1000 जानवरों की मदद, 100 जानवरों की नसबंदी, 100 को आसरा दे चुकी हैं चारु खरे

By Kavish Aziz  |  First Published Aug 13, 2023, 5:35 PM IST

लखनऊ की चारु खरे बेजुबान जानवरों को आसरा देती हैं, उनकी सेवा करती हैं, उनको  खाना खिलाती है, उनका इलाज करती हैं, उनके लिए एडॉप्शन कैंप लगाती हैं। लोगों को देसी और विदेशी ब्रीड  के जानवरों में फर्क न करने के लिए जागरूक करती हैं। सड़क पर घूमने वाले  आवारा जानवरों की चारु नसबंदी कराती हैं।

lucknow girl charu khare helps domestic animals of street by giving them shelter, food and cure ZKAMN

लखनऊ. चारु खरे साल 2020 से बेजुबान जानवरों की सेवा का काम कर रही हैं।  इन जानवरों के लिए उन्होंने आसरा नाम की संस्था  बनाइए जिसके तहत बेजुबान जानवरों की सेवा की जाती है। उन्होंने एक सोशल मिडिया पेज भी बनाया है जिसके तहत लोगों को जानवरों के प्रति जागरूक किया जाता है। 

बेज़ुबान जानवरों की सेवा करती हैं 
सड़क पर घूम रहे बेजुबान जानवरों को खाना खिलाना हो, कोई जानवर घायल हो गया हो तो उसका इलाज कराना, जानवर किसी क्रूरता का शिकार हो जाए, इन सबके लिए चारु तैयार रहती हैं. चारू ने अपनी बहन पूर्णा के साथ इस काम को शुरू किया था। चारु के साथ राहुल और रजत भी इस मुहीम से जुड़े हुए हैं। रास्ते से गुज़रते समय चारु को कोई भी भूखा या घायल  जानवर दिख जाए तो वो उसे उठा लाती हैं उसको खाना खिलाती हैं और उचित इलाज करती हैं ।

lucknow girl charu khare helps domestic animals of street by giving them shelter, food and cure ZKAMN

 

पिता की मौत के बाद चारु ने शुरू किया जानवरों की सेवा 
अपनी पिता के निधन के बाद चारु ने यह काम शुरू किया। चूंकि चारु के पिता भी सड़कों पर रहने वाले बेजुबान जानवरों की सेवा करते थे। कोई जानवर भूखा घूम रहा हो तो उसे खाना खिलाते थे, किसी जानवर का एक्सीडेंट हो गया हो तो उसका इलाज कराते थे,चारु ने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि वह कोई संस्था खोलेगी जानवरों के लिए , लेकिन पिता की मौत के बाद चारु ने उनके किए अच्छे काम को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
साल 2020 में चारु के पिता का अचानक निधन हो गया। इस अचानक की मौत ने पूरे घर वालों को तोड़ कर रख दिया। उस वक्त चारु ने हिम्मत किया और तय किया कि उनके पिता जिस काम को लेकर सबसे ज्यादा समर्पित थे उस काम को आगे बढ़ाना है और वहीं से चारु ने 'आसरा द हेल्पिंग हैंड्स' के नाम से संस्था खोली।इस संस्था को चलाने के लिए चारु उनकी बहन पूर्णा, रजत और राहुल अपनी पॉकेट मनी से पैसा बचाकर हर महीने जानवरों पर खर्च करते हैं

डॉग एडॉप्शन का कैम्प लगाती हैं चारू 
देसी कुत्ते जो सड़क पर घूमते हैं जिन्हें कोई दुत्कार देता है, कोई भगा देता है, चारु ने इन कुत्तों के बारे में लोगों को समझाना शुरू किया साथ ही इनके लिए सोशल मीडिया पर एक पेज भी बनाया है। डॉग अडॉप्शन के लिए चारु अक्सर कैंप भी लगाती हैं। अब तक 1000  बेज़ुबानों की चारु मदद करकर चुकी हैं, 100 जानवरो को आसरा दिला चुकी हैं। 100 से ज़्यादा कुत्तों की नसबंदी करा चुकी हैं। चारु का कहना है नसबंदी न होने के कारण जानवरों की संख्या बढ़ रही हैं इसलिए सड़क पर घूमने वाले जानवरों की नसबंदी करने की ज़िम्मेदारी ले रखी है।  

लोगों को जानवरों के प्रति जागरूक करती हैं चारु 
चारु लोगों को इस बात के लिए जागरूक करती हैं की देसी और विदेशी ब्रीड में फर्क न करें। लॉक डाउन में बहुत से लोगों ने देसी जानवरो को खाना खिलाया , शेलटर दिया लेकिन लॉक डाउन खत्म होते ही  सबने जानवरों को सड़क पर आवारा फिरने के लिए छोड़ दिया। आज चारु को लोग जानवरो की मदद के लिए फोन करके भी बुलाते हैं , लखनऊ के बाहर से भी उन्हें एनिमल रेस्क्यू के लिए कॉल आती है। 

ये भी पढ़ें 

एम्बुलेंस नहीं आई, सड़क के किनारे, खुले आसमान के नीचे, राजभवन के गेट पर बच्चा जन्म दिया प्रसूता ने...

vuukle one pixel image
click me!
vuukle one pixel image vuukle one pixel image