भारत में #MeToo और जापान में #KuToo: ऑफिस में हाई हील पर लगी रोक

By Team MyNationFirst Published Mar 15, 2019, 12:33 PM IST
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भारत में जिस तरह #MeToo अभियान शुरू किया गया था बिल्कुल वैसे ही जापान में #kuToo अभियान शुरू किया है। इस हैशटैग का मतलब क्या है यह हम आपको बताते हैं। 

टोक्यो: भारत में जिस तरह #MeToo अभियान शुरू किया गया था बिल्कुल वैसे ही जापान में #kuToo अभियान शुरू किया है। इस हैशटैग का मतलब क्या है यह हम आपको बताते हैं। जापान में कुत्सू का मतलब जूता होता है। दर्द के साथ इसे जोड़कर अभियान का नाम 'हैशटैग कुटू' रखा गया है। 

दरअसल यह अभियान महिलाओं की हाइ हील्स के खिलाफ शुरू किया गया है। जापान में ज्यादातर कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्रों से जुड़े प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है। इसके तहत पुरुषों को सूट और डार्क कलर के जूते और महिलाओं को स्कर्ट के साथ हाई हील्स पहनना जरूरी है। 

जापान में महिलाओं को ऑफिसों में हाई हील्स पहनना अनिवार्य है। इस कारण महिलाएं परेशान थीं। एड़ी व पैर दर्द की शिकायतें बढ़ने लगीं। दफ्तर में काम के दौरान उनका मन नहीं लगता था। बस स्टॉप पर भी वह अक्सर इसी विषय पर बातचीत किया करती थीं।

इन परेशानियों को देखते हुए 32 साल की अभिनेत्री व मॉडल यूमी इशिकावा ने एक पहल शुरू की। 'हैशटैग मीटू' अभियान की तरह 'हैशटैग कुटू' चलाया। लाखों लोगों ने इसे री-ट्वीट किया। अब इसने आंदोलन का रूप ले लिया है और महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी इसका समर्थन कर रहे हैं। 

इस अभियान को शुरू करने का एक ही मकसद है कि महिलाएं काम पर जाएं तो वह जो चाहें वह पहन सकें। इस अभियान में लोग काफी भावुकता के साथ अपनी बातें रख रहे हैं। कई महिलाओं ने तो अपने पैरों की उंगलियों पर फफोले वाली तस्वीरें भी पोस्ट की हैं। एक यूजर ने कहा कि- 'यह अभियान जूते पसंद करने या न करने के बारे में नहीं है। मैं चाहता हूं कि हमारे समाज में एक ऐसा स्थान हो, जहां लोगों को अपनी पसंद के जूते पहनने की आजादी मिले।' 

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