मुंबई की दिशा पंड्या ने 'एकॉन्ड्रोप्लासिया ड्वार्फिज्म' के साथ जन्म लिया और 17 बार इंटरव्यू में रिजेक्ट होने के बाद भी हार नहीं मानी। अब वह एक सफल अंतरराष्ट्रीय पैरा-एथलीट हैं और 'द लिटिल पीपल ऑफ इंडिया' के जरिए छोटे कद के लोगों को नौकरियां दिलाने में मदद कर रही हैं।
नयी दिल्ली। मुंबई की दिशा पंड्या 'एकॉन्ड्रोप्लासिया ड्वार्फिज्म' के साथ जन्मी मतलब जन्म से बौनापन की प्रॉब्लम। जब वह 6 साल की थीं तो उनसे अक्सर पूछा जाता था कि क्या सर्कस से आई हो? स्कूल के हर नये बैच से डरती थीं, क्योंकि बच्चों के ताने सहने पड़ते। कभी-कभी इतनी दुखी हो जाती थीं कि टीचर्स और पैरेंट्स के सामने रोती थीं। उनके माता—पिता भी बौने थे तो वह भी रोते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि उनकी वजह से दिशा पंड्या का कद छोटा है। कॅरियर में भी दिक्क्तें झेलीं। 17 बार इंटरव्यू से रिजेक्ट हुईं। पर हिम्मत नहीं हारी। अब अंतरराष्ट्रीय पैरा-एथलीट हैं। दूसरों को नौकरियां दिलाने में मदद कर रही हैं। आइए जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी।
प्रोफेशनल ग्राफिक डिजाइनर हैं दिशा पंड्या
4 फीट 2 इंच कद की दिशा पंड्या नौकरियों के इंटरव्यू में 17 बार रिजेक्ट हुईं तो ऐसा काम करने के बारे में सोचा। ताकि बौनेपन की वजह से किसी और को इंटरव्यू में रिजेक्शन न झेलना पड़े। इंटरव्यू में उनसे कहा जाता था कि सब कुछ ठीक है, पर आप थोड़े अलग हो। आपको रखेंगे तो बाकि कर्मचारी खुद को सहज महसूस नहीं करेंगे। बहरहाल, उन्होंने एचडीएफसी बैंक, बिसलेरी जैसी कंपनियों में नौकरी की। 12 साल का अनुभव हासिल करने के बाद रिच इंडिया में कार्यरत हैं। प्रोफेशनल ग्राफिक डिजाइनर के तौर पर क्रिएटिव हेड की जिम्मेदारी संभाल रही हैं।
'द लिटिल पीपल ऑफ इंडिया' से जुड़े 650 लोग
दिशा पंड्या ने छोटे कद के लोगों की मदद के लिए 'द लिटिल पीपल ऑफ इंडिया' की स्थापना की। मौजूदा समय में उनके साथ 650 से भी ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। पहली बार बौनेपन से पीड़ित लोगों को एक प्लेटफॉर्म दिया। ताकि बौनेपन की समस्या से पीड़ित लोग टैलेंट के आधार पर सम्मानजनक जिंदगी जी सकें। छोटे कद के लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या नौकरी हासिल करने की थी। दिशा ने पहले उसी दिशा में काम करना शुरू किया।
नौकरी मेले में हुए 500 इंटरव्यू
मई 2024 में दिशा पंड्या ने 'विविधता' के साथ मिलकर मुंबई के द क्लब जुहू में 'विविधता नौकरी मेला' का आयोजन किया। जिसमें एलजीबीटी समुदाय, पूर्व सैन्य अफसर, एसिड अटैक सर्वाइवर्स, सामाजिक-आर्थिक अल्पसंख्यक समूहों के लोग शामिल हुए। लगभग 500 अभ्यर्थियों के इंटरव्यू हुए। इसका फायदा बौनेपन से पीड़ित दो लोगों को मिला। उन्हें अमेजन में जॉब मिल गई, घर से काम करने की सुविधा दी गई। जरूरत के हिसाब से चीजें मुहैया कराई गईं। नौकरी मेले की बात धीरे-धीरे दूर तक फैली तो बाद में वह कंपनियां भी आगे आईं, जो अभी तक ऐसे लोगों नौकरी देने से कतरा रही थीं। दिशा के अंतरराष्ट्रीय स्तर की पैरा एथलीट होने की वजह से उनके संगठन को भी चर्चा मिली। उनके संगठन से जुड़कर बौनेपन के शिकार लोगों की जिंदगी बदल रही है।