कभी रेस्टोरेंट में धोते थे जूठे बर्तन, अब कम्पनी का टर्नओवर 300 करोड़

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Nov 10, 2023, 9:11 PM IST

स्कूल में फेल हुए तो घर छोड़कर मुंबई भागे। रेस्टोरेंट में जूठे बर्तन धोए। वह भी मात्र 18 रुपये महीने की सैलरी पर। फिर मैनेजर बने और अपना काम शुरु किया। अब कम्पनी का टर्नओवर 300 करोड़ रुपये है। यह ​रील लाइफ की नहीं बल्कि कर्नाटक के उड्डपी के रहने वाले जयराम बनान के रियल लाइफ की कहानी है।

नई दिल्ली। स्कूल में फेल हुए तो घर छोड़कर मुंबई भागे। रेस्टोरेंट में जूठे बर्तन धोए। वह भी मात्र 18 रुपये महीने की सैलरी पर। फिर मैनेजर बने और अपना काम शुरु किया। अब कम्पनी का टर्नओवर 300 करोड़ रुपये है। यह ​रील लाइफ की नहीं बल्कि कर्नाटक के उड्डपी के रहने वाले जयराम बनान के रियल लाइफ की कहानी है। वह सागर रत्ना रेस्टोरेंट के मालिक हैं। देश भर में उनके 100 से ज्यादा रेस्टोरेंट हैं। आइए जानते हैं कि रेस्टोरेंट में एक बर्तन धुलने वाला कैसे बन गया करोड़पति।

रेस्टोरेंट में बर्तन धुलते-धुलते बन गए मैनेजर

दरअसल, जयराम बनान जब 13 साल के थे। तभी स्कूली एग्जाम में फेल हो गए। उन्हें अपने पिता से इतना डर लगता था कि रिजल्ट लेकर पिता को फेस करने से बेहतर उन्होंने घर से भागना समझा। साल 1967 में वह कर्नाटक से निकल पड़े और मुंबई पहुंचे। जीवन यापन करने के लिए एक रेस्टोरेंट मे 18 रुपये महीने की सैलरी पर बर्तन धुलने का काम किया। उन्होंने 6 साल तक रेस्टोरेंट में बर्तन मांजा। मन लगाकर लगन से काम करते रहें तो रेस्टोरेंट के मालिक ने उन्हें वेटर बना दिया और फिर बाद में वह रेस्टोरेंट के मैनेजर बने। उनकी सैलरी भी 18 रुपये से बढ़कर 200 रुपये महीना हो गई।

दिल्ली में कैंटीन चलाई, सागर नाम से खोला पहला रेस्टोरेंट

जयराम बनान किसी भी काम को कमतर नहीं आंकते थे। काम छोटा रहा या बड़ा। उन्होंने पूरे समर्पण के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाई। वह रेस्टोरेंट का मैनेजर बनकर संतुष्ट नहीं थे। उनके मन में खुद का काम शुरु करने का विचार आ रहा था। जिसे जमीन पर उतारने के लिए जयराम ने साल 1974 में मुंबई से दिल्ली का रूख किया। उनका सपना दिल्ली में खुद का रेस्टोरेंट खोलने का था। उन्हें पहला मौका गाजियाबाद के सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड मे मिला। वहां कैंटीन की शुरुआत की। अपनी जमापूंजी के साथ दोस्तो से उधार रुपये लेकर लगाए।

नॉर्थ इंडिया के डोसा किंग नाम से मशहूर

समय के साथ जयराम की कैंटीन से इनकम होने लगी तो उन्होंने सागर के नाम से दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी में पहला रेस्टोरेंट खोला। वह साल 1986 का समय था। पहले ही दिन रेस्टोरेंट की 408 रुपये की कमाई हुई। दिल्ली में ही दूसरा रेस्टोरेंट खोलने में जयराम को 4 साल लगे। पर जयराम ने जब दूसरा रेस्टोरेंट खोला तो उसका नाम सागर रत्ना रखा। आज इसी नाम से उनके सभी रेस्टोरेंट हैं। उसके बाद इस शख्स ने बिजनेस की दुनिया में दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की की। अब उन्हें नॉर्थ इंडिया के डोसा किंग के नाम से जाना जाता है। मौजूदा समय में जयराम बनान के सागर रत्ना के नाम से देश भर में 100 से अधिक रेस्टोरेंट हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, कम्पनी का सालाना टर्नओवर करीबन 300 करोड़ रुपये है।

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