कश्मीर मुद्दे पर भारत को हर रोज युद्ध की धमकी देने वाले पाकिस्तान के लिए एक और बुरी खबर है। अगले महीने यानी सितंबर में भारत को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमान राफेल मिल जाएंगे। इसे लाने के लिए खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ फ्रांस जाएंगे।
नई दिल्ली: कश्मीर मुद्दे पर जहां भारत और पाकिस्तान में तनातनी बढ़ती जा रही है। वहीं भारत की सैन्य ताकत में महत्वपूर्ण इजाफा होने वाला है। राफेल विमानों का पहला बेड़ा 20 सितंबर को भारत पहुंच जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ खुद फ्रांस जाकर राफेल विमानों के बेड़े को भारत लाएंगे। इन दोनों को फ्रांस के विभिन्न रक्षा अधिकारियों की मौजूदगी में पारंपरिक रुप से राफेल विमान सौंपे जाएंगे।
बताया जा रहा है कि राफेल विमानों के पहले बेड़े में 4 विमान होंगे। इन्हें भारत को सौंपने की प्रक्रिया सितंबर के तीसरे सप्ताह में पूरी की जाएगी।
इन विमानों को संभालने के लिए भारतीय वायुसेना अपने 24 पायलटों को तैयार कर रही है। ये सभी पायलट तीन अलग-अलग बैच में अपनी ट्रेनिंग खत्म करेंगे। राफेल के स्कवैड्रन से संबंधित वायुसेना केअधिकारियों और तकनीशियनों के पहले बैच का प्रशिक्षण फ्रांसीसी वायु सेना के साथ पहले से ही चल रहा है।
भारत और फ्रांस के बीच सितंबर 2016 को 36 राफेल विमान खरीदने का समझौता हुआ था। इन विमानों की कीमत 7.87 बिलियन यूरो रखी गई थी। इस डील के मुताबिक इन विमानों की डिलीवरी सितंबर 2018 से शुरू होने की बात कही गई थी। जिसके बाद अगले साल मई तक सभी 36 विमान भारत को दे दिए जाएंगे।
वायुसेना के सूत्रों ने बताया है कि भारतीय वायु सेना राफेल लड़ाकू विमान के एक-एक दस्ते को हरियाणा के अंबाला और पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में अपने एयरबेस पर तैनात करेगी।
दस्सॉ एविएशन के द्वारा बनाए गए यह विमान मिसाइलों से सुसज्जित होकर भारत को सौंपे जाएंगे। इन विमानों पर लगे मिसाइलों की रेंज 300 किलोमीटर तक है।
रक्षा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक राफेल विमान भारतीय वायु सेना को रणनीतिक और लंबी दूरी पर लक्ष्य साधने की क्षमता प्रदान करने में सक्षम हैं। यह परमाणु हथियार भी ढो सकते हैं।
हाल के महीनों में भारत को मिलने वाला यह चौथा अत्याधुनिक सैन्य उपकरण होगा। इससे पहले चिनूक हैवी लिफ्ट हेलीकॉप्टरों को चंडीगढ़ में वायुसेना में शामिल किया जा चुका है। वहीं, अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर आ चुके हैं और उन्हें सितंबर में पठानकोट में शामिल किये जाने की उम्मीद है। इनके अलावा, बीएई सिस्टम्स द्वारा निर्मित अल्ट्रालाइट होवित्जर एम777 तोपें सेना को हिमालयी क्षेत्र में इस्तेमाल के लिए सौंपी जा चुकी हैं।
20सितंबर को राफेल विमानों का पहला जत्था आने के बाद विमानों का अगला बैच अप्रैल-मई 2020 में आएगा। वायुसेना को फिलहाल लड़ाकू विमानों के 42 स्क्वैड्रंस की जरूरत है, जबकि उसके पास फिलहाल मात्र 32 ही हैं।