अयोध्या में राम मंदिर के मामले में पिछले 23 दिनों से सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई चल रही है। लेकिन अदालत फिलहाल किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है। ऐसे में सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने एक बार फिर से अदालत के बाहर मध्यस्थता के जरिए मामला सुलझाने की कोशिश किए जाने की अपील की है।
नई दिल्ली: राम मंदिर मामले में सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के सामने एक बार फिर से मध्यस्थता के जरिए मामला सुलझाने की अपील की गई है। इसके लिए दो प्रमुख पक्षों निर्वाणी अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम बोर्ड द्वारा गठित मध्यस्थता पैनल को एक बार फिर से मामले में दखल देने की आग्रह करते हुए पत्र लिखा है।
देश की सबसे बड़ी अदालत में अयोध्या मामले की सुनवाई होते हुए 23 दिनों का समय बीत चुका है। लेकिन अब एक बार फिर से इसमें आपसी समझौते के जरिए विवाद के हल तक पहुंचने की अपील की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट पहले ही कर चुका है मध्यस्थता की कोशिश
हालांकि लगातार सुनवाई से पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने आपसी समझौते और मध्यस्थता के जरिए विवाद सुलझाने की कोशिश की थी। इसके लिए अदालत ने एक मध्यस्थता पैनल का भी गठन किया था। जिसमें रिटायर्ड जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में हिंदू संत श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता को श्रीराम पांचू को शामिल किया गया थाी।
मध्यस्थता पैनल के गठन से जुड़ी पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता पैनल ने पूरे 55 दिनों तक इस मामले से जुड़े सभी पक्षों से बात की, लेकिन इस मामले में कोई भी नतीजा नहीं निकल पाया।
संवैधानिक पीठ कर रही है मामले की सुनवाई
अयोध्या में राम मंदिर मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ कर रही हैं। जिसके अध्यक्ष खुद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई हैं। पांच जजों की इस संवैधानिक पीठ में शेष चार सदस्य जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर हैं।