जानिए किसान परिवार में जन्मे राममूर्ति त्यागराजन की प्रेरक कहानी, जिन्होंने अरबों की संपत्ति के बावजूद सादगी से जीवन जीते हुए 6000 करोड़ रुपये कर्मचारियों के साथ बांटे।
Success Story: अरबों का साम्राज्य और सादगी से भरा जीवन, सोसाइटी के प्रति समर्पित। इन्हीं गुणों की वजह से रतन टाटा जैसी हस्तियां कभी भुलाई नहीं जा सकतीं। लेकिन रतन टाटा की तरह ही भारत के एक और दिग्गज बिजनेसमैन हैं, जो कॉरपोरेट वर्ल्ड की चकाचौंध से दूर बड़ी ही सादगी से जीवन जीते हैं। हम बात कर रहे हैं राममूर्ति त्यागराजन की, जो श्रीराम ग्रुप के को-फाउंडर हैं और भारत की बैंकिंग एवं इंश्योरेंस इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम माने जाते हैं।
1961 में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी में नौकरी
तमिलनाडु के एक किसान परिवार में जन्मे राममूर्ति त्यागराजन की सक्सेस स्टोरी इंस्पिरेशनल है। चेन्नई में कॉलेज की पढ़ाई के बाद 1961 में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी में काम करना शुरू किया। लेकिन उनके करियर में सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट तब आया, जब 37 साल की उम्र में उन्होंने अपने दोस्तों एवीएस राजा और टी जयारमन के साथ मिलकर श्रीराम चिट्स की शुरुआत की। उस समय श्रीराम चिट्स ने उन छोटे व्यापारियों और ट्रक मालिकों को लोन देना शुरू किया, जो बैंकों से लोन नहीं प्राप्त कर सकते थे। उनका यह निर्णय लोन मार्केट के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ।
1974 में शुरू किया श्रीराम ग्रुप
1974 में शुरू हुई श्रीराम ग्रुप आज फाइनेंस और इंश्योरेंस इंडस्ट्री में एक प्रतिष्ठित नाम बन चुकी है। इस कंपनी की मार्केट वैल्यू 1.5 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई है। श्रीराम ग्रुप के पास अब 30 से अधिक कंपनियां हैं, जो विभिन्न सेक्टर्स में सेवाएं प्रदान करती हैं। इन कंपनियों में से कई व्यवसायिक वाहन लोन और ट्रक-ट्रैक्टर लोन देती हैं। इतना बड़ा व्यापारिक साम्राज्य खड़ा करने के बावजूद राममूर्ति त्यागराजन आज भी बेहद सादगी से भरा जीवन जीते हैं और कॉर्पोरेट जगत की चमक-धमक से दूर रहते हैं।
6 लाख रुपये की कार, मोबाइल तक नहीं
राममूर्ति त्यागराजन का जीवन-स्तर बाकी अरबपति व्यापारियों से बिल्कुल अलग है। वे फिजूलखर्ची से दूर रहते हैं और साधारण जीवन जीने में विश्वास करते हैं। अरबों की संपत्ति के मालिक होने के बावजूद वे एक साधारण से घर में रहते हैं और उनके पास कोई लग्जरी कार नहीं है, बल्कि उनके पास केवल एक साधारण कार है जिसकी कीमत करीब 6 लाख रुपये है। इतना ही नहीं, राममूर्ति त्यागराजन मोबाइल फोन भी नहीं रखते हैं।
6210 करोड़ की हिस्सेदारी श्रीराम ओनरशिप ट्रस्ट को ट्रांसफर
राममूर्ति त्यागराजन अपने कर्मचारियों की सुविधाओं का ख्याल रखते हैं। उन्होंने कंपनी की अपनी 6210 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी श्रीराम ओनरशिप ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दी। ताकि उनके कर्मचारी कंपनी के मालिकाना हक में हिस्सेदार बन सकें। ग्रुप में काम करने वाले कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखते हुए उन्होंने यह बड़ा निर्णय लिया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीराम ग्रुप के पास 2 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं।