छठवीं में फेल, फिर IIT और बनाई 1.40 लाख करोड़ की कंपनी, गांव के इस लड़के ने दुनिया में बजा दिया डंका

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Oct 8, 2024, 11:07 AM IST

छठवीं में फेल होने के बाद भी दीपिंदर गोयल ने हार नहीं मानी। IIT से पढ़ाई कर Zomato की स्थापना की, और आज वह 1.40 लाख करोड़ की कंपनी के मालिक हैं। पढ़ें उनकी प्रेरणादायक कहानी।

Success Story Deepinder Goyal: दीपिंदर गोयल ने एक छोटी शुरुआत कर फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो खड़ी कर दी। पंजाब के एक छोटे से गांव मुक्तसर में जन्मे, कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। आज, वह फूड इंडस्ट्री में क्रांति लाने वाले शख्स के रूप में जाने जाते हैं, लाखों लोगों को रोजगार दिया है। कभी छठवीं क्लास में फेल हो गए थे और फिर खुद को ऐसा बदला कि आईआईटी में दाखिला मिला। 

दीपिंदर गोयल फेमिली बैकग्राउंड

दीपिंदर गोयल एक साधारण शिक्षक परिवार से हैं। उनके माता-पिता दोनों टीचर थे, इसकी वजह से घर में शुरू से ही एजूकेशन का माहौल था, लेकिन दीपिंदर का मन पढ़ाई में ज्यादा नहीं लगता था। स्कूल के शुरुआती दिनों में, वह सामान्य छात्रों की तरह थे, यहां तक कि वह छठी कक्षा में फेल भी हो गए थे।

छठीं क्लास में फेल होने के बाद आईआईटी में दाखिला

छठी कक्षा में फेल होने के बाद भी, दीपिंदर ने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे पढ़ाई में दिलचस्पी लेना शुरू किया। उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की और 2001 में प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), दिल्ली में प्रवेश पाने में सफल हुए। यहां से उन्होंने मैथ्स और कंप्यूटिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की।

ग्रेजुएशन के बाद नौकरी और इस आइडिया ने बदल दी जिंदगी

IIT से ग्रेजुएट होने के बाद, दीपिंदर ने दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी शुरू की। यहीं पर उन्हें एक ऐसा आइडिया आया, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। उनके ऑफिस में कर्मचारी अक्सर खाने के लिए मेन्यू ढूंढने और ऑर्डर करने में काफी समय बर्बाद करते थे। इस समस्या ने दीपिंदर को एक नया आइडिया दिया, उन्होंने सोचा कि क्यों न एक ऐसा प्लेटफार्म बनाया जाए जहां लोग आसानी से ऑनलाइन मेन्यू देख सकें और खाना ऑर्डर कर सकें?

2008 में फूड स्टार्टअप Foodiebay की शुरुआत 

साल 2008 में उन्होंने अपने दोस्त पंकज चड्ढा के साथ मिलकर फूड स्टार्टअप फूडीबे (Foodiebay) की शुरुआत की। यह प्लेटफार्म शुरुआत में दिल्ली-एनसीआर में रेस्टोरेंट्स के मेन्यू उपलब्ध करवाता था। लोगों ने इसे खूब पसंद किया, और दो साल बाद, 2010 में, फूडीबे का नाम बदलकर जोमैटो हो गया।

मेन्यू कॉर्ड देखने का प्लेटफॉर्म बनी 1.40 लाख करोड़ की कम्पनी

जोमैटो का सफर आसान नहीं था, लेकिन दीपिंदर की कड़ी मेहनत और समझदारी ने कंपनी को सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया। शुरू में यह केवल एक मेन्यू कार्ड देखने का प्लेटफार्म था, लेकिन धीरे-धीरे यह ऑनलाइन फूड डिलीवरी की दुनिया में छा गया। जोमैटो ने न केवल भारत में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी अपनी जगह बनाई। वर्तमान में जोमैटो 24 देशों में 10,000 से अधिक शहरों में अपनी सेवाएं दे रही है और इसके लाखों ग्राहक हैं। कंपनी का वैल्यूएशन 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

डिलीवरी ब्वाय की दिक्कतों को समझने सड़क पर उतरे

शुरुआती दौर में फूड डिलीवरी का मॉडल लोगों के लिए नया था और उन्हें निवेशकों को समझाने में काफी चुनौतियों से जूझना पड़ा। पर उन्हें अपने आइडिया पर भरोसा था। दीपिंदर और उनकी टीम ने बाजार की जरूरतों को समझा और नई-नई फेसिलिटी जोड़ीं, जैसे लाइव ऑर्डर ट्रैकिंग और फॉस्ट डिलीवरी सिस्टम। हाल ही में, दीपिंदर और उनकी पत्नी ने एक दिन के लिए फूड डिलीवरी एजेंट बनने का फैसला किया। इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि जो डिलीवरी एजेंट्स हैं, उन्हें किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

दीपिंदर गोयल नेटवर्थ

दीपिंदर ने डिलीवरी पार्टनर्स के बच्चों की शिक्षा के लिए जोमैटो फ्यूचर फाउंडेशन की स्थापना की। 700 करोड़ रुपये के स्टॉक्स दान किए हैं। वर्तमान में उनकी नेटवर्थ 2200 करोड़ रुपये से अधिक है। अन्य स्टार्टअप्स और कंपनियों में भी निवेश किया है, जिससे वह फूड डिलीवरी के अलावा भी कई क्षेत्रों में अपनी पहचान बना चुके हैं।

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