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MPPSC Success Story: कैसे पटवारी से डीएसपी बन गए अनुराग राजपूत? नौकरी करते हुए तैयारी, यहां से मिली प्रेरणा 

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Jun 08, 2024, 01:09 PM ISTUpdated : Jun 08, 2024, 01:11 PM IST
MPPSC Success Story: कैसे पटवारी से डीएसपी बन गए अनुराग राजपूत? नौकरी करते हुए तैयारी, यहां से मिली प्रेरणा 

सार

MPPSC Success Story: एक तरफ नौकरी की जिम्मेदारी। दूसरी तरफ कॉम्पिटिटिव एग्जाम का प्रिपरेशन। मध्य प्रदेश के सागर जिले के अनुराग राजपूत ने नौकरी और प्रिपरेशन के बीच सामंजस्य बनाकर इतिहास रच दिया।

MPPSC Success Story: मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले अनुराग राजपूत की सफलता की कहानी औरों के लिए इंस्पिरेशनल है। वह पटवारी के पद पर कार्यरत थे। पर सपना सिविल सर्विसेज में जाने का था। उसे पूरा करने के लिए तैयारी शुरू कर दी। दिन भर ड्यूटी और रात में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी। यह काम आसान नहीं था। पर नौकरी और प्रिपरेशन के बीच सामंजस्य बिठाकर एमपीपीएससी एग्जाम में दूसरी रैंक हासिल की। डीएसपी बने हैं।

सूबेदार के पद पर कार्यरत है पत्नी

अनुराग ठाकुर की पत्नी नीतू ठाकुर सूबेदार के पद पर कार्यरत हैं। मौजूदा समय में पुलिस लाइन में ड्यूटी है। उनका सपना था कि अनुराग जीवन में तरक्की करें। उनसे बड़े ओहदे पर नौकरी मिले। उनकी अपने पति के नाम से पहचान हो। वह कहती हैं कि इसके लिए हम लोग करीबन दो साल से प्रयास कर रहे थे। अब जाकर सफलता मिली है।

अनुराग राजपू​त को कहां से मिली प्रेरणा?

अनुराग राजपूत बतौर पटवारी काम करते थे। जब बड़े अधिकारियों को देखते थे तो आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी। उसी प्रेरणा ने अनुराग को इंस्पायर किया और उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का फैसला लिया और अपनी पढ़ाई जारी रखी। वह कहते हैं कि तब सोचता था कि समाज के लिए कुछ करना है। इसके लिए आगे बढ़ना होगा। अब डीएसपी के पद पर सेलेक्शन होने के बाद पति-पत्नी दोनों खुश हैं, क्योंकि दोनों एक ही विभाग में आ गए हैं।

ड्यूटी से आने के बाद रात में पढ़ाई

वैसे देखा जाए तो अनुराग ठाकुर के लिए यह दोहरी खुशी का समय है, क्योंकि एक तरफ उनका चयन डीएसपी के पद पर हुआ है तो दूसरी तरफ MPPSC 2022 के इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर आ चुका है और अनुराग अब एक बार फिर इंटरव्यू की प्रिपरेशन में जुटे हुए हैं। पत्नी नीतू के मुताबिक, अनुराग ड्यूटी के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुटे रहते थे। सोशल मीडिया से दूरी बनाई और नियमित पढ़ाई करते थे। पढ़ाई का जुनून ऐसा कि ड्यूटी से आने के बाद रात में भी पढ़ाई में जुट जाते थे। कभी कभी तो नींद भी नहीं पूरी होती थी। पर वह अपनी तैयारी में लगे रहें। 

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