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जन्म से नेत्रहीन शख्स ने 29 साल की उम्र में खड़ी कर दी करोड़ों की कम्पनी, रतन टाटा ने भी किया इंवेस्ट

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Nov 11, 2023, 11:45 PM ISTUpdated : Nov 11, 2023, 11:52 PM IST
जन्म से नेत्रहीन शख्स ने 29 साल की उम्र में खड़ी कर दी करोड़ों की कम्पनी, रतन टाटा ने भी किया इंवेस्ट

सार

जन्म से नेत्रहीन शख्स ने सिर्फ 29 साल की उम्र में करोड़ो की कम्पनी खड़ी कर दी। देश के जाने माने इंडस्ट्रियलिस्ट रतन टाटा ने भी उनकी कम्पनी में इंवेस्ट किया है। हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के Seetharamapuram में जन्मे श्रीकांत बोला की, जो पैकेजिंग सॉल्यूशन तैयार करने वाली कम्पनी बोलेंट इंडस्ट्रीज के फाउंडर हैं।

नई दिल्ली। जन्म से नेत्रहीन शख्स ने सिर्फ 29 साल की उम्र में करोड़ो की कम्पनी खड़ी कर दी। देश के जाने माने इंडस्ट्रियलिस्ट रतन टाटा ने भी उनकी कम्पनी में इंवेस्ट किया है। हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश में जन्मे श्रीकांत बोला की, जो पैकेजिंग सॉल्यूशन तैयार करने वाली कम्पनी बोलेंट इंडस्ट्रीज के फाउंडर हैं। पैदाइशी विजुअली इम्पेयर्ड पर्सन होने के बाद भी उनका जज्बा बड़े-बड़ों को हौसला देता है। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी।

मां-पिता ने श्रीकांत बोला को डिसएबिलिटी का नहीं होने दिया एहसास

श्रीकांत बोला का जन्म 7 जुलाई 1992 को आंध्र प्रदेश के मछलीपटनम के सीतारामपुरम में हुआ था। नेत्रहीन बच्चे के जन्म पर पिता दामोदर राव और मां वेक्टम्मा को रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने बच्चे को अनाथ आश्रम में छोड़ने व मारने की सलाह दी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। महीने की कमाई महज 1600 रुपये थी। पर उनके पैरेंट्स ने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया और श्रीकांत का पालन-पोषण एक आम इंसान की तरह किया। यहां तक कि उन्हें अपनी डिसएबिलिटी का एहसास तक नहीं होने देते थे।  

5 किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे स्‍कूल

श्रीकांत बोला जब बड़े हुए तो मां-पिता ने उनका एडमिशन गांव के स्कूल में कराया। 5 किलोमीटर पैदल चलकर वह स्कूल पहुंचते थे। क्लास के बच्चे उनकी डिसएबिलिटी का मजाक उड़ाते थे। उनसे कोई बच्चा दोस्ती नहीं करना चाहता था। इससे परेशान होकर पैरेंट्स ने उनका दाखिला हैदराबाद के एक स्कूल में कराया। यह नेत्रहीनों का स्कूल था तो वहां उनके दोस्त भी बने। वह अच्छे नम्बरों से पास होने लगे और 10वीं की परीक्षा 90 फीसदी अंकों के साथ पास की। इसकी वजह से उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति APJ Abdul Kalam के लीड इंडिया प्रोजेक्ट से जुड़ने का मौका मिला।

10वीं के बाद हक की लड़ाई लड़ी

श्रीकांत बोला ने 10वीं पास करने के बाद साइंस विषय के साथ आगे की पढ़ाई करने की सोची। पर स्कूलों ने यह कहकर उनको दाखिला देने से इंकार कर दिया कि यह विषय नेत्रहीन स्टूडेंट्स के लिए नहीं है। स्कूल के इस फैसले के खिलाफ वह कोर्ट गए और फिर उन्हें आगे की पढ़ाई साइंस विषय से करने की इजाजत मिली। श्रीकांत ने 12वीं कक्षा में 98 फीसदी मार्क्स लाकर सबको हैरान क​र दिया। 

IIT में नहीं पढ़ सके पर MIT में मिल गया दाखिला 

श्रीकांत बोला ने 12वीं पास करने के बाद IIT एग्जाम की प्रिपरेशन शुरू की। उसी दौरान उनके सामने फिर एक नया चैलेंज आया। कोचिंग सेंटर उनको एडमिशन देने के लिए तैयार नहीं थे तो उन्होंने अमेरिका के MIT (Massachusetts Institite of Technology College) में एडमिशन के लिए ट्राई किया और सेलेक्ट होकर एक नया इतिहास रच दिया। ऐसा करने वाले वह पहले अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स बन गए। 

अमेरिका से वापस आकर शुरु की बोलेंट इंडस्ट्रीज

भले ही वह IIT से नहीं पढ़ पाएं। पर आज IIT स्टूडेंट्स के आइडियल हैं। उनकी पढ़ाई पूरी हुई तो अमेरिका की कई कम्पनियों में उन्हें जॉब के ऑफर मिले। पर उन्होंने विदेश में जॉब करने के बजाए देश के कमजोर लोगों के लिए कुछ करने का फैसला किया और वापस भारत आकर साल 2012 में बोलेंट इंडस्ट्रीज (Bollant Industries) की शुरुआत कर दी। शुरु में उन्होंने हैदराबाद के पास एक कमरे से काम शुरु किया। 

श्रीकांत ने 2017 में हासिल की बड़ी उपलब्धि

श्रीकांत बोला को शुरुआती दौर में फंड जुटाने में काफी मशक्कत भी करनी पड़ी। देश के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा ने उनके टैलेंट को पहचाना और उनकी कम्पनी में निवेश किया। साल 2018 तक उनकी कम्पनी के कारोबार ने 150 करोड़ का आंकड़ा छुआ। सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला। उनकी कम्पनी में आधे लोग डिफ्रेंटली एबल्ड कैटेगरी से हैं। साल 2017 में श्रीकांत ने एक और उपलब्धि हासिल की। उनका नाम फोर्ब्स 30 अंडर 30 एशिया लिस्ट में दर्ज हुआ। वह कई अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं।

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