पिछले कुछ दिनों में देश की राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव आया है। कांग्रेस पार्टी जहां अंदर से कमजोर होती हुई दिख रही है, वहीं बीजेपी का ताकत बढ़ती जा रही है। इन परिस्थितियों में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता गांधी परिवार को झटका देने के लिए बिल्कुल तैयार बैठे हुए हैं। उन्हें बस मौके का इंतजार है। इसमें कई ऐसे नेता हैं जो कई पीढ़ियों से गांधी परिवार के वफादार रहे हैं। इन नेताओं का अपनी पार्टी से मोहभंग होना दिखाता है कि उन्हें अब कांग्रेस के दोबारा सत्ता के शीर्ष पर चमकने की कोई उम्मीद नहीं बची है।
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी को अपने इतिहास में सबसे बुरा समय देखना पड़ रहा है। इसके कई बड़े नेता अपने वर्तमान नेतृत्व और नीतियों से बुरी तरह असंतुष्ट दिखाई दे रहे हैं। ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है जो पार्टी का दामन छोड़ने का मन बना चुके हैं। उन्हें इंतजार है तो बस सही मौके का। किसी भी उपयुक्त समय पर यह सभी नेता या तो कांग्रेस पार्टी छोड़कर नई पार्टी बना लेंगे या फिर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाएंगे।
आईए देखते हैं ऐसे कौन कौन से कांग्रेसी नेता अपने आलाकमान को झटका देने की तैयारी कर चुके हैं-
1. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेन्द्र सिंह हुड़्डा इन दिनों पार्टी आलाकमान से बेहद नाराज चल रहे हैं। दरअसल वह हरियाणा राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अशोक तंवर की विदाई चाहते हैं। इसके लिए हुड़्डा के समर्थक पार्टी छोडऩे तक की धमकी भी दे चुके हैं। हुड्डा के समर्थक 12 कांग्रेसी विधायकों में से 8 नई पार्टी बनाने के पक्ष में हैं। बताया जा रहा है कि हुड्डा ने सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने और अपने आपको मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने की मांग रखी। इसके अलावा उन्होंने अपने बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए भी पद मांगा, लेकिन इस पर सोनिया ने किसी तरह का कोई फैसला नहीं लिया।
इसके अलावा हुड्डा एजेएल मामले में भी चार्जशीटेड हैं। जिसकी वजह से वो असंतुष्ट चल रहे हैं। इन परिस्थितियों में हुड्डा कभी भी सोनिया और राहुल गांधी को झटका दे सकते हैं। खास बात यह है कि हुड्डा का परिवार पिछली कई पीढ़ियों से कांग्रेस और विशेष तौर पर गांधी परिवार का वफादार रहा है।
2. ज्योतिरादित्य सिंधिया
ग्वालियर के महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले दिनों जबरदस्त बागी तेवर दिखाए हैं। दरअसल सिंधिया मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष का पद चाहते हैं। कहा जा रहा है कि इसके लिए उन्होंने सीधा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अल्टीमेटम दे दिया है। सिंधिया को अध्यक्ष बनाए जाने के लिए राज्य में उनके समर्थक मुहिम चलाए हुए हैं।
सिंधिया को लगता है कि उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर राज्य की राजनीति में कमजोर किया जा रहा है।
धारा 370 के मामले में भी ज्योतिरादित्य ने पार्टी के स्टैण्ड से अलग जाते हुए इसका समर्थन किया था। जम्मू कश्मीर पर केन्द्र सरकार के फैसले के बाद सिंधिया ने ट्वीट करके कहा था कि 'जम्मू कश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश में उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूं। ये फैसला राष्ट्रहित में लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूं।'
सिंधिया ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में खुले तौर पर बीजेपी सरकार की नीतियों का समर्थन करते हुए कहा था कि पब्लिक सेंटीमेंट जो कह रहा है, वही मैंने ट्वीट किया। ज्योतिरादित्य सिंधिया के इन बगावती तेवरों को देखकर साफ लगता है कि उन्होंने कांग्रेस से पीछा छुड़ाने का मन बना लिया है।
3. जितिन प्रसाद
कांग्रेस के युवा नेताओं में से एक पूर्व सांसद जितिन प्रसाद ने भी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में बीजेपी सरकार के फैसले का समर्थन किया था। उन्होंने सोनिया और राहुल के सामने कहा कि देश का माहौल इस मुद्दे पर बीजेपी के साथ है. ऐसे में हम इसका विरोध करके देश के सियासी माहौल के खिलाफ जा रहे हैं।
इस बैठक में जितिन प्रसाद ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को निशाने पर लेते हुए कहा कि कुछ लोगों के पक्ष को कश्मीर में समर्थन मिल रहा है। लेकिन मैं यूपी से आता हूं, वहां यही भावना है। कश्मीर मामले पर गांधी परिवार ने पूरी तरह बीजेपी सरकार के खिलाफ स्टैण्ड लिया है। लेकिन जितिन प्रसाद जैसे नेताओं का यह बयान दिखाता है कि उनपर से गांधी परिवार का नियंत्रण हटता जा रहा है।
4. आरपीएन सिंह
पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के कुशीनगर संसदीय सीट से लोकसभा सदस्य रहे आरपीएन सिंह ने भी धारा 370 के हटाने के विरोध करने के खिलाफ अपना तर्क रखा है। आरपीएन सिंह ने कहा कि आप कश्मीर पर तकनीकी रूप से सही हो सकते हैं लेकिन जनता के बीच क्या लेकर जाएं और उन्हें क्या जवाब दें? आरपीएन सिंह के मुताबिक धारा 370 को हटाने के फैसले के बाद तकनीकी नहीं सियासी पहलू सामने आए, जिन्हें हमें जनता के बीच लेकर जाना है।
आरपीएन सिंह साफ तौर पर इस पक्ष में दिखाई दिए कि धारा 370 पर मौजूदा सियासी मिजाज को देखते हुए हमें इसका विरोध करना राजनीतिक तौर पर महंगा पड़ सकता है।
5. दीपेन्द्र सिंह हुड्डा
हरियाणा के रोहतक से सांसद रहे दीपेंद्र हुड्डा ने भी कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बीजेपी सरकार के कदम का समर्थन किया। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि 'मेरा पहले से ही विचार है कि 21वीं सदी में अनुच्छेद 370 का कोई औचित्य नहीं है और इसको हटाना चाहिए। ऐसा सिर्फ देश की अखंडता के लिए ही नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर की जनता जो हमारे देश का अभिन्न अंग है, के हित में भी है।'
दीपेन्द्र के पिता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पहले से ही कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ बगावत की तैयारी कर चुके हैं।
6. नारायण राणे
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण राणे तो एक तरह से बीजेपी में शामिल हो ही गए हैं। उन्होंने गुरुवार को इस बारे में घोषणा कर भी दी है। नारायण राणे कांग्रेस छोड़ने के बाद बीजेपी के समर्थन से राज्यसभा में चुने गए। बाद में उन्होंने महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष पार्टी बनाई जो फिलहाल एनडीए का हिस्सा है।