रोहित मांगलिक 10वीं क्लास तक बैकबेंचर थे। एनआईटी कर्नाटक से बीटेक करने वाले रोहित ने 2 बार स्टार्टअप शुरु किया, सफल नहीं रहें। नामी गिरामी कम्पनियों में जॉब शुरु कर दी और फिर कुछ समय बाद 42 लाख सालाना पैकेज की नौकरी छोड़कर एडुगोरिल्ला नाम से तीसरा स्टार्टअप शुरु कर दिया।
लखनऊ। रोहित मांगलिक 10वीं क्लास तक बैकबेंचर थे। एनआईटी कर्नाटक से बीटेक करने वाले रोहित ने 2 बार स्टार्टअप शुरु किया, सफल नहीं रहें। नामी गिरामी कम्पनियों में जॉब शुरु कर दी और फिर कुछ समय बाद 42 लाख सालाना पैकेज की नौकरी छोड़कर एडुगोरिल्ला नाम से तीसरा स्टार्टअप शुरु कर दिया। उसमें भी एक समय ऐसा आया कि कर्मचारियों को सैलरी देने तक के लाले पड़ गएं। बहरहाल, कड़ी मेहनत और लगन के साथ किस्मत ने भी साथ दिया और उनका स्टार्टअप चल पड़ा। पांच लोगों के साथ शुरु किए गए उनके स्टार्टअप की वैल्यूएशन 150 करोड़ आंकी गई है। कम्पनी में लगभग 350 लोग काम करते हैं।
प्रिंसिपल ने पैरेंट्स से ऐसा कुछ कहा कि वे चौंके
माई नेशन हिंदी से बात करते हुए रोहित मांगलिक कहते हैं कि उनकी शुरुआती पढ़ाई फर्रूखाबाद से हुई है। 10वीं कक्षा तक वह बैकबेंचर थे। एक दिन गजब हो गया। स्कूल के प्रिंसिपल ने पैरेंट्स को बुलाकर कहा कि आप यह लिखकर एफिडेबिट दीजिए कि यदि आपका बच्चा प्री बोर्ड एग्जाम में फेल हो गया तो उसे बोर्ड एग्जाम में नहीं बैठने देंगे। यह सुनकर पैरेंट्स भी अचंभित थे। रोहित के तो पैरों तले जमीन खिसक चुकी थी। उन्होंने पूरी मेहनत के साथ पढ़ाई की और बोर्ड एग्जाम दिया। जब बोर्ड एग्जाम का रिजल्ट आया तो उनकी स्कूल में पांचवीं रैंक थी। रिजल्ट देखकर रोहित को यकीन नहीं हुआ। उन्होंने अपनी मॉं से देखने को कहा, पर हालत यह थी कि वह भी उस समय विश्वास नहीं कर पा रही थी। बहरहाल, बोर्ड एग्जाम में अच्छे नंबरों से पास होने के बाद उन्हें लगा कि जीवन में कुछ बेहतर कर सकता हूॅं।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से मिली प्रेरणा
रोहित 12वीं की पढ़ाई के बाद कोटा गए और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरु कर दी। फिर उन्होंने एनआईटी कर्नाटक में आईटी ट्रेड से दाखिला लिया। कॉलेज के दूसरे वर्ष में वह एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। उसी दौरान उनकी मुलाकात डा एपीजे अब्दुल कलाम से हुई। उन्होंने रोहित से पूछा कि क्या करना चाहते हो? देश के लिए कुछ करने को प्रेरित किया। उस वक्त डॉ. कलाम की बात उनके दिल को छू गई थी।
दूसरा स्टार्टअप भी हुआ असफल
रोहित ने कॉलेज के समय ही वेब डेवलपमेंट का अपना पहला स्टार्टअप शुरु कर दिया। कॉलेज के तीसरे साल तक वह 4 से 5 लाख रुपये महीने कमा रहे थे। पर उन्हें डॉ. कलाम की बात याद आती थी। उसका अनुभव इस काम में नहीं हो रहा था तो उसके बाद रोहित लखनऊ आ गए और करियर काउंसिलंग का कोर्स बनाकर बेचना शुरु कर दिया। वह ऐसा दौर था, जब लोगों के बीच करियर काउंसिलंग के प्रति ज्यादा रूचि नहीं थी। लोगों को यही लगता था कि उनका बच्चा इंजीनियरिंग, मेडिकल या सीए की पढ़ाई कर ले तो सबसे अच्छा रहेगा। उनका दूसरा स्टार्टटप भी सफल नहीं हुआ।
स्टूडेंट्स के सवाल सुनकर चौंके
दूसरा स्टार्टअप असफल होने के बाद रोहित ने जॉब शुरु की और 42 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर नौकरी की। उसी दौरान वह फर्रूखाबाद गए तो अपने स्कूल चले गए। बच्चों ने सुना कि इतने पैकेज पर काम करते हैं तो उन्हें घेर लिया और सवाल करने लगें, जैसे—कहां से पढ़ाई करें? कौन सी बुक से पढ़ाई करें? गवर्नमेंट जॉब की तैयारी कैसे करें? अब तक रोहित ने गवर्नमेंट जॉब की तरफ कभी ध्यान नहीं दिया था। पर बच्चों की बातें सुनकर उन्होंने आंकड़ा देखा तो पता चला कि आईटी में हर साल 11 लाख बच्चे बैठते हैं और यूपी पुलिस के कांस्टेबल एग्जाम के लिए 30 लाख बच्चों ने आवेदन किया है। रोहित को लगा कि वह यह गैप भर सकते हैं और उन्होंने उस पर काम शुरु करने का फैसला लिया।
ड्राइंगरूम से तीसरे स्टार्टअप की शुरुआत
रोहित कहते हैं कि फर्रूखाबाद में ड्राइंगरूम से तीसरे स्टार्टअप की शुरुआत की। वहीं लैपटॉप लगाकर 5 लोगों ने काम शुरु कर दिया। एक साल तक घर से काम करने के बाद जुलाई 2017 में लखनऊ आया। वेबसाइट बनाई, 5 से 6 लोगों की टीम थी। उसी समय अपने कोफाउंडर शाश्वत से मुलाकात हुई। तब एक बात चुभती थी कि मैं बच्चों को बता तो रहा हूॅं पर क्या बच्चों को उसका फायदा मिल रहा है? वह जिस कोचिंग सेंटर में गए, उसके जरिए उनका सेलेक्शन हुआ या नहीं? यह जानकारी उनको नहीं मिल पा रही थी, क्योंकि वह सिर्फ एक वेबसाइट चला रहे थे।
4 साल में 1600 परीक्षाओं का मैटेरियल
फिर एडुगोरिल्ला ने तय कि हम खुद ही बच्चों को पढ़ाएंगे। टेस्ट सीरिज बनाई, 4 साल में 1600 परीक्षाओं का मैटेरियल बना लिया। पर ग्रामीण इलाकों में संसाधनों की कमी की वजह से बच्चों इसका लाभ उठाने से वंचित न रह जाए। यह सोचकर रोहित की टीम ने आनलाइन पढ़ाई के साथ आफलाइन मैटेरियल भी स्टूडेंट्स को भेजने का फैसला किया। अब तक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की 900 किताबें निकाल चुके हैं।
टर्निंग प्वाइंट बनी कोविड महामारी
रोहित कहते हैं कि कोविड महामारी के बाद छोटे शहरों के कोचिंग सेंटर फिर से खुलें। उन्हें हेल्प की जरुरत दिखी, क्योंकि वह डिजिटल नहीं हो सके। छोटे शहरों के सभी कोचिंग सेंटर अपनी वेबसाइट, ऐप लाने में उतने सक्षम नहीं दिखें। लाइव क्लासेज, टेस्ट सीरिज अफोर्ड नहीं कर सकते तो हमने उनसे बात की और कहा कि यह सारी चीजें हम आपको उपलब्ध कराएंगे। वर्तमान में 7 राज्यों में 9000 कोचिंग सेंटर हमारे ऐप का यूज करके पढ़ाते हैं। आगे 9 राज्यों में एडुगोरिल्ला के विस्तार की तैयारी है।