गुजरात नेशनल ला यूनिवर्सिटी (जीएनएलयू) से ग्रेजुएट वासु जैन के साथ कॉलेज के समय एक अजीब वाकया हुआ। कैंपस प्लेसमेंट के दौरान इंटरव्यू के लिए 7 कम्पनियों ने उनका नाम शार्टलिस्ट किया, पर चयन किसी कम्पनी में नहीं हुआ, जबकि पूरे कॉलेज में उनकी दूसरी रैंक थी।
रायपुर। गुजरात नेशनल ला यूनिवर्सिटी (जीएनएलयू) से ग्रेजुएट वासु जैन के साथ कॉलेज के समय एक अजीब वाकया हुआ। कैंपस प्लेसमेंट के दौरान इंटरव्यू के लिए 7 कम्पनियों ने उनका नाम शार्टलिस्ट किया, पर चयन किसी कम्पनी में नहीं हुआ, जबकि पूरे कॉलेज में उनकी दूसरी रैंक थी। वासु के दोस्तों और टीचर्स को भी उस समय इंटरव्यू में रिजेक्शन की वजह समझ नहीं आई थी। फिलहाल, मॉं से मिली प्रेरणा और प्रशासनिक अफसरों के जमीनी स्तर पर काम का प्रभाव देखने के बाद वासु ने यूपीएससी की तैयारी शुरु की और आईएएस बनें। इस समय छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में पोस्टेड हैं।
मॉं से मिली सिविल सर्विस की तरफ जाने की प्रेरणा
वासु जैन को सिविल सर्विस एग्जाम में शामिल होने की प्रेरणा अपनी मॉं से ही मिली थी। उनकी मॉं ने भी यूपीएससी परीक्षा में अपना भाग्य आजमाया था। पर सफल नहीं हो सकी थीं। वासु बचपन से ही मॉं से सिविल सर्विसेज से जुड़ी कहानियां सुनते आ रहे थे। कॉलेज की लीगल सर्विस कमेटी में भी रहे। उसी दरम्यान, पास के ही एक गांव में पाठशाला बनवानी थी। उसी सिलसिले में उन्होंने संबंधित अथॉरिटी से सम्पर्क किया। पर कोई रिस्पांस नहीं मिला। करीबन दो महीने बाद उनके कॉलेज में एक आईपीएस अफसर आएं। उनसे मामले की चर्चा की तो एक सप्ताह के अंदर ही पाठशाला का निर्माण शुरु हो गया। जमीनी स्तर पर एक अफसर के काम का प्रभाव देखने के बाद सिविल सर्विस की तरफ उनका झुकाव बढ़ा और उन्होंने यूपीएससी एग्जाम में शामिल होने का फैसला लिया।
आसान नहीं थी यूपीएससी एग्जाम क्रैक करने की राह
पर यूपीएससी एग्जाम क्रैक करने की राह इतनी आसान नहीं थी। साल 2018 में उन्होंने पहला अटेम्पट दिया, जिसमें उनका प्रीलिम्स भी नहीं निकल सका था। साल 2019 की यूपीएससी परीक्षा में इंटरव्यू फेस किया। पर मेरिट लिस्ट में जगह नहीं मिली। करीब होकर भी सफलता से चूक जाना अखरता है। वासु के साथ भी ऐसा ही हुआ। यदि एग्जाम के बाद चयन न हो तो करियर को लेकर असुरक्षा महसूस होती है कि आगे क्या होगा? यह चिंता तब और बढ़ जाती है, जब आप अपने बैचमेट को लाखो रुपये सालाना पैकेज पर नौकरी करते हुए देखते हैं और खुद नौकरी नहीं कर रहे होते हैं। बहरहाल, यूपीएससी 2020 एग्जाम में उन्हें 67वीं रैंक मिली और वह आईएएस बनें।
सकारात्मक सोच से आगे बढ़ें और मंजिल पाई
वासु कहते हैं कि उनकी यूपीएससी जर्नी में कभी बहुत अच्छी चीजें हुईं तो कभी कभी दिक्कतें भी आईं। वह परिश्रम करते रहें और आगे बढ़ते रहें। तैयारी करते हुए तमाम चीजों के बारे में जानकारी बढ़ी। एक समझ डेवलप हुई। यूपीएससी के इंटरव्यू के बाद भी जब मेरिट लिस्ट में नाम नहीं आया था तो मार्क्स देखने के बाद यही पता चला कि कुछ नम्बरों की कमी से नाम मेरिट लिस्ट में आने से रह गया। थोड़ी सी मेहनत और करनी पड़ेगी तो लिस्ट में नाम आ जाएगा। परिवार और दोस्तों ने सपोर्ट किया। सकारात्मक सोच थी, सफलता मिली।