हर्ष कुमार भानवाला के पास टिकाऊ एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने का 36 वर्षों का एक्सपीरियंस है। मैनेजमेंट से पीएचडी भानवाला राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) से डेयरी प्रौद्योगिकी में स्नातक भी हैं। विज्ञान में डॉक्टरेट की मानद डिग्री भी प्राप्त है।
नयी दिल्ली। देश के प्रतिष्ठित संस्थानों IIT-IIM के छात्र दुनिया भर की कम्पनियों के साथ काम कर रहे हैं। उनमें ऐसे भी हैं, जो अपने मेहनत और काबिलियत के दम पर हजारो करोड़ की कम्पनियों के शीर्ष पद तक पहुंचे। उन्हीं में से एक हैं हर्ष कुमार भानवाला। IIM अहमदाबाद से पढ़ाई की। दिसम्बर 2013 से मई 2020 तक नाबार्ड (NABARD) के अध्यक्ष रहे। अब एचडीएफसी बैंक में तीन साल के लिए अतिरिक्त स्वतंत्र निदेशक नियुक्त किए गए हैं। जिसका मार्केट कैपिटल वर्तमान में 11,62,000 करोड़ रुपये है।
एमसीएक्स के गैर कार्यकारी अध्यक्ष भी
हर्ष कुमार भानवाला की एचडीएफसी बैंक में स्वतंत्र निदेशक के पद पर नियुक्ति शेयर धारकों की मंजूरी के अधीन है। उनकी नियुक्ति 25 जनवरी, 2024 से 24 जनवरी, 2027 तक प्रभावी रहेगी। वैसे मौजूदा समय में वह एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड) के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष हैं। नाबार्ड का शीर्ष पद संभालने से पहले हर्ष कुमार, इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (आईआईएफसीएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे। वैसे वह आईआईएम रोहतक और बेयर क्रॉप साइंस लिमिटेड के बोर्ड में भी हैं और निदेशक के रूप में भी कार्य करते हैं।
36 साल का अनुभव
हर्ष कुमार भानवाला के पास टिकाऊ एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने का 36 वर्षों का एक्सपीरियंस है। मैनेजमेंट से पीएचडी भानवाला राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) से डेयरी प्रौद्योगिकी में स्नातक भी हैं। विज्ञान में डॉक्टरेट की मानद डिग्री भी प्राप्त है, जो तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर और इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च की ओर से उन्हें दी गई है। सेबी के सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई-टीजी) टेक्निकल ग्रुप के अध्यक्ष रहे हर्ष कुमार सरकार के नियामक प्राधिकरणों की अलग अलग समितियों में भी रहें।
नाबार्ड की संपत्ति में हुआ था इजाफा
रिपोर्ट्स के अनुसार, नाबार्ड में उनके कार्यकाल के दौरान ऐसा समय भी आया। जब नाबार्ड की संपत्ति में इजाफा हुआ और वह 254,574 करोड़ रुपये से बढ़कर 487,500 करोड़ रुपये हो गई थी। वह ऐसा दौर था। वह मानते हैं कि यदि कोई संस्था, समाज में मूल्य आधारित काम नहीं करती है, मतलब कि वह समाज में मूल्य नहीं जोड़ती है तो उस संस्थान को प्रासंगिक संस्थान के रूप में नहीं देखा जाएगा। मजबूत प्रौद्योगिक मंच के बिना कोई भी संगठन आगे नहीं बढ़ सकता।