Success Story: बाल विवाह का दंश झेला-पढ़ाई छूटी, 18 साल में दो बच्चों की मां, फिर कैसे IPS बनीं एन. अंबिका?

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Jun 10, 2024, 4:45 PM IST

Success Story: कहते हैं कि जिस लक्ष्य को आप शिद्दत से चाहते हैं, पूरी कायनात उसे हासिल करने में आपकी हेल्प करती है। IPS एन. अंबिका के साथ भी ऐसा ही हुआ। महज 14 साल की उम्र में शादी हो गई।

Success Story: कहते हैं कि जिस लक्ष्य को आप शिद्दत से चाहते हैं, पूरी कायनात उसे हासिल करने में आपकी हेल्प करती है। IPS एन. अंबिका के साथ भी ऐसा ही हुआ। महज 14 साल की उम्र में शादी हो गई। 18 साल की उम्र तक दो बच्चों की मां भी बन गईं। कॉन्स्टेबल पति के साथ गणतंत्र दिवस समारोह में गईं तो अफसर बनने की प्रेरणा मिली और अपनी छूटी हुई पढ़ाई फिर शुरू की। परिवार का सपोर्ट मिला। चौथे प्रयास में आईपीएस बन गईं। आइए जानते हैं आईपीएस एन. अंबिका की सफलता की कहानी। 

14 साल की उम्र में हो गया था विवाह

तमिलनाडु की रहने वाली एन. अं​बिका को बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों से होकर गुजरना पड़ा। खेलने—कूदने की उम्र में शादी के बंधन में बंध गईं। पति कॉन्स्टेबल थे। 18 साल की उम्र तक दो बच्चों की मॉं बन गईं। पर जीवन में आगे बढ़ने का उनका सपना जीवित रहा। एक बार पति के साथ गणतंत्र दिवस के परेड में गईं तो वहां पुलिस जवानों को आईपीएस अफसरों को सैल्यूट करते देखा। उनके पति ने भी अफसरों को सलामी दी। यह देखकर उन्होंने पति से पूछा कि जिसे आपने सलामी दी, वह कौन था? जवाब सुनने के बाद उन्होंने अफसर बनने का निर्णय लिया।

चेन्नई से यूपीएससी प्रिपरेशन

अंबिका ने एक बार फिर अपनी छूटी हुई पढ़ाई शुरू की। एक प्राइवेट इंस्टीट्यूट से 10वीं और 12वीं पास की। फिर ग्रेजुएशन किया और यूपीएससी की तैयारी के लिए चेन्नई का रूख किया, क्योंकि वह डिंडीगुल नाम के जिस कस्बे में रहती थीं। वहां यूपीएससी प्रिपरेशन के लिए कोई कोचिंग सेंटर नहीं था। उस दरम्यान कॉन्स्टेबल पति ने घर के साथ बच्चों को भी संभाला। अंबिका के लिए यह सफर आसान नहीं था। बच्चे घर पर थे। उन पर जल्द से जल्द सफल होने का दबाव था। यूपीएससी में सफल होने के लिए अंबिका ने हार्ड वर्क किया। लगातार तीन प्रयासों में असफल रहीं।

साल 2008 में मिली सफलता

एक समय ऐसा भी आया। जब उनके कॉन्स्टेबल पति ने अंबिका को यूपीएससी तैयारी छोड़कर घर आने की सलाह दी। पर उन्हें अपने सपने पर भरोसा था। वह यूपीएससी क्रैक करने की जिद पर अड़ी रहीं। अपने परिवार को मनाया और आखिरकार चौथे प्रयास में साल 2008 में यूपीएससी में सफलता हासिल कर आईपीएस (IPS Officer)​ बनीं। महाराष्ट्र कैडर मिला। 

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