85 जानवरों का शेल्टर है इनका घर, बेजुबानों की सेवा के लिए मां ने बेच दिए गहने

By Kavish Aziz  |  First Published Dec 6, 2023, 5:42 PM IST

सुषमा की उम्र 42 साल है। जब वह छोटी बच्ची थी तब से उन्हें जानवरों से लगाव था। और 9 साल की उम्र से उन्होंने जानवरों को अपने घर में शेल्टर देना शुरू कर दिया। पिछले 30 साल से सुषमा इन जानवरों की सेवा पूरे समर्पण के साथ कर रही है। इन जानवरों की देखभाल के लिए सुषमा ने शादी भी नहीं किया। 

पंजाब। पटियाला की सुषमा सिंह जब 9 साल की थी तब पहली बार उन्होंने जानवर को रेस्क्यू करना शुरू किया था। तब से लेकर आज तक उनकी जिंदगी सिर्फ जानवरों की देखभाल के लिए समर्पित है। सुषमा के घर में इस वक्त 85 जानवर है जिनका वह ख्याल रखती हैं।  खाने से लेकर उनका मेडिकल ट्रीटमेंट देने का काम सुषमा  करती हैं।  इसके अलावा सुषमा हर रोज 300 बेजुबानों का पेट भरती हैं।माय नेशन हिंदी से सुषमा ने इन बेज़ुबानों के साथ के अपने रूटीन को शेयर किया।

कौन है सुषमा

सुषमा पंजाब के पटियाला में रहती हैं घर में उनके साथ उनके भाई और 70 साल की मां रहती हैं। एक प्राइवेट कॉलेज में सुषमा जॉब करती हैं और अपनी पूरी सैलरी से बेजुबान जानवरों की देखभाल करती हैं। सुषमा की उम्र 42 साल है लेकिन उन्होंने शादी नहीं किया। इन जानवरों की देखभाल के लिए सुषमा ने चौपाइयां जीव रक्षा फाउंडेशन नाम से एक संस्था भी बनाया है। संस्था में जो भी फंड आता है वह बेजुबान जानवरों पर खर्च किया जाता है।

मां ने बेच दिए गहने

पिछले 30 साल से सुषमा बेजुबान जानवरों की सेवा कर रही है। कोई भी घायल या बीमार जानवर मिलता है तो सुषमा उसे अपने घर ले आती हैं और उसकी देखभाल करती  हैं।  इस काम के लिए सुषमा की मां ने अपने सारे गहने बेच दिए। हर रोज सुषमा अपने इलाके के सभी जानवरों को खाना देने का काम करती  हैं।  इसके अलावा उन्होंने एक टारगेट बना लिया है की 300 जानवरों को हर हाल में वह खाना खिलाती रहेंगी। सुषमा के पास जो भी सेविंग थी वह इन जानवरों की सेवा में खर्च कर दी।

 

कॉलेज टाइम में मां रखती है जानवरों का ख्याल

सुषमा जब कॉलेज चली जाती है तब उनकी मां जानवरों का ख्याल रखती है। इस काम में उनके भाई भी अपना सहयोग देते हैं। सुषमा कहती है मैं अपनी सैलरी इन जानवरों पर खर्च करती हूं।  इसके बावजूद चूंकि 85 जानवर घर में है और 300 जानवरों को खाना खिलाने का डेली का टारगेट है।  इसलिए फंड की जरूरत रहती है और इसीलिए मैंने चौपाया जीव रक्षा फाउंडेशन एनजीओ खोला था ताकि लोग इन जानवरों के लिए मदद कर सकें। 

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