कोरोना महामारी के समय जॉब छोड़ी। घर बैठे-बैठे कान्हा जी की पोशाक बनाई। सोशल मीडिया पर अच्छा रिस्पांस मिला, काम आगे बढ़ाया। अब एक फैक्ट्री की मालकिन हैं मथुरा की सीमा छापड़िया। 30 महिलाएं को रोजगार भी। पढ़िए उनकी इंस्पिरेशन स्टोरी।
मथुरा। भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा की रहने वाली सीमा छापड़िया एक स्कूल में जॉब करती थी। साल 2020 में कोरोना महामारी के समय जॉब छोड़नी पड़ी। बचपन से ही सिलाई-कढ़ाई का शौक था। खाली समय में घर बैठे-बैठे कान्हा जी की पोशाक (ठाकुर जी की पोशाक) बनाई। माय नेशन हिंदी से बातचीत में वह कहती हैं कि मेरे पति नीरज छापड़िया को पोशाक बहुत सुंदर लगी। उन्होंने इसे बिजनेस में कनवर्ट करने का सुझाव दिया तो घर पर ही 30 डिजाइनर पोशाक बनाकर सोशल मीडिया (व्हाट्सअप, फेसबुक वगैरह) पर डाला। लोगों का अच्छा रिस्पांस मिला। घर से ही एक टेलर के साथ काम शुरु कर दिया। समय के साथ बिजनेस बढ़ा तो आसपास की महिलाओं को भी काम से जोड़ा। अब वह एक फैक्ट्री की मालकिन हैं। 30 महिलाओं को रोजगार भी दिया है।
घर से बनानी शुरु की कान्हा जी की पोशाक
सीमा कहती हैं कि कोराना महामारी के समय बहुत इंफेक्शन फैला था। घर में छोटे-छोटे बच्चे थे। यह सब देखते हुए जॉब छोड़नी पड़ी। सितम्बर 2020 में काम शुरु किया। जब घर पर अपने ठाकुर जी की पोशाक बनाई तो पति को बहुत जंची। उन्हीं की सलाह पर 30 पोशाक बनाकर सोशल मीडिया पर डाला। अच्छा रिस्पांस मिलने के बाद एक टेलर रखा और फिर धीरे-धीरे 2-3 टेलर रखें। घर से ही रिटेल में काम शुरु कर दिया। फिर पति ने यह काम होलसेल में करने का सुझाव दिया।
गांव की महिलाओं को सिखाया काम, बनाया आत्मनिर्भर
गांव की महिलाएं भी कुछ करना चाहती हैं। पैसा कमाना चाहती हैं। पर उन्हें सही प्लेटफॉर्म नहीं मिल पाता है। सीमा ने ऐसी महिलाओं को अपने काम से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य बनाया। उन्होंने गांव की महिलाओं से बात की। उनके परिवार को काम की लोकेशन दिखाई। सुरक्षा का भरोसा दिलाया। धीरे-धीरे उनके साथ महिलाएं जुड़ीं, उन्हें काम सिखाया। जुलाई 2022 में कान्हा जी की पोशाक बनाने की फैक्ट्री शुरु कर दी। अब उनकी फैक्ट्री में 30 महिलाएं काम कर रही हैं।
कोरोना महामारी के बाद बदल गई जिंदगी
सीमा को शुरुआती दिनों से ही सिलाई-कढ़ाई, पेंटिंग, कुकिंग का शौक था। यूट्यूब पर भी कुकिंग सिखाती हैं। पर पोशाक बनाने के काम में इंटरेस्ट बढ़ा तो इससे बढ़िया कुछ काम नहीं लगा और सब कुछ छोड़कर पोशाक बनाने में जुट गईं। वह कहती हैं कि कोरोना ने लाइफ को एक नया मोड़ दे दिया। इंटरेस्ट ही कॅरियर बन गया। जीवन में कभी भी नहीं सोचा था कि इस क्षेत्र में इतना आगे रहूंगी। पति ने सपोर्ट किया तो आज इस मुकाम पर बैठी हूॅं। उनकी बनाई पोशाक मथुरा और वृंदावन में पंसद की जाती है। फैक्ट्री में महिलाएं ओवरटाइम काम भी करती हैं।
महिलाओं को दिया ये संदेश
वह कहती हैं कि महिलाओं को घर में जब तक पुरुषों का सपोर्ट नहीं मिलता है, उन्हें दिक्कत आती है। महिलाओं को अगर लगता है कि वह कुछ कर सकती हैं तो उन्हें घर से ही काम शुरु कर उसे बढ़ाने की कोशिश करते रहना चाहिए। पुरूषों से अपील है कि वह महिलाओं को प्रमोट करें। इससे पारिवारिक जीवन सुखमय बन जाता है। उनका कहना है कि महिला और पुरूष को सामंजस्य बनाकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। अपनी सभ्यता और संस्कृति नहीं छोड़नी चाहिए। परिवार के प्रति कर्त्तव्य समझना चाहिए और उन्हें निभाना भी चाहिए।