भारत का मिशन चंद्रयान अपनी मंजिल पर पहुंचने के ठीक पहले तकनीकी बाधा का शिकार हो गया। चांद पर उतरने से ठीक पहले कंट्रोल रुम से विक्रम लैंडर का संपर्क टूट गया। यह हादसा चांद की सतह से मात्र 2.1 किलोमीटर पहले हुआ। लेकिन ऐसा नहीं कि भारत का पूरा मून मिशन समाप्त हो गया है।
नई दिल्ली: मिशन चंद्रयान के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान का ऐन मौके पर कंट्रोल रुम से का संपर्क टूट गया। चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर पहले विक्रम और प्रज्ञान अंतरिक्ष में गायब हो गए। यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया भर के अंतरिक्ष विज्ञानियों के लिए झटका है। क्योंकि इसरो के इस चंद्रयान -2 मिशन से पूरी दुनिया के अंतरिक्ष विज्ञानियों को बड़ी उम्मीदें थीं।
इसरो चीफ के. सिवन ने जानकारी दी कि चांद पर लैंडिग से 2.1 किलोमीटर पहले लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया। यह वो क्षण था जब इसरो कंट्रोल रूम में सन्नाटा छा गया। वहां बेचैनी छा गई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहीं मौजूद थे। उन्होंने वैज्ञानिकों को सांत्वना दी और उनका हौसला बढ़ाते हुए शाबासी दी।
PM Narendra Modi hugged and consoled ISRO Chief K Sivan after he(Sivan) broke down. pic.twitter.com/bytNChtqNK
— ANI (@ANI)पीएम मोदी ने कहा कि 'जब मैं देख रहा था कि संपर्क टूट गया है। मैं देख रहा था कि आपके चेहरे मुरझा गए। लेकिन यह भी कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। देश आप पर गर्व करता है। आपकी इस मेहनत ने बहुत कुछ सिखाया भी है।'
हालांकि पीएम के इस आश्वासन के बाद भी वैज्ञानिकों के चेहरे पर राहत के भाव नहीं आए। क्योंकि वह कई सालों से इस अभियान की सफलता के लिए तैयारियां कर रहे थे।
PM Narendra Modi: We will rise to the occasion and reach even newer heights of success. To our scientists I want to say- India is with you. You are exceptional professionals who have made an incredible contribution to national progress. pic.twitter.com/0378MUcHuv
— ANI (@ANI)हालांकि लैंडर विक्रम की ताजा स्थिति के बारे में फिलहाल कोई जानकारी भले ही नहीं है। लेकिन 978 करोड़ रुपये लागत वाला चंद्रयान-2 मिशन असफल नहीं माना जाएगा। क्योंकि मिशन का पांच फीसदी हिस्सा ही लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के रुप में गायब हुआ है। इसके अलावा बाकी का 95 फीसदी चंद्रयान अभी भी सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में चक्कर काट रहा है। जो कि अगले एक साल तक चंद्रमा की तस्वीरें इसरो को भेज सकता है।
उम्मीदें अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं। चंद्रयान से मिली तस्वीरों के आधार पर विक्रम लैंडर की जानकारी जुटाई जा सकती हैं। जिसके आधार पर उसकी आगे खोज भी की जा सकती है।
इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया कि लैंडर का नियंत्रण उस समय समाप्त हो गया होगा, जब नीचे उतरते समय उसके थ्रस्टर्स को बंद किया गया होगा और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया होगा, जिसके कारण संपर्क टूट गया।