5 लाख से 7000 करोड़ तक का सफर! जानिए फणींद्र सामा की प्रेरणादायक कहानी, जिन्होंने गांव से निकलकर RedBus जैसे ग्लोबल लीडर को खड़ा किया।
नई दिल्ली। छोटी शुरुआतों से बड़ा साम्राज्य खड़ा करने की कहानियां हम अक्सर सुनते हैं। ऐसे ही एक बिजनेसमैन हैं फणींद्र सामा, जिन्होंने केवल 5 लाख रुपये से एक बड़ा बिजनेस खड़ा कर दिया। आप में से बहुत से लोगों ने शायद उनका नाम नहीं सुना होगा, लेकिन वे भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक बड़ी पहचान रखते हैं। फणींद्र सामा, RedBus नाम की बस टिकटिंग प्लेटफार्म के को-फाउंडर हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे गांव के एक जीनियस ने एक छोटे से आइडिया को 7000 करोड़ के बिजनेस में बदल दिया।
दोस्तो के साथ मिलकर शुरू किया बिजनेस
शुरूआती दिनों में फणींद्र सामा भी एक सामान्य यूथ की तरह थे। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के दौरान उनकी मुलाकात सुधाकर पसुपुनुरी और चरण पद्मराजू से हुई। इन्हीं तीनों दोस्तों ने आगे चलकर रेडबस की नींव रखी। पढ़ाई पूरी करने के बाद, इन तीनों ने अलग-अलग कंपनियों में नौकरी की, लेकिन उनके मन में कुछ बड़ा करने की ललक थी। इसी दौरान फणींद्र को खुद का बिजनेस शुरू करने का विचार किया, जिसमे उनके दोनों दोस्तों ने साथ दिया और कम्पनी की शुरूआत हो गई। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि आज, Redbus 6985 करोड़ रुपये की कम्पनी बन चुकी है।
कैसे आया बिजनेस आइडिया?
फणींद्र सामा के जीवन में रेडबस का आइडिया अचानक ही नहीं आया। इसकी वजह उनका एक व्यक्तिगत अनुभव बना। एक बार फणींद्र त्योहारी सीजन में अपने घर जाने की तैयारी में थे। पर उन्हें बस का टिकट नहीं मिल पा रहा था। काफी स्ट्रगल के बाद उन्हें टिकट तो मिल गया, लेकिन इस पूरे अनुभव ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने सोचा कि क्यों न ऐसा सिस्टम बनाया जाए, जिससे विंडो से बस टिकट लेने की परेशानी हमेशा के लिए खत्म हो जाए।
न बड़ा इंवेस्टमेंट, न खास टेक्नोलॉजी, फिर भी जुटाएं 10 लाख डॉलर
जब फणींद्र सामा ने 2006 में RedBus की शुरुआत की, तब उनके पास मात्र 5 लाख रुपये थे। ये पैसा भी उन्होंने और उनके दोस्तों ने मिलकर जुटाया था। उनके पास न तो कोई बड़ा इंवेस्टमेंट था और न ही कोई खास तकनीकी संसाधन। लेकिन उनके पास था एक स्पष्ट विजन और कुछ कर गुजरने का जज्बा। रेडबस को शुरू करने के बाद, उनके बिजनेस मॉडल में लोगों ने दिलचस्पी दिखाना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और 2007 में उन्हें 1 मिलियन डॉलर (लगभग 10 लाख डॉलर) की पहली बड़ी फंडिंग मिली। ये वो समय था जब भारत में स्टार्टअप कल्चर तेजी से बढ़ रहा था और फणींद्र के रेडबस ने इसमें अहम योगदान दिया। यह कंपनी अब बस टिकटिंग के क्षेत्र में एक ग्लोबल लीडर है।
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