नई दिल्‍ली। हैदराबाद की टेक्सटाइल इंजीनियर नाज अंजुम ने अपने घर के खाने के बिजनेस (क्लाउड किचन) की शुरुआत केवल 80 रुपये से की और आज वह हर महीने 1 लाख रुपये से ज्यादा कमा रही हैं। 2010 में शादी के बाद हैदराबाद आईं। तब खुद के कुकिंग टैलेंट को पहचाना। पड़ोसियों, विशेषकर बिल्डिंग के बैचलर्स, को उनका खाना बेहद पसंद आया। तारीफ और प्रोत्साहन मिला तो खुद का बिजनेस शुरू करने का निर्णय लिया। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

कैसे पहचाना अपना कुकिंग टैलेंट?

दरअसल, नाज अंजुम जिस बिल्डिंग में रहती थीं। शुरूआती दिनों में वहां रहने वाले बैचलर्स उनसे शाम की वेजिटेबल की डिमांड करते थे। धीरे—धीरे उनकी मांग बढ़ने लगी। उनका बनाया खाना बैचलर्स को इतना पसंद आया कि अब डेली उनसे टिफिन के बारे में भी पूछा जाने लगा। पड़ोसियों के इस रिस्पांस से उनका उत्साह बढ़ा। साल 2016 में घर से ही 'अंजुम किचन' की शुरुआत कर दी। सिर्फ 80 रुपये के निवेश से काम शुरू किया। बिरयानी को लेकर उनके अंदर जुनून था। उसी के साथ उन्होंने क्लाउड किचन के बिजनेस को आगे बढ़ाया।

ऐसे लग गई आर्डर की लाइन

साल 2016 में रमजान का दिन था। पड़ोसियों की डिमांड पर 'डबल का मीठा' और 'लौकी हलवा' जैसी मिठाइयां बनाई। उनकी रेसिपी लोगों को इतनी पसंद आई कि HITEC सिटी में एक छोटी सी पार्टी के लिए उन्‍हें पहली बार मटन दम बिरयानी का ऑर्डर मिला। वह बिरयानी इतनी पसंद की गई कि उसके बाद आर्डर की लाइन लग गई।

सोशल मीडिया ने बिजनेस में फूंक दी जान

माउथ टू माउथ एडवरटाइजमेंट और सोशल मीडिया ने उनके बिजनेस में जान ला दिया। जल्द ही उनका 'अंजुम किचन' हैदराबाद के वुमेन क्लाउड किचन में गिना जाने लगा। डेली टिफिन, मिठाइयां, बिरयानी, छोटे समारोहों के आर्डर मिलने लगें। उनकी कुकिंग स्किल्स की तारीफ भी होती रही।

कोरोना महामारी में पूरे किए 500 ऑर्डर

अब 'अंजुम किचन' की गिनती हैदराबाद के सफल क्लाउड किचन में होती है। डेली 25-50 ऑर्डर पर काम करती हैं। हर महीने लगभग 1 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई होती है। कोरोना महामारी के दौरान भी 500 से ज्‍यादा ऑर्डर पूरे करके दिए। लोगों को सेहतमंद खाना उपलब्ध कराने के लिए नए-नए तरीके अपनाए। अब वह टेक्सटाइल इंजीनियर से सफल क्लाउड किचन ओनर बन चुकी हैं और अन्य महिलाओं के लिए इंस्पिरेशन भी।

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