जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक ने पूरे इलाके के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है। पूरी दुनिया में जम्मू कश्मीर पर चर्चा हो रही है। लेकिन कोई भी पाकिस्तान और चीन द्वारा जबरन कब्जाए गए कश्मीर के हिस्से पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है। जबकि बहस का वास्तविक मुद्दा गिलगित, बाल्टिस्तान, नीलम घाटी और अक्साई चिन है।
नई दिल्ली: भारतीय संसद ने जम्मू कश्मीर के बारे में फैसला किया। जिसके बाद देश और दुनिया में लगातार जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, धारा 370, 35-ए जैसे मुद्दों पर बहस हो रही है। लेकिन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को सभी भूले बैठे हैं।
सिर्फ गृहमंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में पीओके और अक्साई चिन का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर, भारत का अभिन्न अंग है. जब भी मैं जम्मू-कश्मीर कहता हूं तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) और अक्साई चीन भी इसके अंदर आता है। क्या कांग्रेस पीओके को भारत का हिस्सा नहीं मानती है। आप क्या बात कर रहे हैं, हम इसके लिए जान भी दे देंगे?
गृहमंत्री ने पीओके और अक्साई चिन को भारत के लिए बेहद जरुरी करार दिया। उन्होंने ऐसे मात्र यूं ही इतना बड़ा बयान नहीं जारी कर दिया। दरअसल यह हम भारतीयों की सबसे बड़ी भूल है कि हम पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर और चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन को भुला बैठे हैं।
पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से जुड़े हुए हैं पांच देश
दरअसल गिलगित, बाल्टिस्तान, नीलम घाटी और अक्साई चिन भौगोलिक रुप से भारत के लिए बेहद अहम इलाके हैं। पाकिस्तानी कब्जे वाला गिलगित तो इतना खास है कि वह दुनिया का एकलौता ऐसा स्थान है जो एक साथ 5 देशों से जुड़ा हुआ है।
गिलगित की सीमाएं अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान(रुस का पुराना हिस्सा), पाकिस्तान, तिब्बत, और चीन से मिलती हैं। गिलगित के दूसरी तरफ हिंदूकुश की पहाड़ियां हैं।
यह इलाका भौगोलिक दृष्टि से इतना अहम है कि दुनिया की ज्यादातर शक्तियां इस इलाके पर अपना कब्जा चाहती हैं। यही इस इलाके की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण भी है। आज इस इलाके पर चीन और पाकिस्तान काबिज हैं। चीन इस इलाके से होकर सड़क मार्ग का विकास कर रहा है, जो उसके व्यापार को कई गुना बढ़ा देगा।
एक वक्त था जब शीतयुद्ध के समय में अमेरिका गिलगित में बैठकर रुस पर नजर रखना चाहता था। 1965 की जंग में तो पाकिस्तान ने भारतीय फौजों को वापस भेजने के लिए यह इलाका रुस को सौंपने तक का फैसला कर लिया था।
आजादी के समय ब्रिटेन इस इलाके में अपना सैन्य अड्डा तैयार करना चाहता था।
आज पाकिस्तान के हाथों से लेकर चीन इस इलाके को लगभग पूरी तरह अपने कब्जे में ले चुका है।
गिलगित हमारे पास हो तो कई गुना बढ़ जाएगा विदेश व्यापार
गिलगित वह इलाका है जहां से सड़क मार्ग दुनिया के हर हिस्से में जाता है। यहां से दुबई 5 हजार किलोमीटर, दिल्ली 1400 किलोमीटर, मुंबई 2800 किलोमीटर, रुस 3500 किलोमीटर, लंदन 8 हजार किलोमीटर की दूरी पर है।
एक जमाना था जब इन सभी देशों से हमारा व्यापार चलता था। भारतीय सामान गिलगित से होकर मध्य यूरोप, अफ्रीका, मध्य एशिया सभी जगहों तक जाता था। यह वही समय था जब विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी एक चौथाई(25 फीसदी) थी।
हम भुला बैठे हैं गिलगित, बाल्टिस्तान और अक्साई चिन को
पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर का गिलगित, बाल्टिस्तान हमारे देश का ही हिस्सा था। लेकिन आज हम इस सच्चाई को खुद ही भुला चुके हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे हिमालय पर्वत की 10 सबसे बड़ी चोटियों में से 8 गिलगित में हैं और यह सब हमारी हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का पूरा क्षेत्र फल 79 हजार वर्ग किलोमीटर है। यह कोई छोटा इलाका नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर का 30 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है। इस क्षेत्र में कुल 4,045,366 जनसंख्या रहती है।
भारत के हिस्से में तो जम्मू का 9 हजार, कश्मीर का 6 हजार और लद्दाख का 64 हजार वर्ग किलोमीटर इलाका है।
प्राकृतिक संपदा से भरपूर है पाकिस्तानी कब्जे वाला कश्मीर
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का यह इलाका प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर है। इस इलाके में पानी के बहुत बड़े वैकल्पिक स्रोत हैं। जो कि आने वाले वक्त में पूरे दक्षिण एशिया की जरुरतें पूरी करने के लिए काफी हैं।
यहां का पर्यावरण इतना जबरदस्त है कि गिलगित, बाल्टिस्तान, लद्दाख में रहने वाले लोगों की औसत आयु पूरी दुनिया के लोगों में सबसे ज्यादा होती है।
इस इलाके में यूरेनियम की खानें हैं जो कि परमाणु शक्ति संपन्न देश के लिए बेहद अहम है। इस क्षेत्र में सोने की खदानें हैं। पाकिस्तानी कब्जे वाली नीलम घाटी में बहुमूल्य रत्नों का भंडार है।
इस विशाल प्राकृतिक संपदा वाले इलाके पर पाकिस्तान कब्जा करके बैठा हुआ है। जो कि यहां के खनिजों का चीन के साथ मिलकर भरपूर दोहन कर रहा है।
पाकिस्तान के विरोधी हैं पीओके के लोग
एक और दिलचस्प बात जो कि हम लोग नहीं जानते वह ये है कि पाकिस्तान ने गिलगित बाल्टिस्तान के इलाके पर जबरन अवैध कब्जा कर रखा है। यहां के लोग पाकिस्तानियों को पसंद नहीं करते हैं।
इसकी वजह ये है कि गिलगित बाल्टिस्तान के ज्यादातर लोग शिया हैं, जिन्हें पाकिस्तान के सुन्नी मुसलमान अपने बराबर का नहीं मानते हैं। पाकिस्तान में शियाओं को जबरदस्त उत्पीड़न किया जाता है। यहां के लोग अक्सर पाकिस्तान के कब्जे के खिलाफ आवाज उठाते रहते हैं। लेकिन पाकिस्तान इन लोगों के विरोध को दबा देता है।
गिलगित बाल्टिस्तान के लोग भारतीय कश्मीर में विकास और सुविधाओं को देखकर पाकिस्तानी प्रशासकों से अक्सर इस तरह की सुविधाओं की मांग करते हैं। लेकिन पाकिस्तान इस इलाको को अपना उपनिवेश समझकर लूटने में ज्यादा दिलचस्पी रखता है। उसने यहां नागरिक सुविधाओं से कोई वास्ता नहीं है। यहां के लोग पाकिस्तान से अपनी मुक्ति की लड़ाई खुद ही लड़ रहे हैं। हम आप जैसे आम भारतीयों को तो उनके संघर्ष के बारे में पता भी नहीं है।
वाजपेयी सरकार के समय उठाया गया था पीओके का मुद्दा
भारत ने सबसे पहले पाकिस्तान से उसके कब्जे वाले कश्मीर को लेकर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में आवाज उठाई थी। लेकिन इसके बाद यूपीए सरकार के दस सालों के शासन काल के दौरान इस मामले पर एक शब्द भी नहीं कहा गया।
अब जम्मू कश्मीर अगर एक बार फिर से चर्चा में है तो गृहमंत्री अमित शाह ने पीओके को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। जिसके बाद यह उम्मीद बंधने लगी है कि भारत अपने इस खोए हुए हिस्से को हासिल करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाएगा।