छप्पर में पैदा हुए, ईंट ढोई , खेतों में पेड़ लगाए, मानसून में गीली किताबों से पढाई की, पिता राज मिस्त्री थे, माँ दूसरे के खेतों में मज़दूरी करती थीं, पढाई के लिए कई किलोमीटर पैदल चले,और अंत में हर संघर्ष को चुनौती देकर संतोष कुमार पटेल डीएसपी बन गए।
मध्य प्रदेश. प्रतिभा किसी स्टैण्डर्ड या स्टेटस की मोहताज नहीं होती, इंसान अपनी मेहनत और लगन से कामयाबी हासिल कर ही लेता है, एक ऐसी ही शख्सियत हैं मध्य प्रदेश पुलिस में डीएसपी संतोष कुमार पटेल जिनकी परवरिश नदी के किनारे फूंस के छप्पर में हुई थी लेकिन अपनी मेहनत के दम पर एमपीपीएससी की परीक्षा पास कर उन्होंने पुलिस विभाग में नौकरी की और पूरे ज़िले का नाम रोशन किया ।
पिता राज मिस्त्री थे खेतो में मज़दूरी करती थी
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के संन्तोष कुमार पटेल के पिता राज मिस्त्री थे और माँ दूसरे के खेतों में खेती किसानी करती थीं,एक कमरे के घर में संतोष अपने दो भाई बहनो के साथ बड़े हुए, सरकारी राशन पर पूरा घर निर्भर था। आर्थिक तंगी के बावजूद माता पिता ने अपने बच्चों को पढ़ाने की पूरी कोशिश की। दसवीं में संतोष ने 92 प्रतिशत अंक हासिल किया, बारहवीं के बाद सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया क्यूंकि वहां निशुल्क शिक्षा मिलती थी।
साथी छात्रों की तरह कैफेटेरिया में कॉफ़ी का आनंद नहीं ले पाया
मायनेशन ने बात करते हुए संतोष ने बताया की इंजीनियरिंग की पढाई के दौरान मेरे तमाम सहपाठी अक्सर दोस्तों के साथ चाय समोसा कॉफी पर गप्प लड़ाते थे, मेरा भी मन करता था उस कॉफ़ी और समोसे को खाने का लेकिन पैसे न होने के कारण कभी वो आनद नहीं ले पाया, जैसे तैसे इंजिनयरिंग तो कर लिया लेकिन कोई दिशा नहीं तय कर पा रहा था की किधर जाना है इसलिए डिग्री लेकर घर वापिस आ गया।
बरसात का मौसम कहर होता था
संतोष कहते हैं बारिश हमारे लिए मुसीबत होती थी, फूस का छप्पर गीला हो जाता था, स्कूल की कॉपी किताब सब भीग जाती थी , पूरा घर गीला हो जाता था , इसी बरसात में मेरा पूरा परिवार वन विभाग के पेड़ लगा कर चार पैसा अलग से कमाने की कोशिश करता था, अम्मा अक्सर कहती थीं 'अनपढ़ रहोगे तो पापा की तरह यही सब करना पड़ेगा'
जब पापा ने फीस के पैसे भेजने से मना कर दिया
संतोष कहते हैं किसी तरह बीटेक किया लेकिन जब एमटेक में एडमिशन लिया तो एक दिन पिताजी ने फीस भेजने से मना कर दिया, मैं घर वापिस आया तो पिता जी ने कहा अब मेरे साथ खेती किसानी मज़दूरी करो, और चार पैसे कमाओ।
जब तक लाल बत्ती नहीं तब तक दाढ़ी नहीं कटाऊंगा
संतोष को सिर्फ एक सरकारी नौकरी की चाहत थी, लेकिन एक बार गाँव के ही एक व्यक्ति की सलाह पर उन्होंने पीएससी की तैयारी शुरू कर दी, इस दौरान उनकी दाढ़ी मूंछ खूब बढ़ गए , जब वो किसी से कहते की वो डीएसपी बनेंगे तो लोग उनका मज़ाक उड़ाते, और इसी मज़ाक को संतोष ने एक दिन सीरियस लेते हुए प्रण लिया की जब तक लाल बत्ती वाली नौकरी नहीं मिलती दाढ़ी नहीं कटाऊंगा ।
15 महीने बाद पास किया पीएससी की परीक्षा
संतोष ने बिना कोचिंग के पढाई किया, लोगों से किताबें उधार ली, और करीब 15 महीने के बाद साल 2016 में एमपीपीएसी में राज्य में बाईसवी रैंक हासिल किया, इंटरव्यू के बाद दाढ़ी कटाई , अक्टूबर 2016 में डीएसपी बन गए।
साइकिल पर लाए दुल्हनिया
29 नवंबर 2021 को सनतोष की शादी बुंदेली परम्परा से हुई, शादी के बाद देवी पूजन के लिए वो अपनी दुल्हन को साइकिल पर बैठा कर मंदिर ले गए और दादा दादी के चबूतरे पर मत्था टेका।
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