UPSC क्रैक करना था इसलिए छोड़ दी 29 लाख की जॉब, पढ़ें झारखंड के IAS उत्कर्ष कुमार की कहानी

आईआईटी बाम्बे से ग्रेजुएट झारखंड के हजारीबाग के रहने वाले उत्कर्ष कुमार मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब कर रहे थे। समाज के लिए कुछ बेहतर करने की आस में 29 लाख सालाना पैकेज की नौकरी छोड़कर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गए।

success story of jharkhand IAS Utkarsh Kumar who left MNC job and cracked UPSC zrua

झारखंड। आईआईटी बाम्बे से ग्रेजुएट झारखंड के हजारीबाग के रहने वाले उत्कर्ष कुमार मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब कर रहे थे। समाज के लिए कुछ बेहतर करने की आस में 29 लाख सालाना पैकेज की नौकरी छोड़कर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गए। पहले अटेम्पट में इंटरव्यू फेस किया, फाइनल नतीजों में जगह नहीं मिली तो जेहन में सवाल उठा कि अच्छी खासी नौकरी छोड़कर गलती तो नहीं कर दी। बहरहाल, दूसरे अटेम्पट यानी साल 2020 की यूपीएससी एग्जाम में 55वीं रैंक आई और आईएएस बनें।

उत्कर्ष के लिए था लाइफ का पहला फेलियर

दरअसल, यूपीएससी परीक्षा में लाखो परीक्षार्थी शामिल होते हैं। सफलता की दर 0.05 फीसदी है। जाहिर सी बात है कि ऐसे में संभव ही नहीं हो सकता है कि ज्यादातर लोग परीक्षा में सफल हो जाएं। उत्कर्ष यूपीएससी के पहले अटेम्पट में ही असफल हुए। यह उनके जीवन की पहली असफलता थी। 

हजारीबाग में हुई शुरुआती पढ़ाई

मध्यमवर्गीय परिवार में प्राय: आर्थिक परेशानी राह का रोड़ा बनती है। उत्कर्ष के पैरेंट्स भी गवर्नमेंट जॉब में थे। इसलिए पैसा खर्चने से पहले सोचना पड़ता था। छोटे शहर में करियर के उतने अवसर नहीं होते। उत्‍कर्ष कुमार ने अच्छे कॉलेज में पढ़ाई की और जॉब मिली तो आर्थिक रूप से इंडिपेंडेंट हुएं। डीएवी स्कूल हजारीबाग से शुरुआती पढ़ाई के बाद उत्कर्ष ने कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की और आईआईटी बॉम्बे में कम्प्यूटर साइंस से ग्रेजुएशन किया।

आसान नहीं था यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला

उत्कर्ष कहते हैं कि उन्होंने अच्छी खासी जॉब छोड़कर यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करने का फैसला लिया था। तैयारी के दौरान यही लगता था कि अगर इस बार सेलेक्शन नहीं हुआ तो आगे क्या होगा? वह मल्टीनेशनल कम्पनी की जॉब छोड़कर आए थे। उसका दबाव था। परीक्षा की तैयारी करने का फैसला भी उन्होंने लोगों से बात करके लिया था। परीक्षा के बारे में जानकारी ली थी। 

सिविल सर्विस की राह चुनने की ये थी वजह

प्रशासनिक सेवा के जरिए लोगों के प्रति काम करने का दृष्टिकोण होता है। उनके पैरेंट्स सरकारी नौकरी में भी थे। इसलिए वह इन चीजों को आसानी से समझ सकते थे। पिता की इच्छा थी कि वह सरकारी नौकरी की तरफ बढ़ें। पर कॉलेज में अच्छा अवसर मिला तो वह प्राइवेट जॉब की तरफ बढ़ गएं। पर निजी कम्पनी में नौकरी करने के दौरान वह कुछ कमी महसूस कर रहे थे। उनके जेहन में हमेशा यह ख्याल आता था कि यही समय मैं अपने देश के लिए लगाऊं। देश के चर्चित नौकरशाह में शुमार केजे अल्फोंस की किताब पढ़ी तो मोटिवेट हुए। परीक्षा की बारीकी के बारे में जाना। दोस्तों व अन्य लोगों से बात करने के बाद सिविल सर्विस में आने का फैसला लिया।

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