Interview: 7 साल UPSC तैयारी-6th अटेम्पट में सक्सेस, स्ट्रगल ऐसा कि...आपका जीवन बदल देगी इनकी कहानी

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Apr 30, 2024, 12:08 AM IST

UPSC CSE Topper Siddharth Srivastava: यदि आप भी देश की ब्यूरोक्रेसी का हिस्सा बनना चाहते हैं तो शुरूआती दिनों से ही आपका लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए। डिजिटल युग में डिजिटल हाईजीन का ध्यान रखकर आगे बढ़ना होगा।

UPSC CSE Topper Siddharth Srivastava: यदि आप भी देश की ब्यूरोक्रेसी का हिस्सा बनना चाहते हैं तो शुरूआती दिनों से ही आपका लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए। डिजिटल युग में डिजिटल हाईजीन का ध्यान रखकर आगे बढ़ना होगा। माय नेशन हिंदी से बातचीत में सिद्धार्थ श्रीवास्तव कहते हैं कि कोई भी चीज मुझे आसानी से नहीं मिली। हर चीज के लिए स्ट्रगल करना पड़ा। 7 साल से यूपीएससी की तैयारी कर रहा हूॅं। छठवें और आखिरी अटेम्पट में सक्सेस मिली है। बचपन से ही जो एक बार हासिल करना चाहता हॅूं तो बस लगा रहता हूॅं। यूपीएससी 2023 में उन्हें 118वीं रैंक मिली है। 

खुद की गलतियां ढूंढ़ते रहें, परिवार था सपोर्ट सिस्टम

यूपीएससी जर्नी उतार-चढ़ाव से भरी होती है। असफलताओं के बाद हताशा-निराशा भी आती है। ऐसी स्थिति में खुद को मोटिवेट रखना आसान नहीं होता। सिद्धार्थ के लिए उनकी मॉं-पिता, बहन और दोस्त सपोर्ट सिस्टम की तरह थे। जब भी वह परेशान होते थे तो परिवार और दोस्तों से बात करते थे। मेडिटेशन और व्यायाम उनकी रूटीन में है। कहते हैं कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। संघर्ष के दिनों में यह हैबिट उनके काम आई। वह कहते हैं कि जब भी असफलता मिली तो मैंने गलती कहीं बाहर नहीं ढूंढी, बल्कि खुद के अंदर देखा। हर बार आत्मनिरीक्षण किया। मुझे यही लगता था कि असफल हुआ तो मेरे अंदर ही कोई गलती रही होगी।

यूपीएससी तैयारी में "प्लान-बी" अहम

सिद्धार्थ कहते हैं कि यूपीएससी की तैयारी कीजिए, पर प्लान-बी भी बहुत महत्व रखता है। अपना अनुभव शेयर करते हुए वह कहते हैं कि यूपीएससी के साथ यूपी पीसीएस के भी एग्जाम देता रहा। पहली बार में एक्साइज इंस्पेक्टर में हो गया था। साल 2022 में यूपी पीसीएस के तीसरे प्रयास में नायब तहसीलदार का पद मिला। पर वह मेरी ​मंजिल नहीं थी। चूंकि मैंने आईआईटी से पढ़ाई की थी। इसलिए सोचता था कि कुछ ऐसा करूं। जिसमे मेरी एजूकेशन और कैपिबिलिटी का यूज हो सके। यदि उनका छठें अटेम्पट में भी यूपीएससी में सेलेक्शन नहीं होता तो वह जीमैट या कैट ट्रॉय करते। 

मारूति कंपनी की नौकरी छोड़ शुरू की तैयारी

सिद्धार्थ श्रीवास्तव ने बनारस से 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद साल 2017 में आईआईटी बीएचयू से बीटेक किया। उनका मारूति कंपनी में प्लेसमेंट भी हो गया था। पर उनका लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट था कि उन्हें क्या करना है। इसीलिए उन्होंने जॉब ज्वाइन नहीं की और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए। एक तरफ उन्हें लगातार असफलता मिल रही थी तो दूसरी तरफ उनके क्लासमेट मोटी सैलरी वाली जॉब कर रहे थे। ऐसी स्थिति में भी उन्होंने निराशा को खुद पर हावी नहीं होने दिया और अपने लक्ष्य का हासिल करने के लिए प्रयास करते रहें। 

चौथे अटेम्पट में प्रीलिम्स नहीं निकला तो हुए बहुत निराश

सिद्धार्थ श्रीवास्तव के यूपीएससी के दूसरे और तीसरे अटेम्पट में मेंस एग्जाम क्लियर नहीं हुआ था। इसीलिए उन्होंने मेंस के लिए बहुत मेहनत की। पर चौथे अटेम्पट में प्रीलिम्स ही क्वालिफाई नहीं कर पाए। यह समय उनके लिए बहुत कठिन था। मानसिक रूप से टूट गए थे। अब उनकी लड़ाई खुद को साबित करने वाली हो गई थी। परिवार ने भी उनकी योग्यता को शक की निगाहों से देखना शुरू कर दिया था। लोग समझ नहीं पा रहे थे कि यह लड़का कर क्या रहा है। उसी समय यूपी पीसीएस में नायब तहसीलदार के पद पर उनका सेलेक्शन हो गया तो नौकरी ज्वाइन की और उस मुश्किल स्थिति से उबरे। 

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