजित करते हैं जिसमें सांपों के प्रति लोगों के भ्रम को दूर करते हैं।
लखनऊ। आदित्य तिवारी को बचपन से ही सांपों से खेलने का शौक था। धीरे-धीरे इस शौक ने उनको इतनी प्रसिद्धि दिलाई कि वह उत्तर प्रदेश के बड़े स्नेक रेस्क्यूअर बन गए। आदित्य वर्कशॉप के जरिए लोगों को ट्रेनिंग देते हैं। माय नेशन हिंदी से आदित्य ने अपनी जर्नी शेयर की।
कौन है आदित्य तिवारी
आदित्य ने सोशल वर्क में ग्रेजुएशन किया है। उनके पिता गवर्नमेंट ऑफिसर थे जो कि रिटायर हो चुके हैं। उनकी मां हाउसवाइफ है। आदित्य चार भाई बहन हैं। आदित्य जब 14 साल के थे तब से स्नेक रेस्क्यू कर रहे हैं। अब तक वह 3000 से ज्यादा सांपों को रेस्क्यू कर चुके हैं वही सांपों को लेकर आदित्य लखनऊ जू में लोगों को वर्कशॉप के जरिए अवेयरनेस ट्रेनिंग देते हैं। आदित्य का फोटोग्राफी का बिज़नेस है जो वो अपने घर से ही रन करते हैं।
14 साल की उम्र में पड़ा पहले सांप
सांप रेस्क्यू करने की दिलचस्पी के बारे में आदित्य बताते हैं कि जब वह नाइंथ क्लास में थे तो उनके अपने घर में सांप निकल आया था। उन्होंने उस सांप को मोज़े में डाला लेकिन मोजे में छेद था इसलिए सांप निकल कर भाग गया जिस से घर में हंगामा मच गया। आदित्य कहते हैं मैं सांपों को लेकर हमेशा रिसर्च करता रहता हूं और इसलिए मैंने मोज़े का इस्तेमाल किया था क्योंकि यह पढ़ा था कि सांप किसी न किसी चीज में घुस जाता है। आदित्य ने किसी तरह उस सांप को रेस्क्यू किया, इस घटना के बाद सांपों को पकड़ने का सफर शुरू हो गया।
नौकरी के दौरान पहली बार काउंटर हुआ कोबरा से
आदित्य कहते हैं साल 2007 में ऑरकुट एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में मेरे सामने था। जहां मैं बैठकर लोगों से कनेक्ट होता था और सांपों के बारे में जानकारी लेता था, ऐसे कई लोग मेरे संपर्क में आए जिन्हें सांपों में दिलचस्पी थी और उन्हें सांपों के बारे में जानकारी भी बहुत थी। 2011 में ग्रेजुएशन के बाद मैंने रियल एस्टेट में नौकरी कर ली। मेरा ऑफिस पिपरसंड रेलवे स्टेशन के पास था। वहां पहली बार अजगर से मेरा काउंटर हुआ था। अजगर की सूचना पर फॉरेस्ट विभाग की टीम वहां पर आई और हम लोगों ने मिलकर उसे अजगर को रेस्क्यू किया जिसके बाद मैं फॉरेस्ट टीम के संपर्क में आ गया। उसके बाद कहीं से भी स्नेक रेस्क्यू की कॉल आती थी तो फॉरेस्ट वाले मुझे भेज देते थे।
पहली बार आदित्य को सांप से लगा डर
वैसे तो आदित्य सांपों से बिल्कुल नहीं डरते लेकिन अपना एक तजुर्बा शेयर करते हुए वह कहते हैं कि लखनऊ के बीकेटी में एक बार मुझे स्नेक रेस्क्यू करने के लिए बुलाया गया जहां भूसे में कोबरा बैठा था और वहां अनाज का ड्रम रखा था। ड्रम ईटों पर रखा था और ईंट के बीच में कोबरा बैठा हुआ था। मैंने कोबरा को पकड़ लिया। चूंकि रात का समय था तो एक लड़का मुझे टॉर्च दिख रहा था, टॉर्च की रोशनी में ही कोबरा को रेस्क्यू किया था। हालांकि मैंने कोबरा की पूंछ और टॉन्सिल पकड़ रखा था लेकिन कोबरा ने हिस किया जिससे टॉर्च दिखाने वाला लड़का डर गया और भाग गया। मेरे हाथ से कोबरा गिर गया और भाग गया। उस कोबरा को मैं रेस्क्यू नहीं कर पाया। उसके बाद मैं पूरी प्रिपरेशन के साथ कहीं भी जाता हूं सारे इक्विपमेंट लेकर, ताकि कहीं से भी चूक ना हो।
ऐसे करते हैं सांप रेस्क्यू
स्नेक रेस्क्यू करने के तरीके के बारे में आदित्य बताते हैं कि हमें जब कोई कॉल करता है और बताता है कि घर में सांप निकला है तो हम सबसे पहले यह कहते हैं कि उस सांप की फोटो खींच लीजिए ताकि हम आईडेंटिफाई कर सकें कि किस तरह का सांप है। जिस वक्त सांप निकले उसी वक्त फोन कीजिए ताकि हम बिल्कुल समय पर पहुंच जाएं। सांप जहां बैठा होता है उस जगह को छोड़कर हम पूरे कमरे की सफाई करते हैं क्योंकि अगर सांप की जगह पर हम जाएंगे तो सांप भागेगा। कमरे की सफाई के बाद हम अपना बैग खोल देते हैं जिसमें सांप खुद-ब-खुद आ जाता है।
सांपो को प्रति जागरूक करने के लिए आदित्य कराते हैं वर्कशॉप
आदित्य के साथ आज 40 लोगों की टीम काम करती है, हालांकि उनको कोई पेमेंट नहीं मिलता है लेकिन आदित्य को स्नेक रेस्क्यू करने का शौक है। वो कहते हैं कभी कभी ज़बरदस्ती कुछ लोग पैसा हाथ में थमा देते हैं। लखनऊ जू में वह वर्कशॉप में लोगों को सांपों के प्रति जागरूक करते हैं। सांप काटने पर क्या करना चाहिए, कहीं सांप दिख जाए तो क्या करना चाहिए इन तमाम सवालों के जवाब आदित्य अपनी वर्कशॉप में देते हैं।
जहरीले सांपों को पकड़ने में बरतते हैं सावधानी
सांप काटने के बारे में आदित्य कहते हैं नॉन वेनम सांपों ने मुझे बहुत काटा है, लेकिन कभी जहरीले सांपों ने नहीं काटा क्योंकि मैं खुद अपनी सुरक्षा को लेकर सहज रहता हूं। वह कहते हैं आजकल सांप को पकड़ने के दौरान फोटो वीडियो का चलन हो गया है इसलिए रेस्क्यूअर को सांप काटने के हादसे होने लगे हैं। आदित्य अब तक 3000 से ज्यादा सांपों को रेस्क्यू कर चुके हैं।
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