नोएडा में एक फेरी वाले के बेटे ने अपने पैशन के लिए आईआईटी दिल्ली की सीट छोड़ दी। नोएडा सेक्टर 38 में तौलिया बेचने वाले बलवंत सिंह के बेटे सुजल ने आईआईटी दिल्ली में एडमिशन लिया लेकिन कम्प्यूटर साइंस में दिलचस्पी की वजह से सीट छोड़ दिया। बलवंत सिंह जो दिन रात खुले आसमान के नीचे मेहनत करते हैं , उन्हें अपने बेटे के फैसले पर बिलकुल अफ़सोस नहीं है। वो कहते हैं उसका करियर है बेहतर समझ रहा होगा।
नोएडा.गरीब हो या अमीर हर माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ने के लिए हर मुमकिन कोशिश करते हैं और बच्चे जब मां-बाप की मेहनत का सिला देते हैं तो मां बाप का कलेजा फख्र से चौड़ा हो जाता है। नोएडा के फेरी वाले बलवंत सिंह जो सड़क किनारे सामान बेचने का काम करते हैं अपने बेटे पर गर्व करते हैं. हाल ही में उनके बेटे ने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई के लिए आईआईटी दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग की सीट छोड़ दी क्योंकि उसे कम्प्यूटर साइंस में दिलचस्पी थी। बहुत तेज़ दिमाग के स्टूडेंट्स ही आईआईटी दिल्ली में एडमिशन ले पाते हैं और सस्टेन कर पाते हैं। ऐसे में ये फैसला लेना हैरत की बात है ।
नोएडा में तौलिया बेचते हैं बलवंत
47 साल के बलवंत सिंह नोएडा में ग्रेट इंडिया पैलेस मॉल के पास तो तौलिया बेचते हैं। पिछले 28 साल से वह सड़क के किनारे सामान बेचने का काम करते हैं। बलवंत मूल रूप से अलीगढ़ के रहने वाले हैं लेकिन रोजी रोटी कमाने के लिए नोएडा चले आए। नोएडा अट्टा मार्केट से दिल्ली के भजनपुरा में एक किराए के घर में बलवंत का पूरा परिवार रहता है। बलवंत हर रोज सुबह 9 बजे घर से निकलते हैं और नोएडा सेक्टर 38 के पास एक ठेलिया पर अपनी तौलिये की दुकान लगाकर बैठ जाते हैं। धूप हो, गर्मी हो, बारिश हो, बलवंत का हर रोज का यह मामूल है और इसी से उनका घर चलता है।
बलवंत के बेटे ने छोड़ा आईआईटी की सीट
बलवंत के बेटे सुजल सिंह ने आईआईटी दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में एडमिशन लिया लेकिन सुजल को दिलचस्पी कंप्यूटर साइंस में है इसलिए उसने आईआईटी की सीट छोड़ने का फैसला किया और दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई का फैसला लिया। हालांकि दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी की सालाना फीस दो लाख रुपये है और बलवंत सिंह जैसे रोज कमाने खाने वाले शख्स के लिए मुश्किल भरा काम है लेकिन बलवंत कहते हैं मेरा बच्चा पढ़ने में बहुत अच्छा है। उसको पढ़ाने के लिए मैं जान की बाजी लगा सकता हूं। इसके पहले भी मैंने सुजल के कॉलेज की फीस जमा करने के लिए उसके चाचा से एक लाख रुपया उधार लिया था। बलवंत को इस बात का बिलकुल गम नहीं है की उनके बेटे ने आईआईटी की सीट छोड़ दी, वो कहते हैं मैंने अपने बच्चो को कभी करियर के लिए फ़ोर्स नहीं किया, मेरे बच्चे जो पढाई कर रहे हैं वो मेरी जेब के लिए अफोर्डेबल तो नहीं है लेकिन जैसे आज तक मैं उनका हर खर्च आराम से वहन कर रहा हूं आगे भी करूँगा। मैं बस उनको भविष्य में चमकते हुए देखना चाहता हूं ।
महीने में बीस हज़ार कमाते हैं बलवंत
बलवंत कहते हैं मुझे दिन भर में 4 से 5 ग्राहक मिल जाते हैं महीने में बीस हज़ार कमा लेता हूं मेरा बेटा पढ़ाई लिखाई में तेज है और मेहनती है सुबह जल्दी उठ जाता है और देर रात तक पढ़ाई करता है। आधी रात में भी अगर मेरी आंख खुलती है तो देखता हूं मेरा बच्चा पढ़ रहा है
बलवंत कहते हैं सुजल ने 12वीं कक्षा में फिजिक्स वाला के साथ ऑनलाइन क्लासेस लिया था और उसके बाद जी मेंस में 99.5% अंक हासिल किया। वहीं उनकी बेटी बीएससी कर रही है और साथ में यूपीएससी की तैयारी कर रही है।
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