ऐसे हालात में ज्यादातर लोग टूट जाते हैं पर उर्वशी ने पाया मुकाम, पिता ने फीस भरने के लिए प्लाॅट भी बेचा

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Jul 18, 2023, 2:50 PM IST

एक तरफ फाइनेंशियल प्रॉब्लम तो दूसरी ओर लगातार पहले दो अटेम्पट में प्रीलिम्स क्लियर नहीं हो सका। इलेक्ट्रिशियन पिता रविंद्र सिंह सेंगर ने बेटी की फीस भरने के लिए प्लॉट तक बेच दिया था। ऐसे हालात में ज्यादातर लोग टूट जाते हैं। पर मध्य प्रदेश के ग्वालियर की रहने वाली उर्वशी सेंगर का हौसला चट्टान की तरह मजबूत था।

भोपाल। एक तरफ फाइनेंशियल प्रॉब्लम तो दूसरी ओर लगातार पहले दो अटेम्पट में प्रीलिम्स क्लियर नहीं हो सका। इलेक्ट्रिशियन पिता रविंद्र सिंह सेंगर ने बेटी की फीस भरने के लिए प्लॉट तक बेच दिया था। ऐसे हालात में ज्यादातर लोग टूट जाते हैं। पर मध्य प्रदेश के ग्वालियर की रहने वाली उर्वशी सेंगर का हौसला चट्टान की तरह मजबूत था। कठिन परिस्थितियों को मात देकर उन्होंने साल 2020 में यूपीएससी एग्जाम क्रैक किया। 

किराए का घर लिया तो काम करना पड़ा

फाइनेंशियल दिक्कतें हमेशा उनके सामने रहीं। उर्वशी कहती हैं कि कोई बैकग्राउंड नहीं था। स्कॉलरशिप वगैरह से सरकारी कॉलेज में बिना कोचिंग के पढ़ाई की। दिल्ली में भी रिश्तेदारों के घर पर रहीं, क्योंकि किराए का अलग मकान लेने में सक्षम नहीं थीं और जब किराए का घर लिया तो उसके लिए काम करना पड़ा। उन्होंने जब वैकल्पिक विषय की तैयारी के लिए कोचिंग की तो उसकी फीस पिता रविंद्र सिंह सेंगर ने एक प्लॉट बेचकर भरी थी।

2016 से ही यूपीएससी की तैयारी में जुटी थीं उर्वशी

शुरुआती दिनों से ही अपना मुकाम बनाने के लिए संघर्षरत रहीं उर्वशी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि घर में कोई गाइड करने वाला नहीं था। सिविल सर्विस तो दूर की बात है। उनके घर में कोई सरकारी नौकरी में भी नहीं था। परीक्षा की तैयारियों में व्यस्त होने की वजह से रिश्तेदारों के घर किसी आयोजन में भी नहीं जा पाती थीं। साल 2016 से यूपीएससी की तैयारी घर से ही शुरु कर दी थी। सेल्फ स्टडी शुरु कर दिया था।

सरस्वती शिशु मंदिर से हुई 12वीं तक की पढ़ाई

ग्वालियर के चार शहर के नाका हजीरा निवासी उर्वशी की 12वीं तक की पढ़ाई बादलगढ़ के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल से हुई। KRG गर्ल्स कॉलेज से साल 2015 में बीएससी करने के बाद उन्होंने ज्योग्राफी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। ज्योग्राफी से नेट भी क्वालिफाई किया। दिल्ली में भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की। पर ज्यादातर तैयारी उन्होंने घर पर ही रहकर की। इस दौरान उन्हें यूपीपीएससी की परीक्षा में सफलता मिली और एसडीएम का पद मिला था। उर्वशी को यूपीएससी एग्जाम की तैयारी का मोटिवेशन एनसीसी से ही मिला। वह एनसीसी की कैडेट रहीं।

सिविल सर्विस के तैयारी की मिली प्रेरणा

उर्वशी को सिविल सर्विस में जाने की प्रेरणा भी स्कूल के दिनों में ही मिली। वह सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ती थीं। डीएम पी नर​हरि ने ग्वालियर को साडा सिटी बनाया था। स्कूल में हर कक्षा के सामने रैम्प लगे हुए थे। उन्होंने जब इसके बारे में जानकारी की तो पता चला कि यह दिव्यांग लोगों के लिए है। डीएम के आदेश पर इसे बनाया गया है तो उन्हें लगा कि डीएम इतना कुछ कर सकता है। उधर, एनसीसी की लक्ष्मी मैडम ने उर्वशी के अंदर विश्वास भरा कि आप यूपीएससी क्रैक कर सकती हो। इस मोटिवेशन के बाद उर्वशी रूकी नहीं और यूपीएससी एग्जाम की तैयारियों की प्लानिंग करने लगीं। वह कहती हैं कि बहुत से लोग हैं, जो कुछ करना चाहते हैं, पर फाइनेंशियल दबाव या परिस्थितियों की वजह से ऐसा नहीं कर पाते हैं।

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