सेना अब आतंक के आकाओं को निशाना बना रही है।उनके स्थानीय नेटवर्क ओवर ग्राउंड वर्कर्स और अलगाववादियों पर कार्रवाई की जा रही है।
कश्मीर घाटी में कुछ मस्जिदों से युवाओं के बीच भारत विरोधी प्रोपेगैंडा यानी दुष्प्रचार फैला रही हैं। सेना के लिए यह चिंता का बड़ा कारण हैं। सेना इस मुद्दे से निपटने के लिए कश्मीरी युवाओं को दूसरी गतिविधियों से जोड़ रही है। कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों की कमान संभाल रहे सेना की 15वीं कोर के कमांडर ने यह बात कही है।
सेना ने कश्मीर में इस साल 200 से ज्यादा आतंकियों का खात्मा कर लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों की कमर तोड़ दी है। सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट ने 'माय नेशन' से एक खास बातचीत में कहा कि सेना अब आतंक के आकाओं को निशाना बना रही है। साथ उनके स्थानीय नेटवर्क ओवर ग्राउंड वर्कर्स और अलगाववादियों पर सीधे कार्रवाई की जा रही है।
लेफ्टिनेंट जनरल भट्ट ने कहा, 'मस्जिदों का इस्तेमाल भारत विरोधी दुष्प्रचार चलाने के लिए हो रहा है। इसमें यह कहा जा रहा है कि कश्मीर में इस्लाम खतरे में हैं। कुछ स्थानीय मौलवी इसे हवा दे रहे हैं। यह गलत है। लेकिन हम युवाओं को रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त कर इससे निपट रहे हैं।'
उन्होंने कहा, सेना ऐसे कार्यक्रम चला रही है जहां युवाओं को खेलों और सांस्कृतिक गतिविधियों से जोड़ा गया है, ताकि उन्हें पाकिस्तान के समर्थन वाले तत्वों के बहकावे में आने से रोका जा सके।
15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट सेना मुख्यालय में डीजीएमओ का पद्भार भी संभाल चुके हैं। उन्होंने कहा, सेना कश्मीर में विवेकशील तत्वों को भी जगह देना चाहती है ताकि आतंकी संगठनों और हुर्रियत कांफ्रेंस जैसी अलगाववादी ताकतों ने जो कहानी बना रखी है उसे आम लोगों की मदद से बदला जा सके। उन्होंने कहा कि आतंकियों के ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) को निशाना बनाया गया है। इनमें से आसिया अंद्राबी समेत कई को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जैसी एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है।
उन्होंने कहा, ओजीडबल्यू और अन्य तत्व युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर धकेलने में शामिल हैं। इस साल अब तक सेना ने कश्मीर में 200 से ज्यादा आतंकियों का सफाया किया है। सेना उस शख्स का तुरंत खत्म कर रही है जो आतंकी संगठनों में नेतृत्व संभालता है। उन्होंने कहा, लश्कर और जैश इस साल सुरक्षा बलों के खासतौर पर टॉरगेट हैं। अलग-अलग मुठभेड़ों में उनके 30 से 40 प्रतिशत आतंकी मारे गए हैं।