फुटकर से फॉर्च्यून: ऑफिस में लगी आग ने बनाया 6500 करोड़ का बिजनेस, दुनिया भर में फैला​ कारोबार

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Oct 11, 2024, 1:42 PM IST

फुटकर से फॉर्च्यून की कहानी। जानिए कैसे रामेश्वर लाल काबरा ने एक आग से प्रेरित होकर 6500 करोड़ का बिजनेस खड़ा किया और 95 देशों में फैलाया आरआर काबेल का कारोबार।

नई दिल्ली। एक आइडिया एक छोटे से फुटकर बिजनेस को एक ग्लोबल ब्रांड में बदल सकता है। दिल्ली के रामेश्वर लाल काबरा की कहानी इसका जीवंत उदाहरण है। वह केबल और तार का थोक और रिटेल बिजनेस करते थे। उसी दौरान एक आपदा ने उनके लिए नए अवसरों के दरवाजे खोल दिए। एक साधारण केबल सप्लाई का बिजनेस आज 6,500 करोड़ रुपये की कंपनी में तब्दील हो चुका है। आइए जानते हैं आरआर काबेल के सफलता की कहानी।

कैसे शुरू हुआ आरआर काबेल?

आरआर काबेल की कहानी की शुरुआत 1990 के दशक में हुई जब रामेश्वर लाल काबरा दिल्ली में केबल और तार का थोक और फुटकर कारोबार करते थे। उन्‍हें काम में लगातार सफलता मिल रही थी, लेकिन एक घटना ने सबकुछ बदल दिया। गोदाम में आग लग गई, जिसने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि यदि केबल का निर्माण सुरक्षा मानकों पर आधारित हो तो बाजार में उनकी भारी मांग हो सकती है। इसी आइडिया के साथ काबरा ने अपने प्रोडक्शन यूनिट की शुरूआत की।

1991 में तार और केबल के निर्माण की शुरुआत

1991 में काबरा ने तार और केबल के निर्माण की शुरुआत की। उनकी कंपनी ने तारों के साथ-साथ स्विच, पंखे, लाइटिंग और स्विचगियर जैसे उपकरणों का भी निर्माण शुरू किया। काबरा का मुख्य ध्यान हमेशा हाई क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स के निर्माण पर रहा, और उन्होंने नई टेक्नोलॉजी का यूज कर कंपनी को एक प्रमुख ब्रांड बना दिया। 1994 में काबरा ने दादरा और नगर हवेली में एक वाइंडिंग वायर फैक्ट्री स्थापित की। धीरे-धीरे व्यापार बढ़ता गया। 1999 में आरआर काबेल की स्थापना हुई और सिलवासा में आधुनिकतम सुविधा वाली फैक्ट्री लगाई गई। इसी के साथ कंपनी ने नए-नए बाजारों में कदम रखा।

जर्मन तकनीक पर आधारित प्रोडक्टस

आरआर काबेल की खासियत यह है कि उनकी केबल्स जर्मन तकनीक पर आधारित हैं और कुछ प्रोडक्ट 900 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को भी सहन कर सकते हैं। इससे उनकी केबल्स को औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोग के लिए अत्यधिक सुरक्षित और भरोसेमंद माना जाता है। 1986 में वडोदरा में एक छोटी वाइंडिंग वायर निर्माण इकाई के साथ शुरू हुई यात्रा में केवल 27 करोड़ रुपये की पूंजी थी। लेकिन निरंतर मेहनत ने इस कंपनी को एक वैश्विक ब्रांड में बदल दिया। आज, आरआर काबेल 95 से अधिक देशों में अपने उत्पाद निर्यात करती है।

87% रेवेन्यू केबल्स और तार से

आरआर काबेल की एक और बड़ी उपलब्धि तब सामने आई जब उन्होंने भारत में पहली बार इलेक्ट्रो-मैकेनिकल मल्टी-लेवल कार पार्किंग सिस्टम लॉन्च किया। इससे कंपनी ने औद्योगिक और आवासीय उत्पादों के साथ-साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भी कदम रखा। आरआर काबेल के सबसे प्रमुख उत्पाद उनके तार और केबल्स हैं। कुल राजस्व का 87% इन्हीं से आता है। कंपनी का निर्यात भी काफी मजबूत है, और यह कुल राजस्व का लगभग 24% योगदान करता है। कंपनी की वैश्विक पहुंच बढ़ती जा रही है और वे हर साल 20% की वृद्धि का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।

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