कव्या ढोबले-दातखिले ने मुंबई में नर्सिंग की नौकरी छोड़कर केमिकल फ्री खेती और वर्मीकम्पोस्ट के बिजनेस में कदम रखा। अब वह सालाना 24 लाख रुपये कमा रही हैं। जानिए उनकी इंस्पिरेशनल स्टोरी।
नई दिल्ली: मुंबई में नर्स की नौकरी छोड़कर खेती के क्षेत्र में कदम रखने वाली कव्या ढोबले-दातखिले की स्टोरी इंस्पिरेशनल है। अच्छी वेतन वाली सरकारी नौकरी छोड़कर केमिकल फ्री खेती और वर्मीकम्पोस्ट का बिजनेस चुना। अब सालाना 24 लाख रुपये तक कमा रही हैं। 200 वर्मीकम्पोस्ट उद्यमियों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं, लोगों को केमिकल फ्री खेती के बारे में एजूकेट भी कर रही हैं।
जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी में डिप्लोमा
कव्या ढोबले-दातखिले ने जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी में डिप्लोमा किया और मुंबई के प्रतिष्ठित सायन अस्पताल में नौकरी शुरू कर दी। फिर टाटा कैंसर अस्पताल में दो साल तक काम किया। 2017 में नर्सिंग में बीएससी पूरी करने के बाद कव्या ने एक प्राइवेट कॉलेज में टीचिंग शुरू कर दी, और फिर से सायन अस्पताल में स्टाफ नर्स के रूप में ज्वाइन किया।
सायन अस्पताल में 2019 से 2022 तक नौकरी
कव्या ने साल 2019 से 2022 तक कोरोना महामारी के कठिन समय में सायन अस्पताल में काम किया। उस दौरान जीवन-मृत्यु को नजदीक से देखा तो उन्हें महसूस हुआ कि केमिकल युक्त भोजन के कारण हमारे शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो रही है। इस अनुभव ने जीवन के प्रति उनका नजरिया बदल दिया।
कोरोना महामारी ने बदल दिया जीवन के प्रति नजरिया
खुद भी कोरोना महामारी की चपेट में आईं पर मजबूत इम्यूनिटी की वजह से जान बच गई। कोरोना से ठीक होने के बाद आर्गेनिक खेती करने का फैसला किया। 2022 में अच्छी खासी सैलरी वाली नौकरी छोड़ी तो आसपास के लोगों ने उनके इस फैसले का विरोध किया। पर उनके पति राजेश दातखिले ने उनका पूरा सपोर्ट किया।
नौकरी छोड़ गांव में हुई शिफ्ट
2022 में कव्या अपने पति के गांव जुन्नार के दातखिलेवाड़ी में शिफ्ट हो गईं। यहां उनके पास 5 गुंठा (0.02 एकड़) खाली जमीन थी, जिसमें उन्होंने जैविक खेती और वर्मीकम्पोस्ट बनाने की शुरुआत की। अगस्त 2022 में एक किसान से 1 किलो केंचुए लेकर एक छोटे से बेड से वर्मीकम्पोस्ट बनाना शुरू किया। अक्टूबर 2022 में उनका पहला बैच तैयार हुआ।
2023 में लाखो रुपये के वर्मीकम्पोस्ट बेचे
मार्च 2023 में कव्या ने अपने वर्मीकम्पोस्ट ब्रांड 'कृषि कव्या' के तहत बिक्री शुरू की। उनके वर्मीकम्पोस्ट के बेहतरीन नतीजे देखकर किसानों की दिलचस्पी बढ़ी। एक किसान ने 50,000 रुपये में 5 टन वर्मीकम्पोस्ट खरीदा। यह खबर तेजी से फैली और एक फाउंडेशन ने 2,000 किसानों के लिए 2,000 किलो केंचुए खरीदे, जिसे कव्या ने 400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा।
पहले साल 24 लाख रुपये का टर्नओवर
कव्या ने अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के साथ-साथ स्थानीय किसानों को भी जैविक खेती के के बारे में जागरूक करना शुरू किया। एक YouTube चैनल शुरू किया, जहां वह किसानों का इंटरव्यू करतीं और खेती की बेहतरीन मेथड की जानकारी देतीं। इससे कई किसानों को उनके एक्सपीरियंस और जानकारी का लाभ मिला। अपने पहले साल में कव्या ने 24 लाख रुपये का बिजनेस किया। उनका लक्ष्य इस साल 50 लाख रुपये का कारोबार करने का है।
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Last Updated Nov 7, 2024, 12:24 PM IST