अमरोहा की सड़कों पर पूजा अपनी बेटी को दुपट्टे से पेट पर बांधे ई रिक्शा चलाती हैं। पूजा को ई रिक्शा चलाने का शौक नहीं है बल्कि उनकी मजबूरी है। उनका पति शराबी था इसलिए पति को छोड़ दिया। मायके वालों ने साथ नहीं दिया। बस फिर क्या था अपनी तीन साल की बेटी का भविष्य बनाने पूजा निकल पड़ी सड़क पर और ई रिक्शा चलाना शुरू कर दिया।
लखनऊ. मेराज फ़ैज़ाबादी का एक शेर हैं 'चलो रेत निचोड़ी जाए अपने हिस्से में समंदर नहीं आने वाला'' ये शेर अमरोहा में ई रिक्शा चलाने वाली पूजा पर एक दम ठीक बैठता है। जी हां अमरोहा की सड़कों पर ई रिक्शा चलाने वाली एक पूजा पर हर राह चलने वाले की नजर पड़ती है। नज़र इसलिए नहीं पड़ती कि वह लड़की है बल्कि इसलिए पड़ती है कि वह अपने पेट पर दुपट्टे से अपने 3 साल के बच्चे को बांधती है और फिर ई-रिक्शा की हैंडल संभालती है और कमाने के लिए निकल पड़ती है। पूजा जब रिक्शा चलाती है तो कोई उन्हें योद्धा कहता है कोई झांसी की रानी। वैसे भी कहा गया है की इस दुनिया में मां सबसे बड़ी योद्धा होती है। पूजा का यह हर रोज का काम है।
कौन है पूजा
पूजा मुरादाबाद के थाना भोजपुर के श्यामपुर की रहने वाली है। पूजा की शादी साल 2016 में हुई थी, हर लड़की की तरह वह भी शादी के बाद की जिंदगी के खूबसूरत सपने देख कर ससुराल पहुंची थी। पूजा ने सोचा था प्यार करने वाला पति मिलेगा, चाहने वाले सास-ससुर मिलेंगे, लेकिन सब कुछ उसकी सोच के विपरीत हो गया। पूजा का पति शराबी निकला। ससुराल में घरेलू हिंसा का शिकार हुई और पति शराब पीकर मारता पीटता रहा । इसी दौरान बेटी ख्वाहिश पैदा हो गई पूजा को लगा कि शायद बेटी का मुंह देख कर उसका पति सुधर जाए लेकिन पति की प्रताड़ना बढ़ती चली गई ससुराल वाले भी पूजा का साथ देने के बजाय अपने बेटे का साथ देते थे। पूजा ने कई साल तक अपनी शादी निभाने की कोशिश किया। जब लगा कि अब बातें बेहतर नहीं हो सकती हैं तो पूजा ने अपनी बच्ची लिया और मायके चली आई।
मायके वालों ने दिया ताना
पुराने लोग एक कहावत कह गए हैं शादीशुदा लड़की का कोई घर नहीं होता। ससुराल से जब वह निकाली जाती है तो मायके वाले भी उसे बोझ समझ लेते हैं पूजा के साथ भी ऐसा ही हुआ मायके वालों ने उसे ताना देना शुरू कर दिया। आस-पड़ोस के लोगों ने सवाल करना शुरू कर दिया। किसी ने यह नहीं सोचा कि पूजा ने एक शराबी के साथ इतने साल रिश्ता निभाने के लिए गुज़र किया। किसी ने यह नहीं सोचा की पूजा ससुराल में मार खाती रही इसके बावजूद इतने साल तक वह अपने ससुराल में टिकी रही। सवाल बस यह था कि पति का घर क्यों छोड़ा।
पूजा आत्मनिर्भर हो गई
मायके वालों का ताना सुनकर पूजा ने मायका भी छोड़ दिया और अमरोहा की एक बस्ती में अपना ठिकाना बना लिया। किराये का मकान लिया रहने के लिए और पेट पालने के लिए ब्याज पर कर्ज लेकर तीस हजार में एक पुराना ई-रिक्शा खरीदा। पूजा हर रोज सुबह अपनी 3 साल की बच्ची को पेट पर दुपट्टे से बांधती है और कमाने के लिए निकल पड़ती है। पूजा अपनी बेटी को पढ़ाना चाहती है उसे अधिकारी बनाना चाहती है।अपनी बेटी को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है । अपनी बेटी के भविष्य के लिए पूजा सुबह 8 बजे से रात के 10 बजे तक मेहनत करती है ताकि उनकी बेटी का कल सुनहरा बन सके ।
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