सेना की कार्रवाई से घबराए आतंकियों ने अब अपनाई ये रणनीति

By Gursimran Singh  |  First Published Aug 25, 2018, 3:26 PM IST

बकरीद के दिन जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने अलग-अलग जगह तीन पुलिसकर्मियों की निर्ममता से हत्या कर दी। वर्ष 2018 में अभी तक 25 पुलिसकर्मियों को जान गंवानी पड़ी है।

कश्मीर में आतंकियों के सफाए के लिए चल रहे ऑपरेशन ऑलआउट में सुरक्षा बलों को मिल रही लगातार सफलता से आतंकवादी संगठन बौखला गए हैं। यही वजह है कि अब जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों को निशाना बनाया जा रहा है। आतंकियों की कोशिश पुलिसकर्मियों का मनोबल तोड़ने और स्थानीय लोगों को पुलिस की मदद न करने के लिए चेताने की है।

दरअसल, राज्य पुलिस का स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप घाटी में चलाए जा रहे आतंकवाद रोधी अभियानों में अहम भूमिका निभा रहा है। उनके जरिये स्थानीय नागरिकों से मिलने वाली सूचनाएं सुरक्षा बलों के लिए अहम साबित हो रही हैं। 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर बुरहान वानी के खात्मे के बाद सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाई में कई आतंकियों को मारने में मिली सफलता का श्रेय जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्थानीय स्तर पर स्वीकार्यता और बेहतर संपर्क सूत्रों को दिया जा रहा है। 

कश्मीर घाटी में अपने कई कमांडरों के खात्मे के बाद आतंकी संगठनों ने रणनीति में बदलाव किया है। अब उन्होंने सेना और सीआरपीएफ के बजाय जम्मू-कश्मीर पुलिस के कर्मचारियों को ज्यादा निशाना बनाना शुरू कर दिया है। ऐसा करके आतंकी स्थानीय कश्मीरियों के मन में दशहत पैदा करना चाहते हैं। ताकि वे पुलिस के साथ सूचनाएं साझा न सकें। हालांकि इसमें आतंकी संगठनों को बुरी तरह नाकामी मिली है। जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्थानीय गुप्तचर प्रणाली काफी मजबूत हो गई है। अब उसे आतंकियों की हर गतिविधि की सटीक सूचना मिल रही है। यही नहीं कश्मीरी युवाओं में पुलिस और सैन्य बलों में शामिल होने के प्रति दिलचस्पी बढ़ रही है। दहशतगर्द इसी से घबरा गए हैं। 

जम्मू-कश्मीर के डीजी एसपी वैद ने 'माय नेशन' से कहा, 'आतंकियों में हमारा सामने से मुकाबला करने की हिम्मत नहीं है। इसीलिए हमारे  वीरों पर पीछे से हमला कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'हमारे लड़के 1990 से इस तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं लेकिन इस तरह की आतंकी घटनाएं हमारा मनोबल नहीं गिरा सकतीं।' आतंकी संगठनों की कायराना हरकतों पर हमला करते हुए वैद ने कहा, 'ये आतंकी कायर हैं। सामने से आकर लड़ने में डरते हैं। हिम्मत है तो सामने आएं। चोरों की तरह हमला कर रहे हैं। हमारे जवान उनका सामना करने के लिए तैयार हैं। '

पिछले दो साल में पुलिसकर्मियों को निशाना बनाने की घटनाओं में तेजी आई है। जून 2017 में पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तय्यबा की ओर से अनंतनाग जिले में घात लगाकर किए गए हमले में राज्य पुलिस के अधिकारी फिरोज अहमद डार समेत पांच अन्य पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। उसके बाद से स्थानीय पुलिस पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं। 

21 जून 2017 में राज्य पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी डीएसपी अयूब पंडित की श्रीनगर में जामिया मस्जिद के बाहर भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। उनकी लाश अगले दिन बरामद की गई थी। फिरोज अहमद डार, अयूब पंडित, लेफ्टिनेंट उमर फयाज और औरंगजेब जैसे स्थानीय पुलिस एवं सैन्य कर्मियों की हत्या से आतंकियों संगठनों के प्रति स्थानीय लोगों में गुस्सा बढ़ा है। सुरक्षा बलों का बॉयकाट करने के आतंकी संगठनों के ऐलान के बावजूद बड़ी संख्या में कश्मीर युवा सैन्य बलों में शामिल होने के लिए आगे आ रहे हैं। 

माय नेशन' के पास उपलब्ध डाटा के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में 1989 से जारी हिंसा में 1600 से ज्यादा पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं। एक डीआईजी, एक एसपी, 21 डीएसपी, 23 इंस्पेक्टर, 36 सब इंस्पेक्टर, 164 एएसआई, 143 हेड कांस्टेबल, 186 सलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल, 527 कांस्टेबल व अन्य अधिकारी हैं। 

वर्ष 2018 में अभी तक 25 पुलिसकर्मियों को जान गंवानी पड़ी है। बकरीद के दिन आतंकियों ने अलग-अलग जगह तीन पुलिसकर्मियों की निर्ममता से हत्या कर दी। इसमें परिवार के साथ ईद मनाने आए पुलिस इंसपेक्टर मोहम्मद अशरफ डार, कांस्टेबल फयाज अहमद शाह और पुलवामा के मोहम्मद याकूब शामिल हैं। डार को आतंकियों ने उनके घर में घुसकर गोली मार दी थी। आतंकियों से मुठभेड़ और हमलों में 16 पुलिस अधिकारियों और 6 एसपीओ की मौत हुई है। 

08 जून, 2017 को आतंकियों ने एक शादी समारोह के लिए छुट्टी पर आए सेना के युवा लेफ्टिनेंट उमर फयाज का घर से अपहरण करने के बाद हत्या कर दी थी। शोपियां जिले में हुई निहत्थे सैन्य अधिकारी की सनसनीखेज हत्या पर कश्मीरियों ने गुस्से का इजहार किया था। इस साल 14 जून को पुलवामा में आतंकियों ने ईद की छुट्टियों पर आए 44 राष्ट्रीय राइफल्स के जवान औरंगजेब की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई। औरंगजेब उस टीम का हिस्सा थे, जिसने हिजबुल के आतंकी समीर टाइगर को मुठभेड़ में मार गिराया था। 

जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीपी एसपी वैद ने शनिवार को शहीद इंस्पेक्टर मोहम्मद अशरफ डार के परिजनों से मुलाकात की। 

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