कम लागत, बड़ा मुनाफा: दो भाइयों ने घर में उगाया सबसे महंगा मसाला, अब कमा रहे लाखों

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Nov 8, 2024, 12:15 PM IST

हरियाणा के दो भाई, नवीन और प्रवीण सिंधु ने एयरोपोनिक तकनीक से अपने घर में ही कश्मीरी केसर उगाकर लाखों की कमाई शुरू की। जानें कैसे अपने इनोवेटिव आइडिया से उन्होंने केसर को इंटरनेशनल मार्केट में पहुंचाया और सफलता हासिल की।

नई दिल्‍ली: हरियाणा के दो भाई, नवीन और प्रवीण सिंधु अपने घर में ही कश्मीरी केसर उगाकर मुनाफा कमा रहे हैं। दोनों भाइयों ने एयरोपोनिक तकनीक का यूज कर अपने घर की छत पर कश्मीरी केसर उगाई। यह टेक्नोलॉजी बिना मिट्टी के पौधे उगाने का हाईटेक मेथड है, जिसमें पौधे हवा में लटके रहते हैं। इस मेथड के जरिए अब वे लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं और अब इंटरनेशनल मार्केट में केसर बेच रहे हैं।

कैसे आया घर में केसर उगाने का आइडिया?

प्रवीण सिंधु को घर में केसर उगाने का विचार तब आया जब वे MTech की पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने अखबार में एक लेख पढ़ा, जिसमें घर के अंदर केसर उगाने की संभावनाएं बताई गई थीं। प्रवीण ने इस आइडिया को अपने भाई नवीन के साथ शेयर किया, जो उस समय ब्रिटेन में एक होटल में काम कर रहे थे। 2016 में प्रवीण की पढ़ाई पूरी हुई और दोनों भाइयों ने मिलकर इस आइडिया पर काम करने का फैसला किया। एग्रीकल्चर से जुड़े मार्डन मेथड की जानकारी ली और फिर अपने सपने को आकार देने में जुट गए।

प्रवीण ने थाईलैंड तो नवीन ने पंपोर से सीखी केसर उगाने की टेक्निक

प्रवीण ने केसर की खेती की विशेष जानकारी हासिल करने के लिए थाईलैंड का रुख किया, जहां उन्होंने कॉर्डिसेप्स मशरूम उगाने की ट्रेनिंग ली। नवीन ने केसर उगाने के तरीके जानने के लिए जम्मू-कश्मीर के पंपोर का दौरा किया, जो भारत में केसर प्रोडक्शन का मुख्य केंद्र है। वहां स्थानीय किसानों और कृषि विशेषज्ञों से केसर उगाने की बारीकियों को समझा। कृषि विश्वविद्यालय का भी दौरा किया और सभी जरूरी तकनीकी जानकारियां लेकर लौटें।

घर की छत पर ही उगाने लगे केसर

2018 में दोनों भाइयों ने अपने घर की छत पर 15x15 फीट के एक कमरे को छोटी प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया। उन्होंने एयरोपोनिक्स तकनीक का इस्तेमाल कर इस प्रयोगशाला में केसर उगाना शुरू किया। इसके लिए लगभग 6 लाख रुपये का निवेश किया, जिसमें ग्रो लाइट्स, ह्यूमिडिफायर, टेम्प्रेचर कंट्रोल करने के लिए चिलर, और केसर के बल्ब रखने के लिए लकड़ी की ट्रे खरीदी। इस सेटअप के जरिए, वे बिना मिट्टी के केसर उगाने में सफल रहे।

पहले साल फेलियर, दूसरे साल मिली सक्सेस

शुरुआत में, प्रवीण और नवीन को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने सबसे पहले 100 किलो केसर के बल्ब कश्मीर से ऑनलाइन मंगवाए, लेकिन वे खराब हालत में पहुंचे और उनकी पहली फसल असफल रही। इस असफलता से सबक लेते हुए, उन्होंने अगले वर्ष खुद पंपोर जाकर हाई क्वालिटी वाले केसर बल्ब खरीदे। इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और सफलता मिली। पहली फसल से मिली केसर उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों को तोहफे के रूप में दी, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने इस बिजनेस को बढ़ाने का निर्णय लिया।

2023 में उगाया 2 किलो केसर, कमाए 10 लाख 

शुरूआती सफलता के बाद, दोनों भाइयों ने बिचौलियों के बिना सीधे किसानों से 700 किलो केसर बल्ब खरीदे। इससे उन्हें सस्ती दरों पर बल्ब मिल गए और फसल का प्रोडक्शन बढ़ गया। 2019 में उन्हें 500 ग्राम केसर प्राप्त हुआ, जिसे उन्होंने 2.5 लाख रुपये में बेचा। धीरे-धीरे, उनका प्रोडक्शन बढ़ा और 2023 में उनकी प्रयोगशाला में 2 किलो केसर का उत्पादन हुआ, जिससे उन्हें करीब 10 लाख रुपये की कमाई हुई। कटाई के बाद, बचे हुए फूलों की पंखुड़ियों को वे कॉस्मेटिक कंपनियों को बेच देते हैं, जिससे उनकी अतिरिक्त आय होती है। सिंधु भाइयों ने अपने प्रोडक्ट को इंटरनेशनल मार्केट में पहुंचाने के लिए 'अमर्त्व' ब्रांड की स्थापना की। अब वे अमेरिका, ब्रिटेन में केसर का निर्यात करते हैं। हाई क्वालिटी वाले केसर की वजह से उनके प्रोडक्ट की इंटरनेशनल मार्केट में अच्छी डिमांड है।  

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