बिहार के मधुबनी के रहने वाले संदीप कुमार ने आईआईटी खड़गपुर से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद सिविल सर्विस की राह चुनी। ऐसा नहीं कि उनके पास बड़ी सैलरी वाली जॉब का मौका नहीं था। पर कॉलेज के फाइनल इयर में ही उन्होंने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी शुरु कर दी थी।
नई दिल्ली। बिहार के मधुबनी के रहने वाले संदीप कुमार ने आईआईटी खड़गपुर से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद सिविल सर्विस की राह चुनी। ऐसा नहीं कि उनके पास बड़ी सैलरी वाली जॉब का मौका नहीं था। पर कॉलेज के फाइनल इयर में ही उन्होंने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी शुरु कर दी थी। साल 2019 के पहले अटेम्प्ट में इंटरव्यू तक पहुंचे। साल 2020 में 186वीं रैंक लाकर आईपीएस बनें और साल 2022 की यूपीएससी एग्जाम में 24वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनें। आइए उनकी सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आईएएस संदीप कुमार ने कब शुरु की यूपीएससी की तैयारी?
मधुबनी स्थित मधेपुर ब्लाक के तरडीहा गांव के निवासी संदीप की शुरुआती पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय मधुबनी से हुई। इंडियन पब्लिक स्कूल से 12वीं पास करने के बाद आईआईटी खड़गपुर से मैथमेटिक्स और कम्यूटिंग में 5 साल का इंटीग्रेटेड मास्टर कोर्स किया। साल 2018 में यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। उनके पिता सुमन झा कांट्रैक्टर और मां सुनैना देवी हाउस वाइफ हैं।
आईएएस संदीप कुमार को कहां से मिली सिविल सर्विस में जाने की प्रेरणा?
संदीप कुमार कहते हैं कि यूपीएससी की जर्नी में काफी सीखने को मिला। जब पहले अटेम्पट में इंटरव्यू के बाद भी सलेक्शन नहीं हुआ, तो हार नहीं मानी। अपनी गल्तियों को सुधारा तो कैपिसिटी में निखार आया। मुझे खुद के बारे में पता चला कि मैं यह भी कर सकता हूं। उन्हें सिविल सर्विस ज्वाइन करने की प्रेरणा अपने आसपास के परिवेश से ही मिली। बचपन से ही इलाके में विकास के अभाव पर सोचते थे कि इसमें क्या किया जा सकता है? इसी वजह से विचार आया कि प्रशासनिक सेवा के जरिए विकास में अहम योगदान दे सकते हैं।
ग्रामीण परिवेश में आती है ये बड़ी दिक्कत
संदीप कुमार कहते हैं कि ग्रामीण परिवेश में सबसे बड़ी दिक्कत यही होती है कि गाइडेंस नहीं मिल पाता है। आसपास आईआईटी से पढ़े या ऐसे लोग नहीं होते, जो यूपीएससी वगैरह एग्जाम में सफल हुए हों। ऐसे में आपको अपना सपना पूरा करने के लिए खुद से ही बहुत कुछ करना पड़ता है। यही उनके लिए बड़ा चैलेंज रहा। परिवार को उन्हें पूरा सपोर्ट मिला।
ये बना उनके लिए सबसे बड़ा मोटिवेशन
ईमानदारी और हार्डवर्क पर विश्वास करने वाले संदीप कुमार एग्जाम के समय अपना 100 फीसदी देते थे। वह श्रीमद्भगवत गीता के 'कर्मण्येधिकावारिस्ते मां फलेषु कदाचनं' सिद्धांत पर विश्वास करते थे। उनका मानना है कि यदि आपने एग्जाम में अपना 100 फीसदी प्रयास किया है तो रिजल्ट को लेकर ज्यादा टेंशन नहीं होती और यही उनका सबसे बड़ा मोटिवेशन था।
कभी भी न दोहराएं मिस्टेक
यूपीएससी के पहले प्रयास में असफल होने के बाद संदीप कुमार ने अपनी मिस्टेक पर काम किया।
वह यह जानते थे कि यूपीएससी एग्जाम क्रैक करने के बाद जो हम पाने जा रहे हैं, वह बड़ी चीज है। यह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की तरह है, जहां आप ठंड लगने या दिक्कतों पर एक्सक्यूज नहीं दे सकते। उनका कहना है कि कभी भी अपनी मिस्टेक को नहीं दोहराना चाहिए। रिवीजन या टेस्ट सीरिज नहीं करना कॉमन मिस्टेक है। उनको चिन्हित करना चाहिए।
एक बुरा दोस्त बर्बाद कर सकता है जिंदगी
संदीप कुमार कहते हैं कि आपकी संगति अच्छी होनी चाहिए। ऐसे लोगों की संगति में रहना चाहिए जो आपको हमेशा मोटिवेट करें। उन्हें पता था कि एक बुरा दोस्त पूरी जिंदगी बर्बाद कर सकता है। इसको लेकर वह अलर्ट रहते थे और यूपीएससी एग्जाम के फेज में बुरे दोस्तों की संगति को लेकर अलर्ट रहना बहुत जरुरी है।